कोविड से बचाव व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
ऋषिकेश–कोविड19 विश्वव्यापी महामारी के लगातार बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर यह नितांत आवश्यक हो गया है, कि हम अपनी दिनचर्या और खान-पान पर खासतौर से ध्यान दें। वजह कोरोना वायरस के बढ़ते दुष्प्रभाव को रोकने के लिए तमाम स्तर पर किए जा रहे सतत प्रयासों के बाद भी अब तक इस पर नियंत्रण के लिए कोई भी वैक्सीन तैयार नहीं हो पाई है। ऐसे में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के आयुष विभाग ने कोविड के बचाव के लिए शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ आवश्यक सुझाव दिए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में निहित निम्न बातों का ध्यान रखा जाए तो निश्चित ही तन और मन दोनों स्वस्थ रहेंगे एवं रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी।कोविड19 के मद्देनजर आयुष विभाग के द्वारा रोगियों की सुविधा व चिकित्सकीय परामर्श के लिए सोमवार से शनिवार तक अपराह्न 2 से शाम 6 बजे तक टेलिमेडिसिन ओपीडी सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं,जिसके लिए कोई भी व्यक्ति दूरभाष नंबर- 7302895044 पर संपर्क कर अपनी प्रकृति के अनुसार रोग प्रतिरोधक क्षमता हेतु उचित दिनचर्या एवं औषधियों की जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा शीघ्र ही टेलीमेडिसिन की सेवाएं ई- संजीवनी एप के माध्यम से भी शुरू की जाएंगी। इन सेवाओं का लाभ लेने के लिए सभी के पास इस एप का होना आवश्यक है।सामान्यत: जन सामान्य में यह प्रचलित है कि आयुर्वेदिक औषधियों का कोई नुकसान नहीं होता है,किन्तु यह गलत अवधारणा है। आयुर्वेदानुसार प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति अलग-अलग होती है, एक ही औषधि / द्रव्य किसी के लिए हितकर और दूसरे के लिए अहितकर हो सकता है,यह जानकारी केवल कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक ही दे सकते हैं,अतः किसी भी हर्बल औषधि को लेने से पहले उसको कैसे लेना है ,कब लेना है,व्यक्ति विशेष के अनुसार औषधि की मात्रा एवं अनुपान हेतु चिकित्सकीय सलाह अवश्य ले लें।कोविड19 के दुष्प्रभाव को कम व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए आयुष विभाग की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. मीनाक्षी जगजापे व डा. विन्तेश्वरी नौटियाल ने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए निम्न बातों पर जोर दिया है। कोविड से बचाव व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान- एम्स आयुष विभाग की ओर से बताया गया है कि नियमिततौर पर सूर्योदय से पूर्व उठकर शौच आदि से निवृत्त होने के पश्चात यथाशक्ति व्यायाम व प्रत्येक दिन कुछ समय ध्यान मेडिटेशन, सद्साहित्य का अध्ययन करने व स्प्रिचुअल म्यूजिक सुनने के लिए हमें समय अवश्य निकालना चाहिए।भोजन सदैव अपनी प्रकृति व ऋतु के अनुसार ताजा, सुपाच्य और गर्म ही लें।भोजन में सभी रसों मसलन मधुर,अम्ल,कटु, तिक्त, कषाय और लवण आदि का सम्मिश्रण होना चाहिए। सभी रसों से युक्त भोजन उत्तम स्वास्थ्य व एक या दो रस से युक्त भोजन दुर्बलता एवं बीमारी का कारण माना गया है।भोजन प्रसन्न मन से जमीन पर आसन बिछाकर व भूख से थोड़ा कम ही करें।रात्रि में ठंडा व गरिष्ठ भोजन नहीं करें ।रात्रि में दही का सेवन कदापि न करें, यह शरीर के सभी स्रोत को अवरूद्ध करता है व व्याधि को उत्पन्न करता है।भोजन के समय मात्र गर्म जल का ही प्रयोग करें,ठंडा जल भोजन करते समय नहीं लेना चाहिए ।रात्रि का भोजन जल्दी करें तथा भोजन के पश्चात 10 मिनट वॉकिंग जरूर करें।दूध वाली चाय का सेवन निहायत कम करें, दिन में महज हर्बल टी व ग्रीन टी दो से तीन बार अपनी प्रकृति के अनुसार ले सकते हैं। रात के समय अधिक देर तक नहीं जागें, इससे शरीर में वात दोष की वृद्धि से रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। रात में सोने से पूर्व पैरों को भली प्रकार से धो लें व गुनगुने तेल से पैर के तलवों व सिर की मालिश करें, जिससे नींद समय पर आए।रात्रि में गर्म पानी में सेंधा नमक व हल्दी पाउडर डालकर गरारे अवश्य करें।आयुर्वेद के अनुसार उचित आहार, निंद्रा,समय पर सोना व समय पर उठना, ब्रम्हचर्य अर्थात प्रसन्नता व आनंद यह शरीर के तीन उपस्तम्भ अर्थात उत्तम स्वास्थ्य के लिए इन पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। सदैव प्रसन्न रहें इसके लिए प्रात:काल व शाम के समय कम से कम 5 मिनट ध्यान व सकारात्मक चिंतन अवश्य करें। अच्छी पुस्तकें पढ़ें, अच्छे संगीत सुनें, सदैव स्वयं भी मुस्कुराते रहें तथा परिवार व आसपास के लोगों को भी प्रसन्न रखें। मन के प्रसन्न रहने से शरीर भी स्वस्थ रहता है। टेलीविजन पर वही देखें, जिससे आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। इसके अलावा टेलीफोन का प्रयोग भी मात्र आवश्यक कार्यों के लिए ही करें ।
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