आरटीओ स्थानांतरण का फर्जी आदेश जारी करने वाला पुलिस की गिरफ्त में

 देहरादून–सम्भागीय परिवहन अधिकारी दिनेश चन्द्र पटोई के द्वारा थाना कोतवाली नगर में लिखित तहरीर दी की किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया पर उनके स्थानान्तरण के सम्बन्ध में फर्जी आदेश प्रसारित किया जा रहा हैं।जिससे उनकी तथा विभाग की छवि धूमिल हो रही है। इस लिखित तहरीर के आधार पर थाना कोतवाली नगर में मु0अ0सं0: 171/20 धारा: 469 भा0द0वि0 तथा 74 आईटी एक्ट का अभियोग पंजीकृत किया गया। केस के खुल्लासे के लिए तत्काल क्षेत्राधिकारी नगर के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया। गठित टीम द्वारा आदेश के सम्बन्ध में वादी से जानकारी की गयी तो उनके द्वारा बताया गया कि आदेश उन्हें उनके प्रशासनिक अधिकारी संजीव कुमार मिश्रा द्वारा 26-जून को भेजा गया था।
संजीव कुमार मिश्रा से जानकारी करने पर उनके द्वारा इस  आदेश को सुधांशू गर्ग द्वारा भेजा जाना तथा सुधांशू गर्ग द्वारा  आदेश उन्हें एक व्यक्ति कुलवीर के द्वारा भेजा जाना बताया गया, जिस पर कुलवीर के सम्बन्ध में जानकारी करने पर उसका मोबाइल फोन एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही बन्द होना ज्ञात हुआ। कुलवीर की तलाश के दौरान बुधवार एक-जुलाई को इस व्यक्ति को सहस्त्रधारा हैलीपैड के पास से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसके द्वारा फर्जी आदेश को स्वंय के द्वारा जारी करना स्वीकार किया, जिसकी निशानदेही पर उसका लैपटाप, जिस पर उक्त फर्जी आदेश को बनाया गया था तथा मोबाइल फोन, जिसके माध्यम से उक्त फर्जी आदेश को सुधांशू गर्ग को भेजा गया था, जब्त किया गया। 
पुलिस की पूछताछ में अभियुक्त कुलवीर ने बताया कि उसके द्वारा एचएनबी कैम्पस चम्बा से बीएससी की थी तथा उसके पश्चात कुछ समय तक कैप्री ट्रेड सैन्टर में मोबाइल शाॅप में  कार्य किया। उसकी सुधांशू गर्ग से पुरानी मुलाकात थी, पूर्व में वह अपने राजनीतिक सम्पर्कों के माध्यम से अपने वाहन के नम्बर के सम्बन्ध में सुधांशू गर्ग से मिले थे तब से उनकी आपस में बातचीत होती रही, कुछ समय पूर्व सुधांशु गर्ग को अपने प्रभाव में लेने के लिये मैंने सुधांशू गर्ग से सम्पर्क कर अपने राजनीतिक पहुंच का हवाला देते हुए उनका स्थानान्तरण देहरादून कराने की बात की गयी तथा उसके एवज में उनसे कुछ सिटी बसों के परमिट करवाने की हामी भरवायी गयी। मेरे द्वारा इन्टरनेट के माध्यम से पूर्व में हुए स्थानान्तरण की छायाप्रति लेते हुए एक फर्जी आदेश बनाया गया तथा पूर्व आदेशों में बने हस्ताक्षर की नकल कर उन पर फर्जी हस्ताक्षर किये गये। फर्जी आदेश को सुधांशू गर्ग को भेजने के पीछे मेरी मंशा थी कि उन्हें उस आदेश के तैयार होने तथा उसे जारी करने के एवज में अधिकारियों को पैसा देने के नाम पर मैं उनसे मोटी धनराशि वसूल सकूं। मुझे जानकारी थी कि एक बार पैसा देनेे के बाद वह स्थानान्तरण के समबन्ध में पैसा देने की बात किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बता पायेंगे।



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