भारत की गौरवशाली इतिहास में माँ गंगा का महत्वपूर्ण योगदान -सरस्वती

ऋषिकेश-- कनाडा, अमेरिका तथा विश्व के कई अन्य देशों से आये, अनुुराधा ग्रुप के 17 योग साधकों ने परमार्थ निकेतन में छः दिनों तक रहकर योग, भारतीय संस्कृति, ध्यान एवं आयुर्वेद का प्रशिक्षण लिया। इस दल में योग शिक्षक, थेरेपिस्ट, डेंटिस्ट, साइको थेरेपिस्ट, कास्मेटिक मेनेजमेंट, नर्स तथा चिकित्सा की अलग -अलग विधाओं में कार्य कर रहे विदेशी सैलानी थे जिन्होने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात कर भारतीय अध्यात्म और चिकित्सा की प्राचीन विधाओं के विषय में जानकारी प्राप्त की व उनका ध्यान पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण की ओर आकर्षित किया तथा उत्तराखण्ड राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं यहां पर की जाने वाली खेती के विषय में भी चर्चा की।  उत्तराखण्ड पहाडी राज्य होने के कारण लोगों की आजीविका एवं दिनचर्या में जो समस्यायें आती है उस विषय में भी विस्तृत चर्चा की।  दल के सदस्यों ने आश्वस्त किया कि वे शीघ्र ही दूसरी बार भारत यात्रा पर 
आयेंगे तथा उत्तराखण्ड राज्य में शिक्षा और पहाड़ पर की जाने वाली खेती के लिये कुछ बेहतर करने का प्रयास करेंगे।दल के सदस्यों ने जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती से भगवद्  गीता, भारतीय दर्शन एवं ध्यान के विषय में जानकारी प्राप्त की। उन्होने साध्वी आभा सरस्वती  एवं डाॅ इन्दू शर्मा के नेतृत्व में योग एवं योग निद्रा का प्रशिक्षण लिया।योगियों के दल ने परमार्थ से विदा लेते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती की प्रेरणा से नदियों के संरक्षण का संकल्प लिया तथा विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया।  स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा, भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है और इस गौरवशाली संस्कृति और संस्कृतिक इतिहास में माँ गंगा का महत्वपूर्ण स्थान है।सिंधु और गंगा नदियों के तटों पर ही हमारी सभ्यतायें विकसित हुई थी और आज भी हो रही है। विविधता में एकता की संस्कृति को गंगा ने ही जीवंत बना रखा है जो भी उसके तट पर आता है शान्ति को आत्मसात करता है। गंगा है तो भारत है; भारतीयता है। अनुराधा गाॅफ ने कहा कि ’ऋषिकेश आकर जीवन की सारी थकावट दूर हो जाती है और परमार्थ निकेतन की गंगा आरती तो स्वर्ग में होने की अनुभूति कराती है। उत्तराखण्ड वास्तव में स्वर्ग है, यहां बार-बार आने का मन करता रहेगा। ऐसा लगता है जैसे हम अपनी आत्मा को यही पर छोड़ केवल शरीर के साथ यहां से प्रस्थान कर रहे है।कनाडा से आयी कैरोलिन अल्बर्ट ने कहा कि पश्चिम में सब कुछ है, तरक्की है, उन्नति है पर भारत के पास गंगा है, जो वास्तव में शान्ति देने वाली है। कुछ तो है गंगा के पास जो सब को अपनी ओर आकर्षित करती है। में तो यहां पर आकर मंत्रमुग्ध और मोहित हो गयी हूँ ।सभी योग साधकों ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली भव्य गंगा आरती में सहभाग किया। योगियों ने कहा कि हमें परमार्थ निकेतन आकर योग के साथ पर्यावरण संरक्षणं का संदेश भी प्राप्त हुआ। उन्होने कहा हमें अत्यंत प्रसन्नता हुई की हम सब ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती के सहभागी रहे है और हम सब भी  स्वामी की प्रेरणा से नदियों की स्वच्छता का संकल्प लेकर जा रहे है। अपने-अपने देश जाकर हम अपनी नदियों के लिये अवश्य कार्य करेंगे।  स्वामी  ने सभी योगियो को रूद्राक्ष की माला उपहार स्वरूप देकर विदा किया। इस अवसर पर अनुराधा गाॅफ, कैरोलन अल्बर्ट, बै्रक्सस्ड लाइसे, केथेनाइन एलेक्सैंड्र, पैटविस्टिक लाॅसी, निकोलस रिजेंट, लूसी जार्ज, मनन, जैसलीन बर्ननार्ड, हेलेन, गोइलेन पेनेका, आॅड्रे डिज़र्डिन और अन्य योग साधक उपस्थित रहे।

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