प्रताप नगर वासियों का जल्द होगा 14 वर्ष का वनवास समाप्त
नई टिहरी –प्रताप नगर वासियों का जल्द होगा 14 वर्ष का वनवास समाप्त, इस पुल को बनने में लगभग दो सरकारें बीत गई और प्रताप नगर के लोगों का पुल के लिए कितना आंदोलन किया लेकिन यह पुल नहीं बन पाया अब जाकर तीसरी सरकार ने इस पुल को बनाने की प्राथमिकता अपने कार्य विजन में सर्वप्रथम रखी और इसी का नतीजा है कि डोबराचांठी पुल जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा। प्रताप नगर के लोगों को कितने ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था उन्हें छोटी सी छोटी बीमारी के लिए भी लगभग 100 किलोमीटर चलना पड़ता था तब जाकर वह टिहरी पहुंचते थे। प्रतापनगर के लोगों को अब सीधे टिहरी जोड़ने के लिए निर्माणाधीन डोबराचांठी पुल बनकर लगभग तैयार हो चूका है। डोबराचांठी पुल की सतह को आपस में जोड़ने का काम पूरा किया जा चुका है। रेलिंग और कोटिंग के बाद रोड सेफ्टी की एनओसी लेने के बाद इस पर अगले वर्ष मार्च तक लोगों की आवाजाही शुरू कर दी जाएगी।राजनीतिक नेतृत्व की दृढता व इच्छा शक्ति से किस तरह से सालों से अधर में लटके काम समय बद्धता से पूरे किए जा सकते हैं, डोबरा चांठी पुल इसका बड़ा प्रमाण है।
टिहरी झील के ऊपर बनाया जा रहा डोबरा चांठी पुल का निर्माण कार्य पूरा होने से 3 लाख से ज्यादा की आबादी को जिला मुख्यालय तक आने के लिए 100 किलोमीटर की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। टिहरी आने वाले पर्यटक प्रतापनगर भी आ सकेंगे। आवागमन की सुविधा होने से क्षेत्र की आर्थिकी में भी इजाफा होगा।प्रताप नगर वासियों की पीड़ा और डोबरा चांठी पुल की अहमियत को समझते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इसे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रखा। उन्होंने इसके लिए एकमुश्त बजट जारी किया। इसका परिणाम हम सभी के सामने है।सीएम डैशबोर्ड पर लोकनिर्माण विभाग की-परफोर्मेंस इंडिकेटर में डोबराचांठी पुल प्रमुख बिंदु है। मुख्यमंत्री ने स्वयं इसके काम की प्रगति पर लगातार नजर रखी। इसका परिणाम भी देखने को मिला। पुल बनकर लगभग तैयार हो गया है। पुल के पूरे होने की लगभग उम्मीद खो चुके प्रतापनगर के लोगों को अब विश्वास हो गया है कि जल्द ही टिहरी आने जाने के लिए इस पुल का उपयोग कर सकेंगे। 440 मीटर लंबा डोबराचांठी पुल भारत का सबसे लम्बा मोटरेबल सिंगल लेन झूला पुल है। कई अन्य संस्थाओं के असफल हो जाने के बाद कोरियन कंपनी से इसकी डिजायनिंग कराई गई। पुल की लागत लगभग 150 करोङ रूपए है। मुख्य सेतु के स्पान 440 मीटर में से 250 मीटर की लम्बाई में डैक लगाने का काम पूरा किया जा चुका है। अवशेष लम्बाई में कार्य चल रहा है। मार्च 2020 तक पुल आवाजाही के लिये प्रारंभ कर दिया जाएगा।साल 2006 से भागीरथी नदी पर बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर और थौलधार को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण कार्य चल रहा है।आने-जाने के लिए बने पुल टिहरी झील में डूब गए थे। इस वजह से लोगों को नई टिहरी, देहरादून, ऋषिकेश आने-जाने की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। मार्च 2020 तक पुल के बन जाने से प्रतापनगर के लोगों की आवागमन संबंधी कठिनाइयां समाप्त हो जाएंगी।