मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जल दिवस के अवसर पर जल संचय एवं जल संरक्षण-संवर्द्धन अभियान का शुभारंभ किया


मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 25 मई जल दिवस के अवसर पर जनता मिलन सभागार, मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय, कैन्ट रोड में जल संचय एवं जल संरक्षण-संवर्द्धन अभियान का शुभारंभ किया। प्रभारी मंत्री मदन कौशिक भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण पर आधारित एक लघु फिल्म का अवलोकन, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा जल सरंक्षण हेतु तैयार प्रचार सामग्री का विमोचन तथा जल संचय एवं संरक्षण हेतु दो जल संचय प्रचार रथों को गढ़वाल एवं कुमाऊॅ मण्डल के लिए रवाना किया। साथ ही मुख्यमंत्री ने टाॅयलेट के सिस्टर्न में एक बोतल रेत की रखकर जल संचय अभियान का शुभारम्भ भी किया।  
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री  रावत ने कहा कि 25 मई से 30 जून तक चलने वाला यह विशेष अभियान मुख्यतः जल संचय, जल सरंक्षण व जन चेतना एवं जागरूकता का अभियान है। जल संचय एव सरंक्षण में सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर जन जागरूकता बढ़ाने का है। यदि सरकारे एवं संस्थाऐं आम आदमी को जल संचय का महत्व समझाने में सफल रहती है तभी यह अभियान सफल माना जाएगा। आम आदमी की सहभागिता किसी भी अभियान को सफल बनाने में आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में 20 लाख टाॅयलेटस है। राज्य की 1.10 करोड़ की आबादी है। प्रति व्यक्ति द्वारा शौचालय प्रयोग के दौरान एक दिन में लगभग 7 से 10 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है। यदि प्रत्येक व्यक्ति एक लीटर पानी भी रोज बचाता है तो सम्पूर्ण राज्य में हम लगभग 1 करोड़ लीटर पानी बचा सकते है।यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता से अपील की इसके लिए हमें अपने टाॅयलेट के सिस्टर्न में एक लीटर की प्लास्टिक की बोतल में आधा रेत व आधा पानी भरकर रखना होगा। इस प्रकार यदि एक परिवार प्रतिदिन 15 बार सिस्टर्न चलाता है तो प्रतिदिन 15 लीटर पानी की बचत होगी। ऐसा करने से सिस्टर्न की कार्यकुशलता पर कोई प्रभाव नहीं पडे़गा, किन्तु प्रदेश भर में एक वर्ष में लगभग 547.50 करोड़ लीटर पानी की बचत होगी। उन्होंने कहा कि हमें इस उपाय को अपने घरों के अतिरिक्त कार्यालयों तथा होटलो में भी अपनाया जा सकता है।  इस अभियान में हमें आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। उत्तराखण्ड का यह अभियान पूरे देश में पहुंचना चाहते है।
मुख्यमंत्री  रावत ने कहा कि राज्य स्थापना के समय हमारे जल स्रोतो से 72 एमएलडी जल प्रवाहित होता था जो कि वर्तमान में लगभग 40 एमएलडी हो गया है। साथ ही राज्य की आबादी भी पांच गुना बढ़ गई है, परन्तु जल आपूर्ति आधी हो गई है। जल स्रोतों को पुर्नजीवित एवं रिचार्ज कैसे किया जाय इस पर गम्भीर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि यह अत्यन्त चिंता का विषय है कि आज रिवर बेल्ट पर भारी संख्या में मकान बना दिए गए है। पक्के फर्श का प्रचलन हो गया है। नालियों का जाल बिछ गया है।  उक्त कारणों से भू-जल रिचार्ज में बाधा उत्पन्न हो गई । भू-जल रिचार्ज एवं जल स्रोतों को पुर्नजीवित करने हेतु भी आम जन की सक्रिय भागीदारी अति आवश्यक है। राज्य सरकार द्वारा रिस्पना एवं बिन्दाल नदियों को पुर्नजीवित करने का निर्णय लिया है।  रावत ने कहा कि मकानों के निमार्ण के समय वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी हमें लगाने चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने वर्षो पूर्व ही जल संचय का महत्व बता दिया था।
कार्यक्रम के दौरान डाॅ राघव लंगर संयुक्त अधिशासी अधिकारी राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन ने राज्य भर के जल स्रोतो की मैपिंग पर आधारित वेब पोर्टल का प्रस्तुतिकरण भी दिया। इस वेब पोर्टल में राज्य भर के लगभग 22000 जल स्रोतों की मैपिंग, लोकेशन, पीएच मान आदि सम्बिन्धित सम्पूर्ण जानकारी है।
प्रभारी सचिव पेयजल एवं स्वच्छता विभाग अरविन्द सिंह हयांकी ने जल सरंक्षण के संदर्भ में विभाग की विभिन्न उपलब्धियों से अवगत कराया

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