नई तकनीक से भूमि विवाद में कमी आयेगी, क्रयकर्ता को भूमि की पूरी जानकारी स्वतः उपलब्ध होगी

देहरादून- डिजिटल इण्डिया लैण्ड रिकार्ड माॅडनाईजेशन प्रोग्राम  के तहत प्रदेश के भू-अभिलेखों का आधुनिक तकनीक के माध्यम से किया जायेगा सर्वे यह बात  अध्यक्ष राजस्व परिषद उत्तराखण्ड एस रामास्वामी ने हरभजवाला में राजस्व परिषद उत्तराखण्ड  और सर्वे आॅफ इण्डिया के संयुक्त तत्वाधान में नवीन ड्रोन तकनीक से ट्रायल के तौर पर सर्वे, बन्दोबस्त की कार्यवाही प्रारम्भ  करते हुए कही।अध्यक्ष राजस्व परिषद ने कहा कि आज का ट्रायल सफल होने पर इसे सम्पूर्ण प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जायेगा, ताकि सम्पूर्ण प्रदेश में सर्वे करवायें जाने हेतु एक माॅडल विकसित किया जा सके, साथ ही राजस्व विभाग के सर्वे एवं चकबंदी इकाईयों के कार्मिकों को सर्वे आॅफ इण्डिया के माध्यम से  निःशुल्क प्रशिक्षण  दिया गया है, जिसे भविष्य में भी जारी रखने की योजना है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से सर्वे करने पर राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि का एक त्रुटिरहित डिजिटल लैण्ड प्राप्त होगा, जिससे भविष्य में आवश्यकतानुसार सभी कार्यों को आसानी से सटीक तरीके से कया जाना सम्भव हो पायेगा। इससे भूमि विवाद में कमी आयेगी, क्रयकर्ता को भूमि की पूरी जानकारी स्वतः उपलब्ध हो सकेगी और मूल भूमि की वस्तुस्थिति का अपडेटेशन होने से फ्राड व धोखाधड़ी  से बचा जा सकेगा। सचिव राजस्व विभाग विनोद प्रसाद रतूड़ी ने कहा कि प्रदेश में हुए अन्तिम बन्दोबस्त प्रक्रिया को लम्बा समय (लगभग 52 वर्ष) हो चुके हैं, जिससे विद्यमान कैडस्ट्रल मैटस (खसरा) अत्यन्त पुराने हो चुके हैं और वर्तमान परिदृश्य में  धरातल पर आमजन को भूमि एवं सम्पत्ति विवादों के दायरे को कम करने, भूमि रिकार्ड रखरखाव प्रणाली में पारदर्शिता बढाने और भू-सम्पत्तियों के लिए निर्णायक अधिकार व टाईटल की गारन्टी प्रदान करने हेतु आधुनिक तकनीक युग में पर्याप्त नही हैं, जिसके लिए आधुनिक तकनीक  से भूमि का पुनः सर्वे कराया जाना आवश्यक है।
इस दौरान जिलाधिकारी एस.ए मुरूगेशन ने कहा कि अन्तिम भूमि सर्वे में लम्बा समय व्यतीत होने के चलते भूमि अधिग्रहण, खातेदारों में भूमि विभाजन, भूमि के वर्तमान स्वरूप के विक्रय, भूमि खरीदारी  की ओर रूझान, कृषि भूमि का लैण्ड यूज परिवर्तन हो गया है, जिससे आधुनिक तकनीक से भू-सर्वेक्षण की आवश्यकता स्वतः बढ गयी है। उन्होंने कहा कि ड्रोन सर्वे से भूमि सर्वेक्षण कम समय में त्रुटिरहित व वास्तविक डाटा उपलब्ध हो सकेगा जिससे सरकार के पास विभिन्न  उद्देश्यों के लिए एक सुरक्षित भू-डाटा बैंक भी स्पष्ट हो सकेगा। इस अवसर पर निदेशक सर्वे आॅफ इण्डिया लेफ्टिनेंट कर्नल, पवन कुमार पाण्डेय ने अवगत कराया कि सर्वे आॅफ इण्डिया द्वारा राजस्व विभाग उत्तराखण्ड के लिए आवश्यक सभी भू-सर्वेक्षण की आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करेगा। आधुनिक विधियों से सर्वेक्षण तकनीक करवाये जाने से भू-प्रबन्धन में बहुत लाभ होगा और राजस्व विभाग के लेखपाल, कानूनगो इत्यादि को समय-समय पर आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण व  मार्गदर्शन की सहायता भी प्रदान की जायेगी। इस दौरान हरभजवाला में स्कूली छात्रों ने ड्रोन के द्वारा सर्वेक्षण कार्य को बड़ी उत्सुकता से देखा और उपस्थित अधिकारियों से ड्रोन व भू-सर्वेक्षण के बारे में प्रश्न किये, जिनका उचित उत्तर देते हुए अधिकारियों द्वारा बच्चों को सन्तुष्ट किया गया और जीवन में विज्ञान, गणित जैसे तर्कशील विषय पर अधिक अध्ययन करने को प्रेरित करने का संदेश दिया। आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद बी.एम मिश्र, सर्वे आॅफ इण्डिया से आर.एस मीणा, नगर मजिस्टेट मनुज गोयल, अपर जिलाधिकारी प्रशासन अरविन्द पाण्डेय, उप निदेशक सर्वे आॅफ इण्डिया पंकज मिश्रा, स्टाॅफ अधिकारी राजस्व परिषद सुन्दरलाल सेमवाल, उप राजस्व आयुक्त राजस्व परिषद विप्रा त्रिवेदी, उप जिलाधिकारी सदर प्रत्यूष सिंह, ग्राम प्रधान  हरभजवाला सहित राजस्व विभाग एवं सर्वे आॅफ इण्डिया की टीम, स्कूली बच्चे व स्थानीय निवासी उपस्थित थे। 

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