उन्नति का संकल्प पर्व है वसंत-- शैलदीदी

हरिद्वार-शांतिकुंज की अधिष्ठात्री शैल दीदी ने कहा कि वसंत संत की तरह होता है। वह सूर्य की भांति सभी प्राणी में समान भाव से प्यार, उमंग, उत्साह उडेलता है। उन्होंने कहा कि विवेकानंद, मीरा, पं श्रीराम शर्मा आचार्य आदि के जीवन में जब वसंत आया तो, उन्होंने वह कर दिखाये, जिससे समाज युगों तक प्रेरणा व प्रकाश प्राप्त करता रहेगा। शैलदीदी शांतिकुंज में वसंतोत्सव के अवसर पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि जब वसंत स्थूल शरीर में उतरता है, तो बल बढ़ता है, और सूक्ष्म शरीर में उतरता है, तो वैचारिक क्षमता का विकास होता है। दण्डी स्वामी, राजा विश्वरथ, एकलव्य आदि की जीवन में उतरे वसंत ने उन्हें महान बना दिया। शैलदीदी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि युवावस्था की वासंती उमंग को लेकर कठिन से कठिनतम कार्य को भी सहज रूप से पूरा किया जा सकता है।इससे पूर्व मुख्य कार्यक्रम के दौरान 
 शैलदीदी ने पर्व की पूजा अर्चना कर सर्वे भवन्तु सुखिनः की प्रार्थना की।अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख  डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि वसंत का दूसरा नाम युवा है। जीवन में जब युवावस्था आती है, तब वसंत का उल्लास छा जाता है। आज से तीन दिन बाद महाराष्ट्र के नागपुर में देश भर से कई हजार युवा अपने वासंती उल्लास के साथ जीवन में नये परिवर्तन के लिए पहुँचेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के हर युवा समाज के नवनिर्माण में अग्रसर हों, तो यह वसंत सार्थक होगा।मुख्य कार्यक्रम के दौरान संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने स्वाहिली (तन्जानिया देश की प्रमुख भाषा), मराठी व पंजाबी भाषा की सात पुस्तकों का विमोचन किया। इस अवसर पर गायत्री परिवार के हजारों लोगों ने पूज्य आचार्य की समाधि पर पुष्प अर्पित कर उनके बताये सूत्रों को अपनाने का संकल्प लिया, तो वहीं युवाओं ने समाज को विकसित करने में हरसंभव सहयोग करने की शपथ ली। मंच संचालन प्रो. प्रमोद भटनागर ने किया। देश-विदेश से आये गायत्री साधकों ने पूज्य आचार्यश्री के पावन समाधि में श्रद्धांजलि अर्पित कर वसुधैव कुटुम्बकम् की प्रार्थना की। इस अवसर पर भारत के अलावा यूएस, यूके, कनाडा, रसिया, साऊथ आफ्रिका, नेपाल आदि देशों के हजारों लोग उपस्थित थे।विभिन्न संस्कार हुए -वसंत पर्व की पावन वेला में युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्य के प्रतिनिधि के रूप शैलदीदी ने शताधिक लोगों को गुरूदीक्षा दी, तो वहीं देश के विभिन्न राज्यों से आये बटुकों ने यज्ञोपवीत संस्कार कराये। छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तराखण्ड सहित विभिन्न प्रांतों से आये 13 युवा दम्पतियों ने आदर्श विवाह के बंधन में बँधे। नामकरण, मुण्डन, विद्यारंभ सहित कई संस्कार बड़ी संख्या में सम्पन्न हुए। सायं दीपमहायज्ञ में आचार्य के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के संकल्प लिये गये।

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