पुलिस की गिरफ्त में तीन हत्यारे

देहरादून- पुलिस की गिरफ्त में  आये  नरपाल पुत्र स्व0 गोविन्दा  नि0 ग्राम छितावर थाना कीरतपुर जिला बिजनौर  उ0प्र0 हाल निवासी जाखन राजपुर देहरादून उम्र 62 वर्ष, प्रेमपाल पुत्र स्व0 गोविन्दा  नि0 ग्राम छितावर थाना कीरतपुर जिला बिजनौर   उ0प्र0  उम्र 65 वर्ष,  सरोजबाला पत्नी स्व0 ऋषिपाल नि0 ग्राम छितावर थाना कीरतपुर बिजनौर उ0प्र0 हाल- नि0 पेट्रोल पम्प  के पीछे जाखन राजपुर देहरादून उम्र-60 वर्ष में से पुलिस की पूछताछ अभियुक्त प्रेमपाल द्वारा बताया गया कि हम छः भाई थे, जिसमें तीन की मृत्यू हो चुकी है और तीन जीवित है । सबसे बड़ा गुड्डू, दूसरे नम्बर का मै तथा तीसरे नम्बर का नरपाल है ।
नरपाल व मेरी शादी नहीं हुई है।मै गांव में खेती-मजदूरी करता हूँ तथा नरपाल देहरादून में 8-10 वर्षों से गार्ड की नौकरी कर रहा था।जहां पर वह सरोजबाला नाम की महिला व उसके गूंगे बहरे पोते के साथ जाखन में पेट्रोल पम्प के पास रह रहा था। नरपाल द्वारा मुझे बताया कि देहरादून में मेरी मुलाकात आनन्द प्रकाश चौहान नाम के व्यक्ति के साथ हुई थी। जो कभी कभार उसके साथ शराब पीता था।  आनन्द द्वारा नरपाल को बताया गया था कि उसकी पत्नी सीमा उससे झगड़कर बार-बार 4-5 महिने के लिए मायके चली जाती हैं।जिससे चौहान काफी परेशान रहता था तो नरपाल ने उसको एक तांत्रिक के बारे में बताया जो उसकी पत्नी का दिमाग फेर दे और वह उसके घर में शांति से रहे। जिस पर चौहान राजी हो गया  05 फरवरी 2020 को नरपाल द्वारा फोन के माध्यम से मुझे बताया कि देहरादून से चौहान आ रहा हैं।जो अपने साथ काफी पैसे भी ला रहा हैं।उसको ठिकाने लगाकर हम उसके पैसे व गाड़ी रख लेंगे। योजना के मुताबिक सरोजबाला, चौहान को लेकर देहरादून से निकली हम सभी को  गैण्डीखाता मे मिलना था। चूंकि मुझे पैसो की बहुत अधिक आवश्यकता थी तो मैं उसकी बातों पर यकीन कर बस पकड़कर नजीबाबाद आ गया नजीबाबाद से मैं और नरपाल दोनो रोड़वेज बस से गैण्डीखाता पहुंचे जहांँ पर हमें चौहान और सरोजबाला दोनों मिल गये।   चौहान अपनी सफेद रंग की गाड़ी से आया था। इस दौरान नरपाल से चौहान ने कुछ देर के लिये अलग जाकर बात की और उसके बाद हम चारों उसी गाड़ी में बैठ गये, जिसे चौहान चला रहा था। गाडी में नरपाल उसके बगल की सीट में बैठा और सरोजबाला व मैं गाड़ी की पिछली सीट पर बैठे थे । सफर के दौरान चौहान को अपनी बातों में उलझाने के लिये हम उसे उसी तांत्रिक के किस्से सुना रहे थे।जिसके पास ले जाने के लिए हमने चौहान को बुलाया था।फिर गैण्डीखाता के पास जंगल के रास्ते में गाड़ी रोककर हम सभी जंगल के अन्दर एक पगडण्डी के सहारे लालडांग की ओर चल दिये। करीब 2-3 किमी चलने के बाद चौहान ने कहा कि मै बहुत थक गया हूं। तभी नरपाल ने उसे एकदम नीचे गिराकर उसका गला दबाया मैंने व सरोजबाला ने उसके हाथ पैर पकडे । जब वह थोड़ा बेहाश सा होने लगा तो नरपाल ने उसकी पैण्ट निकालकर पैण्ट को उसके गले में लपेटकर उसकी सांस तब तक रोकी जब तक वह मरा नहीं।फिर उसकी जेब से पैसे, एटीएम कार्ड व गाड़ी की चाबी आदि निकालकर हमने अपने पास रख लिये। फिर हम लोग आनन्द प्रकाश चौहान के शव को वहीं पर छोड़कर सड़क पर आये, जहां से हम एक ड्राइवर की व्यवस्था कर चौहान की गाड़ी से नजीबाबाद पहुंचे, जहां उन्होने मुझे मेरे गांव में उतार दिया, उसके बाद नरपाल गाड़ी लेकर कहीं चला गया और सरोजबाला गैण्डीखाता बस से वापस देहरादून आ गयी। बाद में मुझे पता चला कि नरपाल हॉस्पिटल में भर्ती हो गया हैं।हम लोग काफी डर गये थे फिर मै और सरोजबाला पुलिस के पूछताछ किये जाने पर इन सब बातों को ज्यादा देर छिपा नहीं पाये। हमारे द्वारा जो रूपया चौहान के पास से लूटा था, उसमें से मुझे अभी तक कुछ भी नहीं मिला है, मैने कई बार नरपाल से पैसे की हिस्सेदारी के सम्बन्ध में बात की किन्तु वह मामले को शांत हो जाने तक इन्तेजार करने की बात कहता रहा। लूट में मिले चौहान के मोबाईल को भी नरपाल ने रख लिया था, नरपाल के पास मेरा एक पुराना सिम था, वह उसी को उस मोबाईल में इस्तेमाल कर रहा था। नरपाल और सरोजबाला द्वारा घटना को अंजाम देने की योजना करीब एक-डेढ महिने पहले से ही बना ली थी, मैं केवल पैसों के लालच में उनके झांसे में आ गया। नरपाल पूर्व में भी 03 बार बिजनौर से जेल जा चुका है ।

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