सैन्यधाम और विद्याधाम भी है उत्तराखण्ड –राजनाथ सिंह

देहरादून–राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर  परेड ग्राउन्ड में आयोजित मुख्य कार्यक्रम ‘‘भारत भारती उत्सव‘‘ में भारत की सांस्कृतिक एकता के विविध रंग देखने को मिले। देहरादून के शिक्षण संस्थानों में अध्ययन कर रहे लगभग सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के छात्र-छात्राओं ने मनमोहक प्रस्तुतियां दीं।मुख्य अतिथि रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने राज्य स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड से उनका हमेशा भावनात्मक लगाव रहा है। जब उत्तराखण्ड का निर्माण हुआ था वे ही संयुक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। बड़ी खुशी की बात है कि उत्तराखण्ड तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य ने राष्ट्रीय स्तर अपनी विशेष पहचान बनाई है। उत्तराखण्ड 20 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। यह ऐसी अवस्था होती है जब सब कुछ कर गुजरने की ललक होती है, साथ ही जोखिम भी उठाने का भाव होता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड भारत की देवभूमि है। पूरी दुनिया में इसे सम्मान प्राप्त है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि यहां का हर गांव सैन्यधाम है। उत्तराखण्ड की शिक्षण संस्थानों मं देश भर के छात्र-छात्राएं पढ़न आते हैं। इसे देश का विद्याधाम भी कहा जा सकता है। यहां के शिक्षण संस्थान लघु भारत का रूप हैं।रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ही एक ऐसा देश है जहां संस्कृति एक-दूसरे को जोड़ती है। सच्चे मायनों में राष्ट्र की संज्ञा, भारत को ही दी जा सकती है क्योंकि यही एक ऐसा देश है जिसने अपनी सांस्कृतिक पहचान सदियों से बनाए रखी है। यहां की विविधता में एकता अद्भुत है। भारत की सांस्कृतिक पहचान हैं।
यहां की उदारता, सहिष्णुता, समरसता, वीरता, सामर्थ्य, सर्वधर्म समभाव। दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देने वाला राष्ट्र भारत ही है। कवि इकबाल ने ठीक ही कहा था ‘यूनान मिस्त्र रोमां मिट गए जहां से, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।’ भारत प्राचीन काल से ही समृद्ध राष्ट्र था। भारतीय सभ्यता ज्ञान विज्ञान, वाणिज्य व्यापार और कला में कहीं आगे थी। हमारे प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों को ताकत देने का काम हमारा नौजवान ही कर सकता है। देश व समाज में सकारात्मक परिवर्तन युवाओं से ही सम्भव है। आज भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। 5 ट्रिलियन इकोनोमी का हमारा लक्ष्य है। इसमें युवाओं क सहयोग से ही किया जा सकता है।
रक्षा मंत्री ने कारगिल लड़ाई में शहीद विक्रम बत्रा का स्मरण करते हुए कहा कि हम सभी में उनके जैसा जज्बा होना चाहिए। आज स्टैंड अप, स्किल इण्डिया और स्टार्ट अप के माध्यम से युवा देश की प्रगति में योगदान कर रहा है। हमें स्वामी विवेकानंद और पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से भी प्रेरणा लेनी चाहिए।

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