महिला दिवस पर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां को दिये स्मार्ट फोन
देहरादून—अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने पोषण अभियान व बेटी बचाओ अभियान में सराहनीय कार्य करने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया। जिलाधिकारी टिहरी सोनिका को पोषण अभियान व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून निवेदिता कुकरेती को सखी ई-रिक्शा लाॅच में अहम योगदान व पोस्को में अपराधों के निवारण में सराहनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया। इसके अलावा पोष्टिक आहार व बेटी बचाओं में अच्छा कार्य करने वाले जिला स्तरीय अधिकारियों को भी सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को स्मार्ट फोन व वजन मशीन का वितरण भी किया। प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को कार्य में तेजी लाने के उद्देश्य से स्मार्ट फोन दिये जा रहे हैं।
उत्तराखण्ड उत्तर भारत का पहला राज्य है, जहां सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को स्मार्ट फोन से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए हैण्डवाॅश मेनुअल, सांप सीढ़ी के खेल व सुनहरे हजार दिनों के मैनुवल का विमोचन किया। इसके अलावा प्रचार सामग्री इन्फाॅर्मेशन, एजुकेशन व कम्यूनिकेशन (आईईसी) का विमोचन भी किया गया। 08 से 22 मार्च तक चलने वाले पोषण पखवाड़े का शुभारम्भ भी मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर इस वर्ष की थीम‘‘नव परिवर्तन के लिए समान सोंचे, स्मार्ट बनें’’ रखी गई है।मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आशा कार्यकत्रियों के वार्षिक पारिश्रमिक को 5 हजार रूपये से बढ़ाकर 17 हजार तथा दाई के मासिक पारिश्रमिक को 500 से बढ़ाकर 1000 रूपये करने की घोषणा की। अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता दर्शन हाॅल में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि समाज के सर्वागीण विकास के लिए महिलाओं का सशक्त होना जरूरी है। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में नारी के प्रति जो सम्मान का भाव है, आज पश्चिमी देश भी इसका अनुसरण कर आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जिसे माता के नाम से पुकारा जाता है। किसी भी समाज का पूर्ण विकास तभी संभव है, जब महिलाओं व पुरूषों को आगे बढ़ने के लिएए समान अवसर मिले। आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में अपना विशिष्ट योगदान दे रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को संस्कार देने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका माँ की होती है। बाल्यावस्था के शुरूआती 5 सालों में बच्चों पर संस्कारों का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने मातृ शक्ति से अपील की है कि बच्चों को नशे की प्रवृत्ति से दूर रखने की दिशा में भी सहयोगी बनें। उन्होंने कहा कि नन्दा गौरा योजना में परिवर्तन किया गया है। अब बच्ची के जन्म के समय 11 हजार व इण्टरमीडिएट करने के बाद स्नातक में प्रवेश के समय बालिका को इस योजना के तहत 51 हजार रूपये दिये जायेंगे।इस अवसर पर महिला सशक्तिकरण व बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि आर्थिक, समाजिक, राजनीतिक व मानसिक रूप से महिलाओं का सशक्त होना जरूरी है। जहां नारियों का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं। देवभूति उत्तराखण्ड में तीलू रौतेली, गौरा देवी, टिंचरी माई जैसी वीरंगनाओं ने जन्म लिया है। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में महिलाएं अच्छा कार्य कर रही हैं। हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी से ही समाज का सर्वांगीण विकास हो सकता है।
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