सरकार ढोल दमोह को स्मृति चिन्ह के रूप में करें भेंट- शिल्पकार प्रवीण

देहरादून-डांडी कांठी क्लब हर वर्ष की तरह राज्य वाद्य यंत्र सम्मान समारोह करने जा रहा है जो कि 17 सितंबर को नगर निगम के टाउन हॉल में संपन्न किया जाएगा जिसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से अलग-अलग विधाओं के 11 पारंगत  श्रेष्ठ विभूतियों को राज्य वाद्य यंत्र सम्मान दिया जाएगा उत्तराखंड के प्रखंड ढोल सागर, देवसार,पैंसारा, थाती योग के महान जन गुरुओं का सम्मान के साथ साथ जागर संरक्षण दिवस मनाया जा रहा है। जागर का विस्तार विश्व पटल पर और उत्तराखंड एवं अन्य देशों में जागर संरक्षण एवं ढोल विधा पर शोधकर्ता छात्रों को इसका लाभ मिलेगा। क्लब के द्वारा इस बार काष्ट शिल्पकला प्रवीण दिनेश लाल द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को सम्मान ट्रॉफी के चुना गया है।उत्तराखंड में लोककला आपनी समाप्ति की कगार पर पहुंच चुकी है लोक वाद्य यंत्र हो या अन्य विधाएं सरकार के तवज्जो ना मिलने
के कारण बहुत से लोग इन कलाओं को छोड़कर अन्य कामों पर लग गए हैं जिसके कारण उत्तराखंड की लोक संस्कृति धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रही है लेकिन वही काष्ट शिल्पकार प्रवीण दिनेश लाल शिल्पकला में अपनी पहचान को बरकरार रखने के लिए विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाकर प्रदेश के सम्मुख रख रहे हैं लेकिन इन की स्मृति चिन्ह को सही स्थान ना मिलने के कारण वह अपनी कला का ज्यादा प्रचार प्रसार नहीं कर पा रहे हैं और वह सरकार से उम्मीद करते हैं कि जिस प्रकार उनकी काष्ट की स्मृति चिन्ह जैसे केदार बाबा और बद्रीनाथ को स्मृति चिन्ह के रूप में सरकार अपने मेहमानों को भेंट करती हैं उसी प्रकार से इनके बनाये वाद्य यंत्र और अन्य कलाकृतियों को भी स्मृति चिन्ह के रूप में लोगों को प्रदान करें जिससे उत्तराखंड की कला और संस्कृति जन-जन तक पहुंचे

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