डोबरा चांठी पुल का कार्य देख रहे लोक निर्माण विभाग के अधीक्षणश अभियंता शिव कुमार राय का कहना है कि पुल के दोनों ओर 440-440 मीटर लंबी रेलिंग लगाई जानी है। फिर रेलिंग के ऊपर कोटिंग का काम होना है। इस कार्य के लिए तापमान कुछ गर्म चाहिए होता है। साथ ही पुल में आवाजाही के लिए रोड सेफ्टी विभाग की एनओसी जरूरी है। इसलिए पुल पर आवागमन मार्च, 2020 में ही शुरू हो पाएगा।“डोबराचांठी पुल प्रतापनगर और थौलधार के लिए लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। पुल के निर्माण के लिए एकमुश्त राशि जारी की गई। इंजीनियरों को समय पर काम पूरा करने के निर्देश दिए गए।
टिहरी झील के ऊपर बनाया जा रहा डोबरा चांठी पुल का निर्माण कार्य पूरा होने से 3 लाख से ज्यादा की आबादी को जिला मुख्यालय तक आने के लिए 100 किलोमीटर की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। टिहरी आने वाले पर्यटक प्रतापनगर भी आ सकेंगे। आवागमन की सुविधा होने से क्षेत्र की आर्थिकी में भी इजाफा होगा।प्रताप नगर वासियों की पीड़ा और डोबरा चांठी पुल की अहमियत को समझते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इसे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रखा। उन्होंने इसके लिए एकमुश्त बजट जारी किया। इसका परिणाम हम सभी के सामने है।सीएम डैशबोर्ड पर लोकनिर्माण विभाग की-परफोर्मेंस इंडिकेटर में डोबराचांठी पुल प्रमुख बिंदु है। मुख्यमंत्री ने स्वयं इसके काम की प्रगति पर लगातार नजर रखी। इसका परिणाम भी देखने को मिला। पुल बनकर लगभग तैयार हो गया है। पुल के पूरे होने की लगभग उम्मीद खो चुके प्रतापनगर के लोगों को अब विश्वास हो गया है कि जल्द ही टिहरी आने जाने के लिए इस पुल का उपयोग कर सकेंगे। 440 मीटर लंबा डोबराचांठी पुल भारत का सबसे लम्बा मोटरेबल सिंगल लेन झूला पुल है। कई अन्य संस्थाओं के असफल हो जाने के बाद कोरियन कंपनी से इसकी डिजायनिंग कराई गई। पुल की लागत लगभग 150 करोङ रूपए है। मुख्य सेतु के स्पान 440 मीटर में से 250 मीटर की लम्बाई में डैक लगाने का काम पूरा किया जा चुका है। अवशेष लम्बाई में कार्य चल रहा है। मार्च 2020 तक पुल आवाजाही के लिये प्रारंभ कर दिया जाएगा।साल 2006 से भागीरथी नदी पर बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर और थौलधार को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण कार्य चल रहा है।आने-जाने के लिए बने पुल टिहरी झील में डूब गए थे। इस वजह से लोगों को नई टिहरी, देहरादून, ऋषिकेश आने-जाने की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। मार्च 2020 तक पुल के बन जाने से प्रतापनगर के लोगों की आवागमन संबंधी कठिनाइयां समाप्त हो जाएंगी।डोबरा चांठी पुल का कार्य देख रहे लोक निर्माण विभाग के अधीक्षणश अभियंता शिव कुमार राय का कहना है कि पुल के दोनों ओर 440-440 मीटर लंबी रेलिंग लगाई जानी है। फिर रेलिंग के ऊपर कोटिंग का काम होना है। इस कार्य के लिए तापमान कुछ गर्म चाहिए होता है। साथ ही पुल में आवाजाही के लिए रोड सेफ्टी विभाग की एनओसी जरूरी है। इसलिए पुल पर आवागमन मार्च, 2020 में ही शुरू हो पाएगा।“डोबराचांठी पुल प्रतापनगर और थौलधार के लिए लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। पुल के निर्माण के लिए एकमुश्त राशि जारी की गई। इंजीनियरों को समय पर काम पूरा करने के निर्देश दिए गए।
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