जीबी पंत विवि पर्वतीय खेती के विकास पर फोकस करे: राज्यपाल
देहरादून- पं.गोविंद बल्लभ पंत कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय के 31 वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि राज्यपाल डा. के.के. पाॅल व कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने 1261 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की।राज्यपाल ने डिग्री पाने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई व उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। राज्यपाल ने कहा कि जी.बी पंत विश्वविद्यालय ने सदैव देश को उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान की हैं।
देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने में इस विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अब इस विश्वविद्यालय को पोषण-सुरक्षा सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभानी होगी।राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ये कथन कि भारत गांवों में निवास करता है, आज भी सही है। बिना कृषि के तरक्की सम्भव नहीं है। उत्तराखण्ड की बड़ी जनसंख्या कृषि व पशुपालन पर निर्भर है। यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए पर्वतीय खेती पर विशेष ध्यान देना होगा। कृषि-जोतों के छोटे व बिखरे होने के कारण पर्वतीय खेती की उत्पादकता बहुत कम होती है। पर्वतीय खेती के लिए स्टोरेज, सप्लाई-चैन, खाद्य प्रसंस्करण आदि सुविधाएं उपलब्ध करवानी होंगी। पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए पोष्टिक चारा व यहां के डेयरी आधारित उत्पादों को मार्केट उपलब्ध करवाना होगा। राज्यपाल ने कहा कि पर्वतीय खेती में अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। चाय, आॅफ-सीजन सब्जियां, फल, बीज के उत्पादन के लिए यहां की जलवायु अनुकूल है। उत्तराखण्ड में काफल, खूबानी, अखरोट आदि फल पोष्टिक होते हैं और बाजार में इनकी बेहतर कीमत भी मिलती है। हिमालय उच्च कोटि के औषधीय व सगंध(एरोमेटिक) पौधों के लिए जाना जाता है फलों, फूलों, सब्जियों, औषधीय व सगंध पौधों की मैपिंग की जाएं। बद्री गाय व ओर्गेनिक खेती पर रिसर्च को प्रोत्साहित किया जाए।कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने इस दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी। साथ ही उत्तराखण्ड के विषिष्ट उत्पादों के मूल्य संवर्धन हेतु एक कृषि उत्पाद अनुसंधान एंव प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना के लिए भी कहा, ताकि प्रदेश के युवाओं एवं छोटे उद्यमियों को विभिन्न प्रकार की लघु औद्योगिक इकाईयों को विकसित करने में सहायता मिल सके।इस दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति, डा. के.के. पाॅल, ने 1261 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। साथ ही 41 विद्यार्थियों को विभिन्न पदक प्रदान किये गये, जिनमें 14 विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक, 15 विद्यार्थियों को कुलपति रजत पदक तथा 12 विद्यार्थियों को कुलपति कांस्य पदक प्रदान किये गये। सर्वोत्तम स्नातक विद्यार्थी को दिया जाने वाला कुलाधिपति स्वर्ण पदक, कविता बिष्ट को दिया गया। इनके अतिरिक्त 6 विद्यार्थियों को विभिन्न अवार्ड प्रदान किये गये, जिनमें एक विद्यार्थी को पूरन आनन्द अदलखा स्वर्ण पदक अवार्ड, एक विद्यार्थी को सरस्वती पण्डा स्वर्ण पदक अवार्ड, ,एक विद्यार्थी को नागम्मा शान्ताबाई अवार्ड, एक विद्यार्थी को डा. राम शिरोमणी तिवारी अवार्ड तथा दो विद्यार्थियों को चौधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार सम्मिलित हैं।
देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने में इस विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अब इस विश्वविद्यालय को पोषण-सुरक्षा सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभानी होगी।राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ये कथन कि भारत गांवों में निवास करता है, आज भी सही है। बिना कृषि के तरक्की सम्भव नहीं है। उत्तराखण्ड की बड़ी जनसंख्या कृषि व पशुपालन पर निर्भर है। यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए पर्वतीय खेती पर विशेष ध्यान देना होगा। कृषि-जोतों के छोटे व बिखरे होने के कारण पर्वतीय खेती की उत्पादकता बहुत कम होती है। पर्वतीय खेती के लिए स्टोरेज, सप्लाई-चैन, खाद्य प्रसंस्करण आदि सुविधाएं उपलब्ध करवानी होंगी। पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए पोष्टिक चारा व यहां के डेयरी आधारित उत्पादों को मार्केट उपलब्ध करवाना होगा। राज्यपाल ने कहा कि पर्वतीय खेती में अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। चाय, आॅफ-सीजन सब्जियां, फल, बीज के उत्पादन के लिए यहां की जलवायु अनुकूल है। उत्तराखण्ड में काफल, खूबानी, अखरोट आदि फल पोष्टिक होते हैं और बाजार में इनकी बेहतर कीमत भी मिलती है। हिमालय उच्च कोटि के औषधीय व सगंध(एरोमेटिक) पौधों के लिए जाना जाता है फलों, फूलों, सब्जियों, औषधीय व सगंध पौधों की मैपिंग की जाएं। बद्री गाय व ओर्गेनिक खेती पर रिसर्च को प्रोत्साहित किया जाए।कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने इस दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी। साथ ही उत्तराखण्ड के विषिष्ट उत्पादों के मूल्य संवर्धन हेतु एक कृषि उत्पाद अनुसंधान एंव प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना के लिए भी कहा, ताकि प्रदेश के युवाओं एवं छोटे उद्यमियों को विभिन्न प्रकार की लघु औद्योगिक इकाईयों को विकसित करने में सहायता मिल सके।इस दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति, डा. के.के. पाॅल, ने 1261 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। साथ ही 41 विद्यार्थियों को विभिन्न पदक प्रदान किये गये, जिनमें 14 विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक, 15 विद्यार्थियों को कुलपति रजत पदक तथा 12 विद्यार्थियों को कुलपति कांस्य पदक प्रदान किये गये। सर्वोत्तम स्नातक विद्यार्थी को दिया जाने वाला कुलाधिपति स्वर्ण पदक, कविता बिष्ट को दिया गया। इनके अतिरिक्त 6 विद्यार्थियों को विभिन्न अवार्ड प्रदान किये गये, जिनमें एक विद्यार्थी को पूरन आनन्द अदलखा स्वर्ण पदक अवार्ड, एक विद्यार्थी को सरस्वती पण्डा स्वर्ण पदक अवार्ड, ,एक विद्यार्थी को नागम्मा शान्ताबाई अवार्ड, एक विद्यार्थी को डा. राम शिरोमणी तिवारी अवार्ड तथा दो विद्यार्थियों को चौधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार सम्मिलित हैं।
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