श्री बदरीनाथ धाम के कपाट कल 19 नवंबर शायंकाल को बंद होंगे
चमोली– विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार 19 नवंबर शायंकाल को शीतकाल हेतु हेतु बंद हो जायेंगे। उल्लेखनीय है कि श्री केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री धाम के कपाट अक्टूवर माह में शीतकाल को बंद हो चुके हैं।श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर हेतु श्री बदरीविशाल पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा श्री बदरीनाथ मंदिर को भब्य रूप से फूलों से सजाया गया है।कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत 15 नवंबर को श्री गणेश जी के कपाट बंद कर दिये गये।
16 नवंबर बुद्धवार को श्री आदिकेदारेश्वर मंदिर को चावल का भोग चढाकर समाधि रूपदेकर कपाट बंद हो गये।17 नवंबर बृहस्पतिवार को खडग पुस्तक पूजन के बाद वेद ऋचाओं का वाचन बंद हो गया।18 नवंबर शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना तथा कढाई भोग चढ़ाया गया। मां लक्ष्मी का आव्हान किया गया।
19 नवंबर को रावल स्त्री भेष धारण कर माता लक्ष्मी को श्री बदरीनाथ जी के समीप्य प्रतिष्ठित करेंगे। इससे पहले श्री उद्धव जी श्री कुबेर जी मंदिर परिसर में आ जायेंगे। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि माणा गांव के महिला मंडल द्वारा बुने गये ऊन के घृत कंबल को भगवान बदरीविशाल को ओढ़ाकर कल 19 नवंबर शाम 3 बजकर 35 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।
मीडिया प्रभारी ने बताया कि 20 नवंबर प्रात: को श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी की डोली श्री बदरीनाथ धाम से श्री योग ध्यान बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेगी साथ में रावल जी एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी भी योग बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेगी।श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी शीतकाल में श्री योग बदरी पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगे जबकि 20 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रवास के पश्चात 21 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्रीनृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। इसके पश्चात योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजायें शुरू हो जायेंगी।
आज पंच पूजाओं के चौथे दिन रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी द्वारा मां लक्ष्मी का पूजन आह्वान कढाई भोग चढ़ाया गया । धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल,वेद पाठी रविन्द्र भट्ट सहित डिमरी डिमरी पुजारियों द्वारा पूजा अर्चना संपन्न की गयी। इस दौरान श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, उपाध्यक्ष किशोर पंवार सहित मंदिर समिति के सदस्य श्री निवास पोस्ती, भास्कर डिमरी, वीरेंद्र असवाल, पुष्कर जोशी, नंदा देवी एवं मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह आदि मौजूद रहे।
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