सफलता की प्रथम सीढ़ी ईमानदारी-- डॉ. हर्षवर्धन

हरिद्वार- देवसंस्कृति विश्वविद्यालय का 32वाँ ज्ञान दीक्षा समारोह  विवि के मृत्युंजय सभागार में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विवि द्वारा संचालित समग्र स्वास्थ्य प्रबंधन, योग व धर्मविज्ञान के छः मासीय पाठ्यक्रम के नवप्रवेशी विद्यार्थियों ने आचार्यों द्वारा दी गयी शिक्षा को ईमानदारी व कर्तव्यपरायणता के साथ निबाहने का संकल्प लिया।समारोह के मुख्य अतिथि भारत सरकार के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, वन व पर्यारण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मानवीय मूल्यों को स्मरण कराने वाले विश्वविद्यालय द्वारा दिये गये शिक्षण को ईमानदारी के साथ अपनायेंगे, तो सफलता अवश्य मिलेगी। विवि के साथ अपने सकारात्मक सपनों को जोड़कर आगे बढ़ेंगे तो समाज को एक नई दिशा में सार्थक पहल कही जायेगी। बाल्यावस्था में गुरुजनों से मिली सीख को याद करते हुए उन्होंने कहा कि सच्चाई व कर्त्तव्यनिष्ठा वह पूँजी है, जिससे इच्छित क्षेत्र मे आगे बढ़ा जा सकता है। स्वामी विवेकानंद, पं. श्रीराम शर्मा आचार्यश्री ने इसे जीवन में अपनाकर दिखा दिया है।केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि बड़ी-बड़ी डिग्री  लेने के बजाय
 इंसानियत की डिग्री लेना ज्यादा आवश्यक है। जिसमें इंसानियत आ गयी, वह समाज के सकारात्मक विकास की ही बात सोचेगा और करेगा। ऐसे लोगों के नाम ही इतिहास में दर्ज होते हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विवि द्वारा रिसाइक्लिनिंग किये जा रहे कार्यों की सराहना की। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हिन्दु संस्कृति की पवित्रता को अक्षुण्य बनाये रखने के लिए जिस तरह  आचार्य ने कार्य किया है, वह अभिनंदनीय है। आचार्य स्वतंत्रता संग्राम से लेकर प्रत्येक विषयों पर प्रचुर साहित्य लिखकर दिये हैं, यह असाधारण पुरुषार्थ है।देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि आज समाज में प्रगति का ऑकलन सांसारिक सफलता पर किया जाता है, जबकि होना यह चाहिए कि मनुष्य अपने जीवन को सुसंस्कारित करने के साथ भारतीय संस्कृति के विरासत को संभालने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे। स्वामी विवेकानंद, छत्रपति शिवाजी, पं.श्रीराम शर्मा आचार्य आदि महापुुरुषों ने अपने जीवनकाल में भारत की विरासत को सँभालने में अच्छी सफलता प्राप्त की है। हम सभी समाज की भ्रांतियों को मिटाने व भारत के विकास में योगदान देने के लिए संकल्पित हो आगे बढ़ें। कुलपति शरद पारधी ने कहा कि गुण,कर्म, स्वभाव के साथ उज्ज्वल भविष्य की संरचना
की दिशा में आगे बढ़ेंगे, तो जीवन में सफलता अवश्य मिलेगी। अपनी क्षमता का विकास हेतु विवि द्वारा दिये जा रहे प्रशिक्षण में पूरी तन्मयता के साथ जुड़ेंगे तो निश्चित ही आपके आंतरिक गुणों का परिमार्जन होगा। इससे पूर्व समारोह का शुभारंभ केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन , कुलपति  शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या, शांतिकुंज व्यवस्थापक  शिवप्रसाद मिश्र एवं कुलसचिव  संदीप कुमार ने दीप प्रज्वलन कर किया। विवि के कुलगीत के बाद देसंविवि के कुलपति  शरद पारधी ने अतिथियों का स्वागत किया। कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या उन्हें ज्ञानदीक्षा के संकल्प दिलाये।  उदयकिशोर मिश्र ने ज्ञानदीक्षा का कर्मकाण्ड कराया। इस मौके पर विवि की ई-न्यूज पेपर रेनासा, रिसर्च जर्नल एवं संस्कृति संचार के नवीन संस्करण का अतिथियों ने विमोचन किया। केन्द्रीय मंत्री ने चयनित विद्यार्थियों को विवि के प्रतीक चिह्न व बैज प्रदान किया। इस अवसर पर देसंविवि के आचार्यगण, शांतिकुंज परिवार के वरिष्ठ सदस्य तथा देश के कोने-कोने से आये विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकगण उपस्थित रहे।केन्द्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने हस्तकरघा, रिसाइक्लिंग सेंटर व स्मृति उपवन का निरीक्षण किया।कार्यक्रम के पश्चात केन्द्रीय मंत्री ने अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेया शैलदीदी व श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या से मिलकर राष्ट्र के विकास में युवाओं की भागीदारी पर चर्चा की। इस अवसर पर डॉ. पण्ड्या ने केन्द्रीय मंत्री का मंगल तिलक,उपवस्त्र व युग साहित्य भेंटकर सम्मानित किया। वहीं केन्द्रीय मंत्री ने डॉ. पण्ड्या  को अपनी पुस्तक भेंट की।

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