युवा शक्ति वैश्विक विकास की सुत्रधार-त्रिवेन्द्र सिंह रावत

ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन में आयोजित जीवन सम्मेलन के दुसरे दिन विश्व के 21 से अधिक देशों से आये युवा प्रतिनिधियों को उत्तराखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत  ने सम्बोधित किया। उन्होने युवा शक्ति का महत्व बताते हुये युवाओं को वैश्विक विकास का सुत्रधार बताया। 
टी गल्फ, ग्लोबल इण्टरफेथ वाॅश एलायंस और परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित जीवन सम्मेलन में आये युवाओं ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  के पावन सान्निध्य में महर्षि आश्रम चैरासी कुटिया का भ्रमण किया। जीवा की अन्र्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने चैरासी कुटिया के दिव्य प्रांगण में सभी को ध्यान की विभिन्न विधाओं की जानकारी दी। सभी ने ओमकार की ध्वनी के साथ इस पवित्र क्षेत्र में ध्यान किया। शौक्षणिक सत्र में युवाओं को टी गल्फ संस्था के संस्थापक शिव खेमका एवं उर्वशी खेमका, डीआरडीओ के वैज्ञानिक तथा जीवा के विशेषज्ञों ने जल संरक्षण, जैव विविधता, नदियों की संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण आदि की जानकारी प्रदान की। 
कम खर्च में वॉटर रिचार्ज करने, नदियों को शुद्ध करने के विभिन्न तरीके तथा चन्दे्रश्वर नाले को स्वच्छ करने हेतु लगाये गये प्रोजेक्ट कि विषय में जानकारी दी। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि  स्वामी चिदानन्द सरस्वती की दूरदर्शी नीतियों और पर्यावरण को समर्पित जीवन के चलते उत्तराखण्ड राज्य में पर्यटन उद्योग निरंतर नई ऊंचाइयों को छू रहा है जिसके कारण दुनिया-भर में भारत के पर्यटन, संस्कार, संस्कृति, गंगा और योग के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा है। उत्तराखण्ड राज्य में पहले की अपेक्षा विदेशी सैलानियों की आवाजाही बढ़ी है। उन्होने कहा कि गंगा़ की संस्कृति, हिमालय की संस्कृति देते रहने की संस्कृति है आज आप सभी यहां से देने और जो भी अपने पास है उसे दूसरो के साथ बांटने का संदेश लेकर जाये आपके पास जो भी टैलेंट है उसका उपयोग समाज के लिये अवश्य करे क्योंकि देश की उन्नति में समाज की भूमिका महत्वपूर्ण होती है इस पर ही देश की जीडीपी निर्धारित है।उन्होने कहा कि ईश्वर ने आपको जीवन रूपी सुन्दर कैनवास प्रदान किया है आप उस कैनवास को शान्ति, सेवा, मानवता, संस्कृति और श्रेष्ठ संस्कारों के सुन्दर रंग से रंगे तो जीवन एक खुबसुरत कलाकृति बन जायेंगा।
स्वामी  
चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पहले खुद को जाने, ध्यान के माध्यम से अपनी एकाग्रता को बढायें, अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखे, अपनेआत्मविश्वास के स्तर को ऊंचा रखे और पूरे विश्वास के साथ अपने सपनों की मंजिल को हासिल करने के लिये अग्रसर होते रहे। स्वामी ने युवाओं से आह्वान किया कि वे प्लास्टिक की वस्तुओं का कम से कम प्रयोग करे अपने देश और आस-पास की नदियाें, जलस्रोत्रों को स्वच्छ, निर्मल और अविरल बनाने में योगदान प्रदान करे, पर्व और त्योहारों को वृक्षारोपण अवश्य करे तथा प्रकृति सेवा को अपना प्रथम कर्तव्य समझे। साध्वी भगवती सरस्वती ने युवाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि अपने भविष्य को सुखद और सुरक्षित बनाने के लिये प्रकृति से जुडना सबसे बेहतर माध्यम है। उन्होने कहा कि प्रकृति हमारी सच्ची शुभचितंक है अब हमें भी प्रकृति का शुभचिंतक बनना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत  ने टी गल्फ संस्था के संस्थापक शिव खेमका एवं उर्वशी खेमका को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया तथा सभी विशिष्ट अतिथियों का रूद्राक्ष की माला पहनाकर अभिनन्दन किया। विश्व के 21 देशों से आये युवा प्रतिनिधियों ने कहा कि परमार्थ निकेतन मेें  हमें ज्ञान, अध्यात्म, योग, ध्यान के साथ पर्यावरण संरक्षण की विज्ञान परक जानकारी प्राप्त हो रही ही। हमेें यहां पर स्वामी  एवं साध्वी के सत्संग के माध्यम से भारतीय संस्कृति और दर्शन की जानकारी प्राप्त हो रही है। उन्होने आयोजक शिव खेमका ने निवेदन किया की प्रतिवर्ष इस तरह का आयोजन किया जाये जिसमें विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं की भागीदारी हो। यह सम्मेलन वास्तव में प्रेरणा का स्रोत्र है। उन्होने कहा कि सम्मेलन का सबसे विशेष अंग गंगा आरती है जो हमारी अन्र्तआत्मा को छू जाती है वास्तव में आरती के क्षण अद्भुत और अविस्मर्णीय है।
       

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