बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधान से बंद हुए

चमोली – श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज शनिवार अपराह्न तीन बजकर तैतीस मिनट पर पूजा- अर्चना पश्चात  कार्तिक शुक्ल षष्ठी श्रवण नक्षत्र में  शीतकाल हेतु बंद हो गये है। कुछ दिन पहले हुई बर्फवारी के बाद कपाट बंद होने के दौरान  आज मौसम साफ रहा दिन में धूप खिली रही यद्यपि दूर चौटियों पर बर्फ साफ देखी जा सकती है।कपाट बंद के अवसर पर बदरीनाथ  मंदिर को फूलों से सजाया गया था तथा सिंह द्वार परिसर में  गढ़वाल स्काट के बैंड की भक्तिमय धुनों से संपूर्ण बदरीनाथ गुंजायमान हो रहा था‌।


जय बदरीविशाल के उदघोष गूंज रहे थे।कपाट बंद के समय साढ़े पांच हजार से अधिक श्रद्धालुजन तीर्थयात्री कपाट बंद होने  के साक्षी बने। बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेष ने मंदिर को फूलों से सजाया। इस अवसर पर दानीदाताओं,भारतीय सेना ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किये।कपाट बंद के पश्चात  बदरीनाथ से रविवार 19 नवंबर प्रात: श्री उद्धव जी,श्री कुबेर जी की देव डोली  पांडुकेश्वर तथा आदिगुरू शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगी।

  इस साल बदरीनाथ- केदारनाथ यात्रा ऐतिहासिक रही है। इस बार सबसे अधिक अड़तीस लाख  रिकार्ड  तीर्थयात्री बदरी- केदार पहुंचे है।जिनमें से आज कपाट बंद तक अठारह लाख  चालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है।मुख्यकार्याधिकारी योगेंद्र सिह ने बताया कि कपाट खुलने की तिथि से 17 नवंबर शुक्रवार देर रात तक 18 लाख 36 हजार 5 19 तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है जोकि पिछले सभी यात्रा वषों में सबसे अधिक है।


कपाट बंद होने की प्रक्रिया 14 नवंबर से शुरू हो गयी थी इस दिन श्री गणेश जी के कपाट बंद हुए, 15 नवंबर को आदि केदारेश्वर तथा आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए, 16नवंबर को खडगपुस्तक पूजन तथा 17 नवंबर को महालक्ष्मी जी की पूजा कढाई भोग संपन्न हुआ 18 नवंबर रोज की तरह प्रात: महाभिषेक के बाद बालभोग लगा दिन में 11 बजे राजभोग लगा उसके बाद मंदिर बंद नहीं हुआ, पोने एक बजे अपराह्न शायंकालीन पूजा शुरू हुई। पौने दो बजे रावल जी ने स्त्री रूप धारण कर लक्ष्मी जी को बदरीनाथ मंदिर गर्भ गृह में विराजमान किया। इससे पहले श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी मंदिर प्रांगण में विराजमान हुए। सवा दो बजे शायंकालीन भोग तथा शयन आरती संपन्न हुई। ढाई बजे से साढ़े तीन बजे तक रावल द्वारा  कपाट बंद की रस्म पूरी करते हुए भगवान बदरीविशाल को माणा महिला मंडल द्वारा   हाथ से बुना गया  ऊंन का घृत कंबल औढा़या। 

  तीन बजकर तैतीस मिनट पर श्री बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह तथा मुख्य सिंह द्वार के कपाट रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी द्वारा  शीतकाल हेतु बंद कर दिये गये। इसी के साथ ही कुबेर जी रात्रि प्रवास हेतु बामणी गांव चले गये।इस दौरान बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी आचार्य राधाकृष्ण थपलियाल तथा वेद पाठी रविंद्र भट्ट द्वारा रावल  के साथ पूजा- अर्चना संपन्न की गयी। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद  18 नवंबर को बदरीनाथ में प्रवास के बाद 19 नवंबर प्रात: श्री उद्धव जी  योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर तथा श्री कुबेर जी की देवडोली  ने कुबेर मंदिर पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान किया।

श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि बदरीनाथ धाम रावल के साथ आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी ने श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ के लिए प्रस्थान किया। 19 नवंबर को आदिगुरू शंकराचार्य जी की गद्दी एवं रावल योग बदरी पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगे।  श्री उद्धव जी तथा कुबेर जी पांडुकेश्वर में शीतकाल में प्रवास करेंगे जबकि  20 नवंबर को आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी  रावल जी के साथ जोशीमठस्थित श्री नृसिंह मंदिर पहुंचेगी।  आदि गुरू शंकराचार्य गद्दी स्थल श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ  में विराजमान हो जायेगी इसी के साथ इस वर्ष श्री बदरीनाथ धाम यात्रा का समापन होगा तथा योग बदरी पांडुकेश्वर तथा  श्री नृसिंह बदरी जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी।




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