माधो सिंह के युद्ध जीत कर श्रीनगर पहुंचने पर क्षेत्र के लोगों ने ईगास बग्वाल मनाई

देहरादून-ईगास बग्वाल महाराजा महिपत शाह को जब तिब्बतियों द्वारा बर्त्वाल बंधुओं की हत्या की सूचना मिली तो उन्होंने माधो सिंह भण्डारी को तिब्बत पर आक्रमण का आदेश दे दिया ।वीर भड़ माधो सिंह ने टिहरी उत्तरकाशी जौनसार श्रीनगर आदि से योद्धा इक्कठा कर तिब्बत पर आक्रमण कर दिया ।इस सेना ने द्वापा नरेश को परास्त कर कर निर्धारित कर दिया व सीमा पर मुनारे गाड़ दिए जिनमें से कुछ मुनारे आज भी उपस्थित हैं और मैक मोहन रेखा का निर्धारण करते समय इन मुनारों को सीमा माना गया। इस बीच माणा द्वार बर्फ से ढक गया और रास्ता खोजते खोजते ये कुमाउं गढ़वाल के दुसांत क्षेत्र में पहुँच गये।
तिब्बत विजय को गई सेना की जब कोई खबर नहीं मिली तो पूरा ईलाका शोक में डूब गया ।उधर माधो सिंह भंडारी के विरोधियों ने उनके मारे जाने की अफवाह फैला दी ।गाँव वालों के इस विरह को कवि ने इस तरह पेश किया बारह ए गैनी बग्वाली मेरो माधो नि आई। सोलह ऐनी श्राद्ध मेरो माधो नी आई।इधर दीपावली आ गई पर इन वीरों की कोई खबर सार ना मिल पाने से दीपोत्सव अध्कारमय ही रहा। उधर भंडारी उछ्नंदन गढ़ पहुँच गये और गढ़पति की कन्या उदिना और उनमे देखते ही प्रेम हो गया मगर दो दिन बाद ही उदिना का विवाह होना था। विवाह में माधो सिंह जौनसारी वीरों को ले नर्तकों के वेश में बारातियों का मनोरंजन करने लगे। उनके तांदी नृत्यो से सभी मन्त्र मुग्ध हो गये। इस खबर पर उदिना भी नृत्य देखने आई । और माधो सिंह को पहचान गई । माधो सिंह का ईशारा मिलते ही नृत्य में खिलौना बनी तलवारे चमक उठी । और माधो सिंह उदिना को भगा लाये । जब माधो सिंह युद्ध जीत कर वापस श्रीनगर पहुंचे तब उन समस्त क्षेत्र के लोगों ने जिनके वीर इस युद्ध में गये थे ईगास बग्वाल मनाई ।


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