चैरासी कुटिया में ध्यान और विश्व शान्ति हेतु मौन जप

ऋषिकेश-विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवे दिन परमार्थ निकेतन में 95 से अधिक देशों से आये योग जिज्ञासुुु, योग राजदूत, योगाचार्य, पर्यावरणविदों एवं  संतों ने महर्षि योग आश्रम में आयोजित ध्यान सत्र में सहभाग किया।  इस सत्र का नेतृत्व परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती ने किया। इस पावन अवसर पर वन और आयुष मंत्री उत्तराखण्ड सरकार  हरक सिंह रावत विशेष रूप से उपस्थित थे और उन्होने सभी योग साधकों का सम्बोधित किया। इस अवसर पर वन अधिकारी भी मौजूद थे।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि महर्षि आश्रम, चैरासी कुटिया में ’ध्यान’ और विश्व शान्ति हेतु ’मौन जप’ के आयोजन का ध्येय है कि साधक, शोर से दूर होकर शान्ति की ओर लौटे। इस परिसर  में शान्ति बनायें रखने का पूरा ध्यान रखा गया है क्योंकि यह एक पवित्र स्थान है। यह शोर करने का नहीं बल्कि वहां व्याप्त शान्ति को आत्मसात करने का स्थान है। यहां पर शान्ति बनायें रखने का विशेष ध्यान दिया गया ताकि साधक उस पवित्र क्षेत्र में व्याप्त शान्ति का अनुभव कर सके।


महर्षि आश्रम चौरासी कुटिया में जब 1968 में विश्व प्रसिद्ध अंग्र्रेजी राॅक बैंड, बैंड द बीटल्स आया था, यह बैंड द बीटल्स की 50 वीं वर्षगांठ है। यहां पर उनके द्वारा  लगभग 48  गाने लिखे गये थे और  उन्होंने अत्यधिक प्रसिद्ध प्राप्त हुयी थी। वर्ष 2018 में बैंड द बीटल्स की 50 वीं वर्षगांठ पर  महर्षि  के जीवन और शिक्षाओं को याद रखने हेतु बीटल्स महोत्सव मनाने का आयोजन किया है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती द्वारा ध्यान का आयोजन भी इसी परिपेक्ष्य में किया गया ताकि इस पवित्र महर्षि आश्रम चैरासी कुटिया  से शान्ति का संदेश दुनिया के सभी देशों तक पहुंचे और साधक ध्यान के पथ से परिचित हो सके।महर्षि महेश योगी, जिन्होने ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन (अनुभवातीत ध्यान) तकनीक, जिसका सम्बंध मंत्र ध्यान से है विकसित की थी, जिसने पश्चिम जगत में भारतीय आध्यात्मिक पृष्ठभूमि को नया आयाम परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं परमार्थ निकेतन, अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के प्रेरणास्रोत, स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने बताया कि महर्षि महेश योगी ने भारतीय योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुंचाया है। उन्होने अनुभवातीत ध्यान की वैज्ञानिक विधा से दुनिया को अवगत कराया है यह विश्व के लिये अद्भुत
सौगात है।स्वामी  ने कहा कि योग और ध्यान एक वैज्ञानिक विधा है। योग, कोई एक विषय या ग्रन्थ नहीं बल्कि यह जीवन पद्धति है; जीवन ऊर्जा है। योग का आशय विश्वास से नही बल्कि सत्य से है तथा योग का सम्बंध आन्तरिक और बाह्य दोनों से है अतः योग की ऊर्जा और शक्ति को आत्मिक उत्थान के साथ पर्यावरण संरक्षण के भी लगाये और यही संदेश इस योग की नगरी से लेकर जायें।ब्राजील से पधारे प्रेम बाबा  ने योग साधकों को महर्षि पंतजलि के अष्टांग योग यथा अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, यम-नियम, आसन, प्र्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि के विषय में जानकारी दी।पर्यावरणविद् डाॅ वन्दना शिवा ने कहा कि योग सकारात्मक ऊर्जा का संचार कराता है। जिस प्रकार माँ गंगा पूरे विश्व को एकता के सूत्र में बांधती है उसी प्रकार योग भी एकत्व को जन्म देता है। आज हम परमार्थ निकेतन में दुनिया के लगभग 100 देशों को एक साथ देख रहे है यह भारत के लिये गर्व का क्षण हैं। उन्होने कहा कि जहां पर दुनिया के लगभग आधे देश एकत्र हो वहां से उठी आवाज विलक्षण परिवर्तन कर सकती है। आज पर्यावरण प्रदूषण की समस्या किसी एक राष्ट्र की नहीं अपितु वैश्विक है अतः
समाधन के लिये भी वैश्विक एकता की जरूरत हैं।सांयकालीन सत्र में ग्लोबल म्यूजिक एंड डांस कार्यक्रम के माध्यम से 95 देशों से आये योग साधकोें को यह संदेश दिया कि दुनिया की संस्कृतियों को एक साथ लाया जायें। यह कार्यक्रम रूसी संगीतकार डेनिस कुचेरोव द्वारा पारंपरिक भरतनाट्यम और गुजरात से आये भारत बराई ने गुजराती लोक नृत्य तथा ब्रिटेन, मंगोलिया और दुनिया के अन्य देशों से आये कलाकारों ने अपने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत कर यह संदेश दिया गया की ’हम सब एक है’।ऋषिकेश मूल के वर्तमान में चीन से आये प्रसिद्ध योगाचार्य मोहन भण्डारी योगी योगा, योगाचार्य राधिका नागरथ द्वारा गंगा के तट पर सूर्योदय सूर्य नमस्कार का अभ्यास कराया गया। ब्रिटेन से आयी शाउल डेविड राई ने तंत्र योग, कैलिफोर्निया की योगाचार्य लौरा फ्लम्ब ने शक्ति-ब्रेथ आॅफ लाइफ, न्यूयार्क के जुल्स फर्रे ने जीवमुक्ति योग, शेरेन गैनोन ने जीवमुक्ति योग, जोना फासो ने संस्कृत मंत्र का उच्चारण, फ्राॅन्सका कैसिया द्वारा ओदोका योग का अभ्यास कराया। यह 20 वर्षो से अधिक समय से योग जिज्ञासुओं एवं योग शिक्षकों को योग ट्रेनिंग प्रदान कर रही है।गुजरात के भरत बराई और अक्षय पटेल द्वारा भारतीय शास्त्रीय नृत्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। भरत बराई कई देशों में भरतनाट्यम की शिक्षा देते है।


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