लैन्सडाउन इको टूरिज्म सर्किट विषय पर बैठक
देहरादून -प्रदेश के वन एवं वन्य जीव, पर्यावरण एवं ठोस, अपशिष्ट निवारण, श्रम, सेवायोजन, प्रशिक्षण, आयुष एवं आयुष शिक्षा मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में विधान सभा सभागार में कोटद्वार-लैन्सडाउन इको टूरिज्म सर्किट विषय पर बैठक हुई। वनमंत्री ने कहा कि कोटद्वार से कार्बेट नेशनल पार्क का प्रवेश खुलने से वन्य जन्तु प्रेमी व पर्यटकों को जहाँ कम दूरी तय कर पर्यावरण व वन्य जन्तु का दर्शन का लाभ मिलेगा वहीं स्थानीय युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिलने से पलायन रूकेगा। वनों के संरक्षण में अधिक से अधिक जन सहभागिता बढ़ाने बेरोजगार को रोजगार के अवसर सुलभ कराने को लेकर कोटद्वार से कार्बेट पार्क प्रवेश द्वार शुरू कराने की सरकार ने अच्छी पहल की है।
डाॅ0 रावत ने कहा कि सरकार द्वारा रोजगार के अवसर बढ़ाने व पलायन रोकने को लेकर ऋषिकेश, रामनगर, चम्पावत व टौन्स ईको टूरिज्म सर्किट विकसित करने की योजना है। जिसमें सर्वप्रथम कोटद्वार ईको टूरिज्म सर्किट विकसित किया जा रहा है। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोटद्वार ईको टूरिज्म सर्किट के अन्तर्गत आने वाले वन विश्राम गृह सनेह, लालढांग, गूलरझाला, चिडियापुर, रसियागढ़, कोल्हूचैड़, सेंधीखाल वन विश्राम गृहों में पुनर्निमाण कार्य ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन करेगा। ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन 7 बंग्लों के प्रस्ताव वन विभाग को भेजेगा। वनमंत्री ने निर्देश दिये कि ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन इन विश्राम गृहों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ेगा। यदि कारर्पोरेशन इन विश्रामगृहों को आवास के अलावा अन्य व्यवसायिक उपयोग करना चाहें तो, इसके लिए वांछित प्रस्ताव पर केन्द्र से अनुमति की आवश्यकता होगी जिसके लिए कारर्पोरेशन केन्द्र से अनुमति प्राप्त करेगा। चिल्लरखाल-लालढांग क्षतिग्रस्त 11 किलोमीटर मोटरमार्ग की मरम्मत का कार्य शीघ्र पूरा कराने के निर्देश वन मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत ने दिये। उनका कहना था, कि यह मार्ग हरिद्वार-कोटद्वार मार्ग का ही अंश है, जो प्रयोग न होने के कारण यातायात हेतु सुचारू नहीं है। अतः इसकी मरम्मत करने पर वन विभाग को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि हरिद्वार-कोटद्वार मोटरमार्ग वन विभाग के अभिलेखों में सन 1977 में पक्के मार्ग के रूप में दर्ज है। उनका कहना था कि पूर्व से निर्मित इस 11 किमी0 लालढांग-चिल्लरखाल अंश के ठीक-ठाक कर देने से पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों को कम लागत और कम समय में लोगों को आवागमन की बेहत्तर सुविधा उपलब्ध होगी। उनका कहना था, हरिद्वार-कोटद्वार मोटर मार्ग पर वन विभाग का स्वामित्व है। लोक निर्माण विभाग मार्ग अनुरक्षण में विशेषज्ञ संस्था होने के कारण इस अंश की रिपेयरिंग हेतु कार्यदायी संस्था के रूप में कार्य करेगी। डाॅ0 रावत ने प्रबन्ध निदेशक को निर्देश दिये, कि पर्यटकों को जानकारी देने हेतु राष्ट्रीय राज मार्गों हवाई अड़डों में साइनेज स्थापित करायें। वनमंत्री डाॅ हरक सिंह रावत ने ईको टूरिज्म कारपोरेशन के प्रबन्ध निदेशक को निर्देश दिये कि प्रदेश में पर्यावरणीय पर्यटन को मूर्तरूप देने हेतु ईको टूरिज्म कारपोरेशन का ढाॅचा के प्रस्ताव शीघ्र कैबिनेट में लाया जाय। बैठक में अपर मुख्य सचिव डाॅ0 रणवीर सिंह, नोडल अधिकारी विनोद सिंघल, प्रबन्ध निदेशक ईको टूरिज्म कारपोरेशन अनूप मलिक, अपर सचिव वन विभाग सुभाष चन्द्र, मुख्य वन संरक्षक शिवालिक भुवन चन्द्र, वन संरक्षक शिवालिक मिनाक्षी जोशी आदि मौजूद थे।
