जे.एन. यू. छात्र संघ चुनाव में लेफ्ट यूनिटी की जीत पर बधाई. इंद्रेश मैखुरी


जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय भी तो एक और विश्वविद्यालय ही है.तब उसके छात्र संघ चुनाव की मिनट-मिनट की डिटेल क्या रखनी!मैं ऐसा सोच रहा था.तभी अचानक सोशल मीडिया पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय  में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जीत की बधाई वाले समाचारों की बौछार होने लगी.चेक किया तो पाया कि ये तो अफवाह है.चुनाव का परिणाम तो सामने आ ही जाना है तो जीत की अफवाह फैलाने से क्या हासिल?लेकिन लगता है कि इसमें क्या मिलेगा,नहीं मिलेगा का मसला नहीं है.दरअसल कार्यप्रणाली का मसला है.modus operandi ही यह है कि जब मन आये अफवाह फैला दो.हद तो यह हो गयी कि भाजपा के बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय ने तक ख़बरनुमा अफवाह  को ट्वीट कर डाला.उन्होंने कहा कि देश के टुकड़े करने वालों की हार हुई jnu में.सही बात.देश को धर्म के नाम पर,अफ़वाहों और हत्याओं से बांटने वालों,आये दिन इंसानों के टुकड़े टुकड़े करने का जश्न मनाने वालों की हार हुई जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में.लेकिन अफवाह का कार्यप्रणाली बन जाना खतरनाक और त्रासद दोनों ही है.खतरनाक समाज के लिए और त्रासद उस धारा के लिए,जिसकी कार्यप्रणाली ही अफवाह है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय लेकर जो द्वेष का भाव है,वह भी विचित्र है.उसे जीत लेने की जिद यहाँ तक पहुंच जाए कि हकीकत में न सही, अफवाहों में ही जीत लिया जाए!यह मनोदशा स्वस्थ तो नहीं कही जा सकती.छात्र संघ चुनाव से बहुत पहले एक हजरत ने कहा-हमने जेएनयू जीत लिया है ! क्या विश्वविद्यालय ऐसी चीज है कि ताकत के दम पर जीती जा सके?क्या जेएनयू कोई देश है और आप आक्रांता कि आपने उसे जीत लिया है?हम तो बचपन से पढ़ते आये कि दुनियाभर में आक्रांताओं ने किसी देश पर हमला किया तो पुस्तकालयों को जला डाला, विश्वविद्यालयों को रौंदा यदि ऐसी ही आक्रांता निगाह किसी की, देश के विश्वविद्यालयों के प्रति है और उस पर तुर्रा ये कि वे स्वयं को देशभक्ति का झंडाबरदार भी कहें तो वे न  देश जानते हैं और ना ही देशभक्ति.देश को इतना छोटा मत बनाइये कि अपनी जीत पर उसकी जयजयकार के नारे लगाएं और खुद न जीत सके तो देश ही मुरझाता नजर आने लगे.तमाम संस्थानों पर आक्रांता दृष्टि वालों के गद्दीनशीन होने से पहले भी देश था और उनके बेदखल होने के बाद भी देश रहेगा.देश आपके जयकारे पर नहीं टिका है बल्कि उन करोड़ों-करोड़ मेहनतकशों के खून-पसीने से नित बन-संवर रहा है,जो आपके जयकारे की परिधि से बाहर हैं.
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