पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के निधन
देहरादून-मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति व शोक संतप्त परिवारजनों
को दुख की इस घड़ी में धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। ‘‘स्व. सोमनाथ चटर्जी ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूती दी। उनके निधन से भारतीय राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है। पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी लंबी बीमारी के बाद ली अंतिम सांस सोमनाथ चटर्जी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और 89 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. वह मनमोहन सिंह सरकार में 2004 से 2009 तक लोकसभा के स्पीकर रहे.लोकसभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी किडनी की बीमारी के चलते कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.
तबीयत नाजुक होने के बाद बीते 10 अगस्त को उन्हें कोलकाता के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. माकपा के पूर्व नेता सोमनाथ चटर्जी 10 बार लोकसभा के सांसद रहे हैं. वह कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए-1 सरकार में 2004 से 2009 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे थे.
यूपीए-1 शासनकाल में उनकी पार्टी सीपीएम की ओर से सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद उनसे स्पीकर पद छोड़ने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया. जिस कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. चटर्जी सीपीआईएम के केंद्रीय समिति के सदस्य रहे थे, और उन्हें प्रकाश करात के धुर विरोधी के रूप में जाना जाता है.
को दुख की इस घड़ी में धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। ‘‘स्व. सोमनाथ चटर्जी ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूती दी। उनके निधन से भारतीय राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है। पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी लंबी बीमारी के बाद ली अंतिम सांस सोमनाथ चटर्जी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और 89 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. वह मनमोहन सिंह सरकार में 2004 से 2009 तक लोकसभा के स्पीकर रहे.लोकसभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी किडनी की बीमारी के चलते कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.
तबीयत नाजुक होने के बाद बीते 10 अगस्त को उन्हें कोलकाता के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. माकपा के पूर्व नेता सोमनाथ चटर्जी 10 बार लोकसभा के सांसद रहे हैं. वह कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए-1 सरकार में 2004 से 2009 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे थे.
यूपीए-1 शासनकाल में उनकी पार्टी सीपीएम की ओर से सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद उनसे स्पीकर पद छोड़ने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया. जिस कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. चटर्जी सीपीआईएम के केंद्रीय समिति के सदस्य रहे थे, और उन्हें प्रकाश करात के धुर विरोधी के रूप में जाना जाता है.
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