कैसे होगा मुख्यमंत्री का जल संचय का सपना पूरा
विधान सभा चौक से थोड़ा आगे है गंदे नाले पर टूटी पानी की पाइप लाइन जोकि पानी बंद होने के बाद उसी पाइप में नाले का गंदा पानी धुस जाता होगा और वही पानी सभी के घरों में सप्लाई होता है अब जो इस जल को पियेगा तो बीमार होगा ही लेकिन जल संस्थान को इसकि कोई परवाह नही है वही मुख्यमंत्री त्रिवेंद सिंह रावत ने स्वच्छ पेयजल के लिए जल संचय एवं जल संरक्षण-संवर्द्धन अभियान का शुभारम्भ भी किया। मुख्यमंत्री ने ग्रीष्मकाल के दौरान पेयजल की कमी वाले क्षेत्रों में विभाग द्वारा की जा रही वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहॉ। मुख्यमंत्री ने देहरादून सहित प्रदेश के विभिन्न भागों में घटते पेयजल स्रोतों और भू-जल स्तर पर चिंता व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सभी पेयजल स्रोतो के नये सर्वे और मैपिंग के कार्य को तेजी से करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्वच्छता समितियों, मंगल दलों और स्कूली छात्र-छात्राओं को भी जल स्रोतो की अवस्था व देख-रेख के बारे में जागरूक किया जाए। उन्होंने छोटे-छोटे जलाशयों को बनाकर ग्राउण्ड वाॅटर रिचार्ज और पेयजल आपूर्ति करने हेतु ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि भू-जल स्रोतो के सर्वे के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीकि की भी मदद ली जा सकती है। मुख्यमंत्री ने पेयजल की उपलब्ध के साथ-साथ पेयजल की गुणवत्ता पर भी ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने जल संस्थान को पानी की टंकियो की नियमित सफाई कराने के निर्देश दिए।मगर जल संस्थान के जेई व कर्मचारियों के कान पर जूं तक नही रेंगती जगह जगह सड़कों के बीच पानी बहता है जोकि इनको दिखाई नही देता तब कैसे होगा मुख्यमंत्री का जल संचय एवं जल संरक्षण-संवर्द्धन का सपना पूरा ये देखने की बात है
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