स्वर्गाश्रम में आयोजित समरसता एवं स्वच्छता सम्मेलन
ऋषिकेष-परमार्थ निकेतन के तत्वाधान में स्वर्गाश्रम में आयोजित समरसता एवं स्वच्छता सम्मेलन में उत्तरखण्ड विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल व् परमार्थ निकेतन के संस्थापक स्वामी चिदानन्द मुनि ने कार्यक्रम का दीप प्रज्वलन कर शुभारम्भ किया।इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेम अग्रवाल ने कहा कि स्वच्छता और सामाजिक एकता की दिशा में हर व्यक्ति अपने स्तर पर प्रयास करेगा तो थोड़े ही समय में समाज की तस्वीर सकारात्मक रूप से बदली हुई मिलेगी। स्वच्छता समरसता संदेश रैली का मूल उद्देश्य भी यही है कि जिले के साथ-साथ प्रदेश के कोने-कोने में स्वच्छता के साथ-साथ सामाजिक
भाईचारे के रूप में समरसता का संदेश भी पहुंचे। उन्होंने कहा जब किसी भी स्तर पर भेदभाव पैदा होता है तो सामाजिक समस्या पैदा होती है, ऐसे में किसी भी समाज में समरसता का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।हमारे प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के प्रति अत्यंत गंभीर है। उनके इस महत्वाकांक्षी योजना को सफल बनाने के लिए जन- जन की भागीदारी अहम है। सबको स्वच्छता के प्रति जागरूक कर ही इस योजना को सफल बनाया जा सकता है। मैं सभी से आह्वान करती हूँ कि वे स्वच्छता के प्रति सचेष्ट हों तथा अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए प्रयासरत रहें।सामन्यतः दो प्रकार की स्वच्छता होती है पहली शारिरीक स्वच्छता दूसरी अांतरीक स्वच्छता। शारिरीक स्वच्छता में अत्माविस्वास के साथ अच्छा होने का अनुभव कराती है मगर अंतरिक स्वच्छता में मानसिक शांति प्रदान करती है और चिंताओ से दूर करती है। शरीर और मस्तिक को साफ और शांति पूर्ण रखना ही पूरी स्वच्छता है। पूरानी कहावत है कि स्वच्छता भक्ती से भी बढ कर है। स्वच्छता उस अच्छी आदता की तरह है जो न केवल एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाती है बल्की यह एक परिवार समाज और देश को भी लाभ पहुचाती है।सामाजिक समारसता की बात करें तो भारत पथ निरपेक्ष राष्ट है जहा विभिन्न जाती धर्म समुदाय के लोग आपसी भाई चारे की भावना के साथ निवास करते है।हमारी एकता वासुदेव कोटुम्बकम पर आधारित है।
भाईचारे के रूप में समरसता का संदेश भी पहुंचे। उन्होंने कहा जब किसी भी स्तर पर भेदभाव पैदा होता है तो सामाजिक समस्या पैदा होती है, ऐसे में किसी भी समाज में समरसता का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।हमारे प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के प्रति अत्यंत गंभीर है। उनके इस महत्वाकांक्षी योजना को सफल बनाने के लिए जन- जन की भागीदारी अहम है। सबको स्वच्छता के प्रति जागरूक कर ही इस योजना को सफल बनाया जा सकता है। मैं सभी से आह्वान करती हूँ कि वे स्वच्छता के प्रति सचेष्ट हों तथा अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए प्रयासरत रहें।सामन्यतः दो प्रकार की स्वच्छता होती है पहली शारिरीक स्वच्छता दूसरी अांतरीक स्वच्छता। शारिरीक स्वच्छता में अत्माविस्वास के साथ अच्छा होने का अनुभव कराती है मगर अंतरिक स्वच्छता में मानसिक शांति प्रदान करती है और चिंताओ से दूर करती है। शरीर और मस्तिक को साफ और शांति पूर्ण रखना ही पूरी स्वच्छता है। पूरानी कहावत है कि स्वच्छता भक्ती से भी बढ कर है। स्वच्छता उस अच्छी आदता की तरह है जो न केवल एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाती है बल्की यह एक परिवार समाज और देश को भी लाभ पहुचाती है।सामाजिक समारसता की बात करें तो भारत पथ निरपेक्ष राष्ट है जहा विभिन्न जाती धर्म समुदाय के लोग आपसी भाई चारे की भावना के साथ निवास करते है।हमारी एकता वासुदेव कोटुम्बकम पर आधारित है।
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