शराब की दुकान के लिए गौशाला को शिफ्ट करने के आदेश

देहरादून स्थित प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए गौतीर्थाश्रम के सदस्य नवीन प्रकाश नौटियाल ने कहा कि  जहां देश में भरतीय जनता पार्टी के नेता गौ संरक्षण की बात कर रही है।जब श्रीनगर में इस का विरोध हुआ तो  प्रशासन ने 12 महिलाओं सहित 23 लोगों पर झूठे मुक़दमे दायर कर दिये, श्रीनगर प्रशासन द्वारा शराब की दुकान को खोलने के लिए 80 से अधिक बेसहारा बीमार गायों सहित गौतीर्थाश्रम को नियम विरुद्ध बताते हुए अन्यत्र शिफ्ट करने के आदेश दिए हैं।  2013 में आई आपदा के बाद श्रीनगर में बेसहारा, बीमार गायों के लिए नगर निगम ने गौशाला का निर्माण किया।  गौतीर्थाश्रम के सदस्य नवीन प्रकाश नौटियाल ने बताया कि श्रीनगर प्रशासन ने शराब की दुकान के लिए गौतीर्थाश्रम को नियम विरुद्ध बताते हुए अन्यत्र शिफ्ट करने का आदेश दिया है।  नौटियाल ने कहा की मार्च माह से श्रीनगर की स्थानीय महिलाओं के नेतृत्व में गौशाला के पास से ठेका हटाए जाने को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा है।

  अप्रैल माह में स्वयं उपजिलाधिकारी श्रीनगर तथा आबकारी निरीक्षक द्वारा शराब की दुकान को नियम विरुद्ध बताते हुए सील कर दिया गया था। किंतु नए आवंटन होते ही यह दुकान कैसे नियम के अनुकूल हो गई, जबकि उत्तराखंड में the UK number  and location of excise shop 1968 में उल्लिखित नियम यह है कि सार्वजनिक स्थल, स्कूल, पूजा स्थलों, फ़ैक्ट्री, बाजार के प्रवेश द्वार या आवासीय कालोनी आदि से 100 मीटर की दूरी पर कोई शराब की दुकान नहीं होगी। श्रीनगर में जिस नए बस अड्डे में यह दुकान खुल रही है। वहां पर गंगा (जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया गया है) की सहायक नदी अलकनंदा का तट है।  पास में ही भारत सरकार का महत्वकांशी योजना नमामि गंगे का कार्य चल रहा है।  बस अड्डे पर महिलाओं का आना-जाना लगा रहता है। शनि मंदिर तथा तीन प्रतिष्ठित स्कूलों को जाने वाला आम रास्ता भी है। 

गौतीर्थाश्रम के सदस्य नवीन प्रकाश नौटियाल ने बताया कि उपजिलाधिकारी श्रीनगर का कहना है कि गौशाला नियम विरूद्ध है, जिसकी याद प्रशासन को चार साल बाद आ रही है और शराब की दुकान के लिए गौशाला को ही शिफ्ट करवाया जा रहा है। जबकि नगर पालिका के अधिशासी अभियंता श्रीनगर का कहना है कि बस अड्डे पर गौशाला के संचालन के लिए पालिका बोर्ड ने प्रस्ताव पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रांत आबकारी अधिनियम 1910 की धारा 59 को जिला मजिस्ट्रेट लागू करें, जिसमें कहा गया है कि लोक शक्ति के निमित्त दुकानें  को शक्ति जिलाधिकारी में निहित है और वे लाइसेंसधारी को लिखित नोटिस देकर यह अपेक्षा कर सकते है कि कोई भी दुकान जिसमें किसी मादक वस्तु का विक्रय किया जाता है तो वह ऐसी अवधि के लिए बंद रखी जाए जिसे वह लोकशक्ति को बनाए रखने के लिए आवश्यक समझे।

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