इधर लॉक डाउन उधर मजदूर घरों को निकले

  देहरादून–रविवार का दिन अक्सर इस देश की जनता पर भारी पड़ता हैं। कारण जब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को 8:00 बजे राष्ट्र को संबोधन करने के लिए आते हैं। पहले नोट बंदी और अब लॉकडाउन तो कुछ ना कुछ ऐसा ही होता है जो देश की जनता पर भारी पड़ा ही जाता हैं। ऐसे ही पिछले रविवार 22 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम एक कड़ा संदेश प्रसारित किया जिसमें कोरोना वायरस को लेकर उठाए जा रहे कदमों का देश के नागरिकों के साथ  चर्चा करते हुए कहा कि 22 तारीख को रात 12:00 बजे के बाद संपूर्ण देश में लॉक डाउन हो जाएगा मगर प्रधानमंत्री ने यह नहीं कहा कि उन गरीब मजदूरों का क्या होगा जो दैनिक दिहाड़ी पर काम करते हैं। और अपना रोजी रोटी कमाते हैं। 

 उन ठेकेदारों को क्यों नहीं आदेश दिया जिनके पास वह गरीब मजदूर देश के विभिन्न भागों से उन ठेकेदारों के लिए काम करते हैं। और विपदा की घड़ी में वहीं ठेकेदार अपने मजदूरों को भुखमरी की कगार पर छोड़ देते हैं। ऐसी ही घटना आज जब मैं शहर की कवरेज करता हुआ नेहरू कॉलोनी की तरफ पहुंचा तो मुझे 10 से12 मजदूर लाइन से आते हुए दिखाई दिए तो मैंने उनसे पूछा कि कहां जाएंगे तो उन्होंने कहा कि हम यूपी के छुटमलपुर जाना है सुंदर गांव में तो फिर मेरी जिज्ञासा बढ़ी और मैंने उनसे पूछा किधर से आ रहे हैं तो उन्होंने बताया कि हम ऑल वेदर रोड में काम करते हैं और उत्तरकाशी मैं नेशनल हाईवे 94 में काम कर रहे थे।जब प्रधानमंत्री ने 22 तारीख को लॉकडाउन की घोषणा की हमारे ठेकेदार ने हमें वापस कर दिया हैं। और हम 23 तारीख को उत्तरकाशी से चलकर आज 26 तारीख को पैदल-पैदल भटकते हुए वह देहरादून पहुंचे थे। तो मैंने उनसे पूछा कुछ रास्ते में खाना वाना भी खाया कि नहीं तो उन्होंने कहा नहीं हमें कहीं भी खाना नहीं मिला सिर्फ हम पानी के सहारे उत्तरकाशी से देहरादून तक पहुंचे हैं। कहीं हमें खाने को नहीं मिला सिर्फ पानी का ही आसरा है जो हम उसी के सारे पहुंचे हैं। और आगे भी कहीं संभावना नहीं लगती है कि हमें  खाने का कोई  प्रबंध हो पाए है।बस हम सकुशल अपने अपने घर पहुंच जाये प्रधानमंत्री जी!

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