थाइलैण्ड एवं उत्तराखण्ड के खाद्य सम्भावनाओं पर गहन चर्चा

बैंकाॅक/देहरादून -मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत  बैंकाॅक (थाईलैण्ड) में उत्तराखण्ड में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेश की सम्भावनाओं से सम्बंधित संगोष्ठी को संबोधित किया। इस संगोष्ठी में थाइलैण्ड एवं उत्तराखण्ड के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के प्रतिनिधियों के मध्य खाद्य प्रसंस्करण की सम्भावनाओं पर गहन चर्चा हुई। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था में से एक है और विश्व के शीर्ष तीन निवेश स्थलों में शामिल है। भारत में ब्राण्डेड भोजन की बढ़ती मांग वाले 1.32 बिलियन उपभोक्ता हैं। यहाँ विश्व स्तरीय बन्दरगाहों की उपलब्धता के साथ ही खाद्य/रसद की आपूर्ति की बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।  
मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि भारत दूसरा सबसे बडा कृषि योग्य क्षेत्र है, जिसमें 127 विविध कृषि जलवायु वाले क्षेत्र उपलब्ध हैं, जो हमें कई फसलों केला, आम, अमरूद, पपीता और भिण्डी में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करता हैं। भारत का चावल, गेहूं, मछली, फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में विश्व स्तर पर दूसरा स्थान है। जबकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। हमारे बागवानी क्षेत्र ने पिछले 10 वर्षो में 5.50 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज की है।मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत एक सबसे बड़े खाद्य उत्पादक देश होने के बावजूद भी यहां कुल उत्पादन का मात्र 10 प्रतिशत ही मूल्य संवर्धन/प्रसंस्करण में उपयोग किया जाता है, जबकि अन्य दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों थाईलैण्ड, मलेशिया, वियतनाम  जैसे देशों में यह 70 से 80 प्रतिशत है। भारत सरकार ने इस प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के उपयोग के प्रतिशत को वर्ष 2019 तक 20 प्रतिशत तक बढाने के लिये कई कदम उठाये हैं एवं इस हेतु योजनाएॅ तैयार की गयी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थियां एवं जलवायु, विभिन्न प्रजातियों के औषधियों एवं संगन्द पादपों के कृषिकरण के अनुकूल है, जिस के दृष्टिगत राज्य में संगठित तरीके से इसके कृषिकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है तथा वैल्यू चैन के माध्यम से सहयोग प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में बहुत सारी सम्भावनाएं विद्यमान है जिसे थाईलैण्ड की कम्पनियों एवं उत्तराखण्ड के उत्पादकों के पारस्परिक सहयोग से आपस में जुड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की परिस्थितिकी को यथावत रखते हुए राज्य में विकसित औद्योगिक क्षेत्रों में अन्य छोटे उद्योगों के अलावा ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, नेस्ले इण्डिया लिमिटेड, पेप्सिकों और के.एल.ए. इण्डिया पब्लिक लिमिटेड सहित प्रमुख खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में 385 मिलियन डाॅलर से भी अधिक का निवेश किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि हमारे प्रतिनिधियों और थाईलैण्ड के उद्योगपतियों के मध्य हुए विचार-विमर्श से नई सशक्त साझेदारी विकसित होगी, जो कि दोनों ही देशों के लिये लाभकारी होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने बैंकाॅक के औद्योगिक आस्थानों नवा नकाॅर्न इंडस्ट्रियल एस्टेट का भी भ्रमण किया तथा नवा नकाॅर्न पब्लिक कम्पनी के सी.ई.ओ./एम.डी निपित अरूनवोनजस ने आयुध्य सहित अन्य उद्यमियों से भी उत्तराखण्ड में निवेश के सम्बन्ध में विचार-विमर्श किया।  उत्तराखण्ड में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेश की सम्भावनाओं से सम्बंधित संगोष्ठी में सचिव कृषि डी.सेंथिल पाण्डियन ने से राज्य में खाद्य प्रसंस्करण की सम्भावनाओं पर प्रभावी प्रस्तुतीकरण भी दिया।इस अवसर पर थाइलैण्ड में भारत के राजदूत भगवंत सिंह विश्नोई, मुख्य सचिव  उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सचिव  दिलीप जावलकर, इन्वेस्ट इंडिया की वायस प्रेसिडेन्ट प्रिया रावत, मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार  के.एस. पंवार सहित थाईलैंण्ड एवं उत्तराखण्ड के अधिकारी एवं निवेशक उपस्थित थे। 

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