दिवंगत कल्पना चावला की स्मृति में किया पौधा रोपण
ऋषिकेश --परमार्थ निकेतन में देश का नाम रोशन करने वाली बेटी कल्पना चावला की पुण्यतिथि पर उन्हे श्रद्धाजंलि दी तथा परमार्थ प्रांगण में कल्पना चावला की स्मृति में शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा रोपित किया गया। परमार्थ परिवार के साथ लद्दाख से आयी युवा बौद्ध भिक्षुणियाें एवं विदेशी सैलानियों ने कुछ क्षण मौन रहकर उनके आत्मा की शान्ति हेतु प्रार्थना की।परमार्थ गंगा आरती में 2003 को दुर्घटनाग्रस्त हुये कोलंबिया अंतरिक्ष यान में मारे गये सातों अंतरिक्ष यात्रियों को समर्पित की गयी।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत की बेटियाें से आह्वान किया कि बेटियाँ केवल सपने देखे ही नहीं बल्कि उसे पूरा भी करे
कल्पना चावला की तरह। भारत की हर नारी में एक कल्पना बसी है अतः उन्हे सम्मान दे; अवसर दे और संसाधन प्रदान करें ताकि देश की ये कल्पनायें ऊँची उड़ान भर सकें। बेटियों की कल्पना, कल्पना न रह जायें, उनका सपना, सपना न रह जायें बल्कि जीवन की हर ऊँचाई को वह छू सके। उन्होनेे कहा कि आज के युग में बेटियों को ’’संरक्षण नहीं, संसाधन चाहियें’’, वे प्रतिभाशाली और अद्म्य साहसी हैं। परन्तु एक कटु सत्य यह भी है कि आज भी हम बेटियों पर बेटों जैसा विश्वास नहीं कर पाते, इसका प्रमाण हमारे देश के लिंगानुपात से लगाया जा सकता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सरकार ’बेटी बचाओेेेे, बेटी पढ़ाओ’ और अनेक ऐसे अभियान चला रही है परन्तु बेटियों को सुरक्षित रखना समाज की सोच पर निर्भर करता है। सोच बदलेगी तो ही बेटियों का संघर्ष, प्रतिभा और चुनौतियाँ दिखाई देंगी। भारतीय महिलाओं की उपलब्धियों की सूची बहुत बड़ी है बस उस पर गौर करने की जरूरत है, वे किसी से कमतर नहीं है बस उन पर विश्वास करने की आवश्यकता है।’
लद्दाख से आयी बौद्ध भिक्षुणियों के विषय मेें जानकारी देते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हम लद्दाख में इन बौद्ध भिक्षुणियों के स्कूल के लिये एक प्लान कर रहे है जिसके अन्तर्गत वहाँ पर इन कन्याओं के स्कूल में अलग शौचालय की सुविधायें उपलब्ध करायी जायेंगी। साथ ही अप्रैल केेे अंत में वहां की स्थानीय जनता और बौद्ध भिक्षुओं को साथ लेकर वहां पर हजारों की संख्या में फलदार पौधों का रोपण किया जायेगा ताकि स्थानीय लोगों को पोषण के साथ आजीविका के साधन भी प्राप्त हो सके।लद्दाख से आयी बौद्ध भिक्षुणियों का दल तीन माह के लिये परमार्थ निकेतन आया हुआ है। उन्हे परमार्थ निकेतन में संस्कृत का प्रशिक्षण दिया जा रहा है साथ ही उन्हे योग, आसन, प्राणायाम, ध्यान, अध्यात्म एवं विश्व शौचालय काॅलेज में स्वच्छता के विभिन्न आयामों का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है जिससे वे सभी भविष्य में सशक्त नारी के स्वरूप में अपने को स्थापित कर सके तथा लद्दाख जाकर अन्य बौद्ध भिक्षुणियों एवं लामा को भी स्वच्छता एवं जल संरक्षण के लिये शिक्षित कर सके।सांयकालीन परमार्थ गंगा आरती कल्पना चावला एवं देश की नारी शक्ति को समर्पित की गई।
कल्पना चावला की तरह। भारत की हर नारी में एक कल्पना बसी है अतः उन्हे सम्मान दे; अवसर दे और संसाधन प्रदान करें ताकि देश की ये कल्पनायें ऊँची उड़ान भर सकें। बेटियों की कल्पना, कल्पना न रह जायें, उनका सपना, सपना न रह जायें बल्कि जीवन की हर ऊँचाई को वह छू सके। उन्होनेे कहा कि आज के युग में बेटियों को ’’संरक्षण नहीं, संसाधन चाहियें’’, वे प्रतिभाशाली और अद्म्य साहसी हैं। परन्तु एक कटु सत्य यह भी है कि आज भी हम बेटियों पर बेटों जैसा विश्वास नहीं कर पाते, इसका प्रमाण हमारे देश के लिंगानुपात से लगाया जा सकता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सरकार ’बेटी बचाओेेेे, बेटी पढ़ाओ’ और अनेक ऐसे अभियान चला रही है परन्तु बेटियों को सुरक्षित रखना समाज की सोच पर निर्भर करता है। सोच बदलेगी तो ही बेटियों का संघर्ष, प्रतिभा और चुनौतियाँ दिखाई देंगी। भारतीय महिलाओं की उपलब्धियों की सूची बहुत बड़ी है बस उस पर गौर करने की जरूरत है, वे किसी से कमतर नहीं है बस उन पर विश्वास करने की आवश्यकता है।’
लद्दाख से आयी बौद्ध भिक्षुणियों के विषय मेें जानकारी देते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हम लद्दाख में इन बौद्ध भिक्षुणियों के स्कूल के लिये एक प्लान कर रहे है जिसके अन्तर्गत वहाँ पर इन कन्याओं के स्कूल में अलग शौचालय की सुविधायें उपलब्ध करायी जायेंगी। साथ ही अप्रैल केेे अंत में वहां की स्थानीय जनता और बौद्ध भिक्षुओं को साथ लेकर वहां पर हजारों की संख्या में फलदार पौधों का रोपण किया जायेगा ताकि स्थानीय लोगों को पोषण के साथ आजीविका के साधन भी प्राप्त हो सके।लद्दाख से आयी बौद्ध भिक्षुणियों का दल तीन माह के लिये परमार्थ निकेतन आया हुआ है। उन्हे परमार्थ निकेतन में संस्कृत का प्रशिक्षण दिया जा रहा है साथ ही उन्हे योग, आसन, प्राणायाम, ध्यान, अध्यात्म एवं विश्व शौचालय काॅलेज में स्वच्छता के विभिन्न आयामों का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है जिससे वे सभी भविष्य में सशक्त नारी के स्वरूप में अपने को स्थापित कर सके तथा लद्दाख जाकर अन्य बौद्ध भिक्षुणियों एवं लामा को भी स्वच्छता एवं जल संरक्षण के लिये शिक्षित कर सके।सांयकालीन परमार्थ गंगा आरती कल्पना चावला एवं देश की नारी शक्ति को समर्पित की गई।
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