डाॅ0 रावत ने कहा कि सरकार द्वारा रोजगार के अवसर बढ़ाने व पलायन रोकने को लेकर ऋषिकेश, रामनगर, चम्पावत व टौन्स ईको टूरिज्म सर्किट विकसित करने की योजना है। जिसमें सर्वप्रथम कोटद्वार ईको टूरिज्म सर्किट विकसित किया जा रहा है। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोटद्वार ईको टूरिज्म सर्किट के अन्तर्गत आने वाले वन विश्राम गृह सनेह, लालढांग, गूलरझाला, चिडियापुर, रसियागढ़, कोल्हूचैड़, सेंधीखाल वन विश्राम गृहों में पुनर्निमाण कार्य ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन करेगा। ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन 7 बंग्लों के प्रस्ताव वन विभाग को भेजेगा। वनमंत्री ने निर्देश दिये कि ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन इन विश्राम गृहों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ेगा। यदि कारर्पोरेशन इन विश्रामगृहों को आवास के अलावा अन्य व्यवसायिक उपयोग करना चाहें तो, इसके लिए वांछित प्रस्ताव पर केन्द्र से अनुमति की आवश्यकता होगी जिसके लिए कारर्पोरेशन केन्द्र से अनुमति प्राप्त करेगा। चिल्लरखाल-लालढांग क्षतिग्रस्त 11 किलोमीटर मोटरमार्ग की मरम्मत का कार्य शीघ्र पूरा कराने के निर्देश वन मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत ने दिये। उनका कहना था, कि यह मार्ग हरिद्वार-कोटद्वार मार्ग का ही अंश है, जो प्रयोग न होने के कारण यातायात हेतु सुचारू नहीं है। अतः इसकी मरम्मत करने पर वन विभाग को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि हरिद्वार-कोटद्वार मोटरमार्ग वन विभाग के अभिलेखों में सन 1977 में पक्के मार्ग के रूप में दर्ज है। उनका कहना था कि पूर्व से निर्मित इस 11 किमी0 लालढांग-चिल्लरखाल अंश के ठीक-ठाक कर देने से पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों को कम लागत और कम समय में लोगों को आवागमन की बेहत्तर सुविधा उपलब्ध होगी। उनका कहना था, हरिद्वार-कोटद्वार मोटर मार्ग पर वन विभाग का स्वामित्व है। लोक निर्माण विभाग मार्ग अनुरक्षण में विशेषज्ञ संस्था होने के कारण इस अंश की रिपेयरिंग हेतु कार्यदायी संस्था के रूप में कार्य करेगी। डाॅ0 रावत ने प्रबन्ध निदेशक को निर्देश दिये, कि पर्यटकों को जानकारी देने हेतु राष्ट्रीय राज मार्गों हवाई अड़डों में साइनेज स्थापित करायें। वनमंत्री डाॅ हरक सिंह रावत ने ईको टूरिज्म कारपोरेशन के प्रबन्ध निदेशक को निर्देश दिये कि प्रदेश में पर्यावरणीय पर्यटन को मूर्तरूप देने हेतु ईको टूरिज्म कारपोरेशन का ढाॅचा के प्रस्ताव शीघ्र कैबिनेट में लाया जाय। बैठक में अपर मुख्य सचिव डाॅ0 रणवीर सिंह, नोडल अधिकारी विनोद सिंघल, प्रबन्ध निदेशक ईको टूरिज्म कारपोरेशन अनूप मलिक, अपर सचिव वन विभाग सुभाष चन्द्र, मुख्य वन संरक्षक शिवालिक भुवन चन्द्र, वन संरक्षक शिवालिक मिनाक्षी जोशी आदि मौजूद थे।
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