मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में नीति आयोग की बैठक

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में नीति आयोग की बैठक के दौरान योजनाओं के कार्यान्वयन में राज्य सरकार की समस्याओं एवं उनके निराकरण के संबंध में चर्चा हुई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि राज्य सरकार विकास के प्रति प्रतिबद्ध है। सामरिक दृष्टि से उत्तराखण्ड राज्य बहुत महत्वपूर्ण है। पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण राज्य की अपनी समस्याएं हैं। नेपाल एवं चीन से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा होने के कारण राज्य के सीमांत क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना आवश्यक है, ताकि पलायन को रोका जा सके चर्चा में आयोग के बिबेक देबराॅय, निदेशक नीति आयोग  एस. एस. मीणा एवं सलाहकार डाॅ. जे.पी. मिश्रा के साथ बैठक हुई। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पर्वतीय राज्य होने के कारण राज्य में प्राकृतिक आपदाओं की सम्भावना लगातार बनी रहती है। साथ ही आपदाआें के कारण विकास कार्य भी प्रभावित होते रहते हैं। राज्य में 70 प्रतिशत वन क्षेत्र है जिसके कारण विकास योजनाओं को स्वीकृति मिलने में समस्याएं आती हैं। इको सेंसिटिव जोन होने के कारण राज्य सरकार की बहुत सी योजनाएं लम्बित पड़ी है। प्राकृतिक आपदाओं की संवेदनशीलता के कारण फसल एवं जन-धन हानि का मुआवजा तार्किक बनाया जाना आवश्यक है। आपदा संभावित क्षेत्र एवं बहुद्देशीय जल विद्युत परियोजनाओं के कारण 395 ग्राम पुनर्वासित होने हैं जिसके लिए बहुत अधिक बजट की आवश्यकता है। इसके लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाए।मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य की परिस्थितियों को देखते प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में संशोधन किया जाना चाहिए, इसमें रोप-वे को भी शामिल किया जाना चाहिए। राज्य को स्पेशल कंपोनेंट प्लान के तहत वेटेज दिया जाए। राज्य के पर्वतीय क्षेत्र में पलायन बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। सैनिक, वन क्षेत्र एवं इको सेंसिटिव जोन होने के कारण इन क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विकास को मंजूरी नहीं मिल पा रही है। इन क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान हेतु सड़क एवं रेल कनेक्टिविटी, रोजगार एवं मूलभूत सुविधाओं के विकास में सहयोग किया जाए। इन क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं में मजबूती लाने के लिए शीघ्र मंजूरियां दी जाए।मुख्य सचिव  एस. रामास्वामी ने पर्वतीय राज्यों के लिए नीति आयोग में अलग सेल के गठन की बात कही। उन्होंने सभी छोटी-बड़ी योजना में फंडिंग पैटर्न 90ः10 के अनुपात में रखने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य में फ्लोटिंग पॉपुलेशन एक बड़ा मुद्दा है। तीर्थ यात्रा एवं कावड़ के कारण यातायात व्यवस्था भी बहुत बड़ा मुद्दा बन जाता है। उन्होंने इस प्रकार के मुद्दों के हल के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग की मांग की। सचिव पेयजल अरविंद सिंह ह्यांकी ने बताया की राज्य का ग्रामीण क्षेत्र पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो चुका है। इसे ओडीएफ बनाए रखने के लिए नई योजनाओं को मंजूरी मिलना आवश्यक है। केंद्र  द्वारा नई योजनाओं को स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। केन्द्र का कहना है कि पहले पुरानी योजनाओं को पूर्ण किया जाए। पुरानी योजनाओं को पूर्ण करने हेतु कार्य किया जा रहा है, परन्तु राज्य को ओडीएफ बनाए रखने के लिये नई योजनाओं को मंजूरी मिलना आवश्यक है।बैठक के दौरान नीति आयोग के सदस्य श्री बिबेक देबराॅय एवं अन्य सदस्यों ने आश्वासन दिया कि नीति आयोग हर प्रकार से इसमें सहायता करेगा।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव उमाकांत पंवार एवं सचिव  राधिका झा भी उपस्थित थी।

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