राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने ब्रह्मलीन स्वामी दयानंद सरस्वती को श्रद्धांजलि अर्पित की
ऋषिकेश-स्वामी दयानंद आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी दयानंद सरस्वती को श्रद्धांजलि अर्पित की।राज्यपाल ने स्वामी दयानंद सरस्वती की पुण्य स्मृति में नमन करते हुए कहा कि सरस्वती ज्ञान, दर्शन व आध्यात्मिकता की अद्भुत मिसाल थे। अध्यात्म के साथ ही मानव जाति की सेवा में भी उनका अविस्मरणीय योगदान रहा है। स्वामी ने ज्ञान-दर्शन व सेवा भाव का जो रास्ता हमें दिखाया है, उस पर चलकर ही मानव कल्याण सम्भव है। मेरा परम सौभाग्य है कि सितम्बर 2015 में प्रधानमंत्री के साथ आश्रम में आने पर मुझे स्वामी का
आर्शीवाद मिला था।राज्यपाल ने कहा कि भारतीय सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। अन्य समकालीन सभ्यताओं में से बहुत सी सभ्यताएं पूरी तरह समाप्त हो चुकी हैं। यह भारतीय सभ्यता ही है जो कि 5 हजार वर्षों से अपना मौलिक स्वरूप बनाए हुए है। धर्म, अध्यात्म व मूल्य आधारित व्यवस्था ही वे ताकतें हैं जिनके कारण भारतीय सभ्यता सदियों से कभी न रूकने वाली धारा की तरह लगातार प्रवाहित हो रही है। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय सभ्यता को बहुत सी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। सबसे पहले 8 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने समाज को ऐसी कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाला। 15 वीं व 16 वीं शताब्दी में गुरू नानक, तुलसीदास, कबीर, मीरा बाई, सूरदास, चैतन्य महाप्रभु व अन्य संत कवियों ने हमारा मार्ग प्रशस्त किया। बाद में 19 वीं शताब्दी में रामकृष्ण, स्वामी विवेकानंद, ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज ने समाज को राह दिखाई।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भारत,भारतीयता एवं हिन्दुत्व की रक्षा में स्वामी का योगदान
भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में स्वीकार्य है। जब भारत एवं भारत की संस्कृति की बात होती है तो उनका स्मरण स्वाभाविक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी परम्परा आदि शंकराचार्य से प्रारंभ हुई, जिसे अग्रदूत के रूप में आगे बढ़ाने का कार्य स्वामी ने किया। आज उनके लाखों भक्त इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत की संस्कृति में प्रहार हो रहे हैं। स्वामी के अनुयायी निश्चित रूप से ऐसा नहीं होने देंगे। मैं इस अवसर पर स्वामी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनके द्वारा दिया गया ज्ञान हम सब का आगे भी मार्गदर्शन करता रहेगा।
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