गढ़वाली संगीत के माध्यम से गंगा स्वच्छता एवं संरक्षण का संदेश
ऋषिकेश- परमार्थ गंगा तट पर महिला नवजागरण समिति के गढ़वाली लोक कलाकारों द्वारा गढ़वाली गीत, संगीत एवं नृत्य का आयोजन किया गया।परमार्थ गंगा तट पर गंगा संरक्षण हेतु गढ़वाली संगीत का आयोजन लोक कलाकारों ने दिया गढ़वाली गीत, संगीत एवं नृत्य के माध्यम से गंगा अवतरण, स्वच्छता एवं संरक्षण का संदेश लोक गायक संगीत के माध्यम से प्रसारित करे गंगा स्वच्छता का संदेश परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती की प्रेरणा से शशि रतूडी एवं सहयोगी कलाकारों ने लोक संगीत के माध्यम से माँ गंगा का अवतरण, स्वच्छता एवं संरक्षण का संदेश प्रसारित करने हेतु इस कार्यक्रम का आयोजन किया।
आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सानिध्य में गढ़वाली लोक संगीत कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस कार्यक्रम में सैंकड़ों की संख्या में देशी एवं विदेशी योग साधक, गंगा के उपासक, पर्यटक एवं परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा ’भारतीय लोक नृत्यों के अंतर्गत अनेक स्वरूप और ताल है। इसमें धर्म, व्यवसाय, जाति, स्थान के आधार पर अन्तर पाया जाता है परन्तु हमारी भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं विरासत इसे एकता के सुत्र में बांध कर रखती है। उन्होने कहा, ’हिमालय और गंगा हमारी विरासत है इन विरासतों को संरक्षित, स्वच्छ एवं सुन्दर बनाये रखने के लिये हम सभी को एक साथ खड़ा होना होगा। ’गंगा ने हमें जीवन संगीत दिया है अब संगीतकाराें को गंगा के लिये; हिमालय के लिये खड़े होने की जरूरत है। लोक गायक अपने संगीत एवं नृत्य के माध्यम से जहां भी जायें संगीत के तराणों के साथ गंगा स्वच्छता का संदेश अवश्य प्रसारित करें।स्वामी ने कहा, लोक संस्कृतियों में हिन्दू धर्म की जडे़ं समाहित है। नृत्य एवं संगीत एक समग्र कला है जो भीमबेटक एवं हड़प्पा की सभ्यता के साथ दर्शन, धर्म, मौसम और पर्यावरण के प्रति जन समुदाय को जागरूक करती है। वर्तमान समय में स्वच्छता, जल एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता नितांत आवश्यक है और इसके लिये संगीतकार महती भूमिका निभा सकते है।
स्वामी ने उपस्थित सभी लोग गायकों एवं जनसमुदाय को जल संरक्षण का संकल्प कराया सभी कलाकारों ने स्वच्छ जल की उपलब्धता होती रहे इस भावना से वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की।स्वामी ने पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा लोक गायकों को भेंट किया। इस अवसर पर सुश्री नन्दिनी त्रिपाठी, लौरी, ऐलिस, ऐना, आचार्य दीपक, आचार्य संदीप, नरेन्द्र बिष्ट, राजेश दीक्षित, लक्की सिंह, भगत सिंह उपस्थित थे।
आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सानिध्य में गढ़वाली लोक संगीत कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस कार्यक्रम में सैंकड़ों की संख्या में देशी एवं विदेशी योग साधक, गंगा के उपासक, पर्यटक एवं परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा ’भारतीय लोक नृत्यों के अंतर्गत अनेक स्वरूप और ताल है। इसमें धर्म, व्यवसाय, जाति, स्थान के आधार पर अन्तर पाया जाता है परन्तु हमारी भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं विरासत इसे एकता के सुत्र में बांध कर रखती है। उन्होने कहा, ’हिमालय और गंगा हमारी विरासत है इन विरासतों को संरक्षित, स्वच्छ एवं सुन्दर बनाये रखने के लिये हम सभी को एक साथ खड़ा होना होगा। ’गंगा ने हमें जीवन संगीत दिया है अब संगीतकाराें को गंगा के लिये; हिमालय के लिये खड़े होने की जरूरत है। लोक गायक अपने संगीत एवं नृत्य के माध्यम से जहां भी जायें संगीत के तराणों के साथ गंगा स्वच्छता का संदेश अवश्य प्रसारित करें।स्वामी ने कहा, लोक संस्कृतियों में हिन्दू धर्म की जडे़ं समाहित है। नृत्य एवं संगीत एक समग्र कला है जो भीमबेटक एवं हड़प्पा की सभ्यता के साथ दर्शन, धर्म, मौसम और पर्यावरण के प्रति जन समुदाय को जागरूक करती है। वर्तमान समय में स्वच्छता, जल एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता नितांत आवश्यक है और इसके लिये संगीतकार महती भूमिका निभा सकते है।
स्वामी ने उपस्थित सभी लोग गायकों एवं जनसमुदाय को जल संरक्षण का संकल्प कराया सभी कलाकारों ने स्वच्छ जल की उपलब्धता होती रहे इस भावना से वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की।स्वामी ने पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा लोक गायकों को भेंट किया। इस अवसर पर सुश्री नन्दिनी त्रिपाठी, लौरी, ऐलिस, ऐना, आचार्य दीपक, आचार्य संदीप, नरेन्द्र बिष्ट, राजेश दीक्षित, लक्की सिंह, भगत सिंह उपस्थित थे।
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