गांव के अस्तिव को बचाने के लिए आमरण अनसन पर....

पौड़ी- उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग हुए 19 वर्ष हो चुके हैं  और इन 19 वर्षों में  पहाड़ के लोगों वही दंश भोग रहे हैं जो उत्तर प्रदेश में रहते हुए भोग रहे थे इसीलिए उत्तराखंड अलग प्रदेश बनाने की यहां के लोगों ने मांग की थी जिससे यहां के पहाड़ों का विकास हो सके लेकिन स्थिति यथावत बनी हुई है,इसी लिए यह लोगों ने राज्य के लिए आंदोलन किया था,लेकिन इस पर देश का दुर्भाग्य है कि सरकार मलिन बस्तियों के लिए अध्यादेश लेकर आई है मगर पहाड़ों में आपदा की मार झेल रहे लोगों की सरकार को कोई चिंता नहीं है, पहाड़ों पर अपने गांव के अस्तित्व को बचाने के लिए  उत्तराखंड क्रांति दल और उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी  शांति प्रसाद भट्ट आमरण अनसन के लिए बैठ गए हैं  और मांग भी कोई  ज्यादा नहीं है, पौड़ी गढ़वाल के यमकेस्वर ब्लाक की ग्राम सभा धमंदा और कोठार के बीच घने जंगल में आमरण अनसन हो रहा है । न कोई नोकरी की मांग न को कोई सड़क स्वास्थ्य शिक्षा बिजली पानी रोजगार स्वरोजगार की मांग यहाँ तो अब आमरण अनसन केवल गांव के अस्तिव को बचाने के लिए हो रहा है । और सरकार है जो सुनने को तैयार नहीं है । यह केसी विडंम्बना है । सड़क मांगो तो मिलती नहीं धमंदा गांव उधाहरण है । और माफियों के लिए कोई नियम कानून नहीं है । जंगल हमारे नहीं रहे पानी भी हमारा नहीं रहा संसाधनों से लेकर सत्ता भी हमारी नहीं रही यूँ कहे हमारे लिए लोकतंत्र ही नहीं रहा कही सुनवाई हो ही नहीं रही । ऐसे में पुलिसःके दम पर सत्ताकी हनक झुटे मुक़दमे दमन क्या क्या नहीं झेल रहे है
उत्तराखंडी मगर सरकार और भक्त इसमें जिस तरह से तर्क दे रहे है उसे देख कर यह तो पक्का हो गया है की भगत सिंग ने छोटी उम्र में बलिदान की क्यों सोची होगी । आखिर वो कौन से कारण होंगे जिसमे सुभाष चंद्र बोष को अपने देश को आजाद कराने के लिए जापान की मदद क्यों लेनी पड़ रही होगी । अब सब समझ में आता है लोगो को अंग्रेजो ने कैसे छोटे छोटे लालच देकर गुलाम बनाया होगा । सब समझ में आ रहा है पहले भी स्वार्थ था आज भी है । गुलाम बनाने का मंत्रआज भी वही है कोई बदलाव नहीं है । हमारे यहाँ के संघर्ष करने वाले उसी तरह हर क्षेत्र में तरह पिट रहे है जिस तरह से देश आजादी में मतवाले पिटते थे । उस काल में भी यही कहा जाता होगा जो आज कहते है इनमे एकता नहीं है । हिंसा ठीक नहीं है आंदोलन हल नहीं है । ये लोग ठीक नहीं है और जो इस तरह कह कर माहोल बनाता होगा उसे वाइसराय ऊँचे पद मिल जाते होंगे फिर उनकी झूटी महिमा मंडित की जाती होगी । आज की सरकार विधायक भी वही कर रहे है अंग्रेजो की तरह और वाइसराय और उच्चेपदों के लिए सत्य को कुचल कर उसी तरह सरकारों की झूटी तारीफ़ कर महिमा मंडित भक्त आज भी कर रहे है हम आजाद तो हुवे है पर संसाधनों के आगे आज भी मानसिक गुलाम है । देश भक्त होना मानसिक गुलाम कतई नहीं होता । झूट और लूट तो कतई नहीं हो सकता दोनों राष्ट्रिय पार्टी यही कर रही है ।

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