मकर संक्राती के अवसर पर निकाला नगर कीर्तन
देहरादून - श्री गुरू गोबिंद सिह जी महाराज के परोपकारी जीवन के अनमोल इतिहास को याद करते हुए मकर संक्राती के अवसर पर श्री गुरूद्वारा साहिब डाकरा द्वारा खालसाई शान के साथ भव्य नगर कीर्तन का आयोजन किया। श्री गुरूद्वारा साहिब डाकरा से अरदास के बाद पंज प्यारों की अगुवाई मे फूलो से सजी पालकी मे सुशेभित गुरू ग्रन्थ साहिब की सवारी नगर कीर्तन के लिए निकली।
गुरूवाणी के गायन से द्रोणनगरी गूंज उठी। जो बोले सो निहाल के जयघोश के साथ नगर कीर्तन मे सबसे आगे निशान साहिब लेकर घोडां पर सवार बच्चो का दल चल रहा था। अखाडो के बच्चो ने गतका, तलवारबाजी, लाठी डंडो के साथ हैरतअंगेज करतब दिखाए जिसे देखकर सभी को दांतो तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया। इस बार नगर कीर्तन की विशेष शोभा बढाने के लिए पंजाब से पाईप बैंड विशेष तौर से बुलाया गया था। बैंड बाजें की धुन पर कीर्तन गुरूवाणी का गायन करते हुए बडी संख्या मे सिख संगत नगर कीर्तन मे शामिल हुए। विभिन्न क्षेत्रो से आई संगत एवं शब्दी जत्थों ने गुरूवाणी व कीर्तन गायन कर संगतो को निहाल किया। शब्दी जत्थों ने गुरूओ का गुणगान करते हुए माहौल को भक्तिमय बना दिया। नगर कीर्तन जहां से भी होकर गुजरा संगतो ने सडक की सफाई कर नगर कीर्तन के आगे आगे फूल बिखेरे। पंज प्यारों की अगुवाई मे सुंदर फूलो से सजी पालकी मे श्री गुरू ग्रन्थ साहिब को विराजमान किया गया था। संगतों एवं भक्तों ने गुरू महाराज का आशीर्वाद लिया व प्रसाद ग्रहण किया।
गुरूवाणी के गायन से द्रोणनगरी गूंज उठी। जो बोले सो निहाल के जयघोश के साथ नगर कीर्तन मे सबसे आगे निशान साहिब लेकर घोडां पर सवार बच्चो का दल चल रहा था। अखाडो के बच्चो ने गतका, तलवारबाजी, लाठी डंडो के साथ हैरतअंगेज करतब दिखाए जिसे देखकर सभी को दांतो तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया। इस बार नगर कीर्तन की विशेष शोभा बढाने के लिए पंजाब से पाईप बैंड विशेष तौर से बुलाया गया था। बैंड बाजें की धुन पर कीर्तन गुरूवाणी का गायन करते हुए बडी संख्या मे सिख संगत नगर कीर्तन मे शामिल हुए। विभिन्न क्षेत्रो से आई संगत एवं शब्दी जत्थों ने गुरूवाणी व कीर्तन गायन कर संगतो को निहाल किया। शब्दी जत्थों ने गुरूओ का गुणगान करते हुए माहौल को भक्तिमय बना दिया। नगर कीर्तन जहां से भी होकर गुजरा संगतो ने सडक की सफाई कर नगर कीर्तन के आगे आगे फूल बिखेरे। पंज प्यारों की अगुवाई मे सुंदर फूलो से सजी पालकी मे श्री गुरू ग्रन्थ साहिब को विराजमान किया गया था। संगतों एवं भक्तों ने गुरू महाराज का आशीर्वाद लिया व प्रसाद ग्रहण किया।
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