तीर्थयात्रियों अपने पूर्वजों की याद में करेंगे पौधरोपण

रुद्रप्रयाग— केदारघाटी में 2013 के  मूसलाधार बारिश के कारण  गांधी सरोवर में ग्लेशियर  टूटने की वजह से आए सैलाब ने मंदाकिनी नदी का  जलस्तर बढ़ गया था और अपने उफान के कारण  मंदाकिनी नदी ने रामबाड़ा का नामोनिशान मिटा दिया था।  उसी की याद में केदारनाथ आपदा की छठी बरसी पर स्थानीय लोगों ने रामबाण में बने स्मृति स्थल पर  आपदा के दौरान अकाल मृत्यु हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई , रविवार 16 जून 2019  को स्मृति वन की अनूठी योजना की पर्यटन विभाग ने गढ़वाल मडल के छह जिलों में शुरुआत की है। सभी जिलों में अधिकारियों, स्थानीय समुदायों, विधायक, गणमान्य लोगों ने भाग लिया। रूद्रप्रयाग जिले में कमिश्नर गढवाल के साथ जिलाधिकारी द्वारा पौधा रोपित किया गया। 


योजना के लिए सात जिलों में जमीन का बाकायदा बंदोबस्त किया गया हैं। चमोली-भूमि वन पंचायत दिगोली, ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 57 निकट बाटूला, क्षेत्रफल एक हेक्टेयर, देहरादून-भूमि ऋषिकेश-हरिद्वार मार्ग बाईपास, नटराज चौक से आरटीओ के  दायीं ओर लाल पानी कक्ष नंबर दो, क्षेत्रफल दो हेक्टेयर, हरिद्वार-भूमि भारतीय वन प्रभाग के अंतर्गत दक्ष दीप गंगा वाटिका, क्षेत्रफल दो हेक्टेयर, उत्तरकाशी-भूमि द्वारी हार्टीकल्चर फार्म, भटवारी चौक, क्षेत्रफल डेढ़ हेक्टेयर, रुद्रप्रयाग-भूमि रतूड़ा, रुद्रप्रयाग से बद्रीनाथ मार्ग पर स्मृति वन के निर्माण के लिए भूमि पर पूजा अर्चना करी गई। 

पहले चरण में जिले के सभी अधिकारियों और स्थानीय समुदायों ने वृक्षारोपण के लिए धन का योगदान दिया ।अगले चरण में पर्यटक, स्थानीय समुदाय, तीर्थयात्रियों को इस योजना में दो हजार रुपये स्मृति वन काउंटर पर जमा कराने होंगे। इसके बाद, वह अपने पूर्वजों की याद में पौधरोपण कर सकेगे। तीर्थयात्रियों से पौध के लिए जो शुल्क लिया जाएगा, उसे स्वयं सहायता समूहों को दिया जाएगा। स्वयं सहायता समूह ही स्मृति वन को बनाने से लेकर उसकी देखरेख का सारा काम करेंगे। समूहों को हर हफ्ते रोपे गए पौधे की फोटो खींचकर उसे स्मृति वन के मोबाइल एप पर डाउनलोड करना होगा।

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