उत्तराखंड महिला मंच ने अंकिता हत्याकांड पर कानून व्यवस्था पर उठाए प्रश्न जारी की रिपोर्ट

 देहरादून – उत्तराखंड के ऋषिकेश में  सितंबर 2022 को पौड़ी गढ़वाल के श्रीकोट की निवासी अंकिता भंडारी के गायब होने का मामला सामने आया. वह ऋषिकेश से लगभग 12-13 कि.मी. दूर चीला बैराज के निकट स्थित वनंतरा रिजोर्ट में रिसेप्शनिस्ट  के रूप में कार्य कर रही थी. परिजनों द्वारा गुमशुदगी रिपोर्ट करने पर पुलिस द्वारा  रिपोर्ट दर्ज करने में लगातार आनाकानी की गई और घटना के 72 घंटे के बाद रिपोर्ट दर्ज हुई. इसके बाद 18 सितंबर को अंकिता भंडारी निर्मम हत्या की जानकारी सामने आई और यह तथ्य सामने आया कि रिजार्ट में मौजूद एक वीआईपी को विशेष सेवा देने से इंकार किए जाने पर रिजार्ट के मालिक पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों की मदद से इस निर्मम हत्या को अंजाम दिया.


इस हत्या में शामिल मुख्य आरोपी पुलकित आर्य का पिता विनोद आर्य भाजपा सरकार में पूर्व दर्जाधारी मंत्री रहा है और वर्तमान में भी उसका सत्ता से सीधा संबंध रहा है. इसीलिए शुरूआत से ही इस मामले में प्रशासन और पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है. घटना के पांच दिन बाद चीला नहर से प्राप्त युवती को जिस तरह से  जल्दबाजी में जला दिया गया और घटना स्थल पर बुलडोजर चलाया गया उससे सबूत नष्ट हो गए और कई सवाल अनसुलझे रह गए. संपूर्ण मामले को देखकर स्पष्ट है कि एक निर्दोष युवती की निर्मम हत्या को कमजोर और लचर जांच, सबूतों को नष्ट कर हत्यारों को बचाने के प्रयास हो रहे हैं.

इन तथ्यों को देखते हुए उत्तराखंड महिला मंच ने राष्ट्रीय स्तर पर महिला अधिकारों के लिए संघर्षरत संगठनों के नेतृत्वकारी साथियों के साथ संपूर्ण मामले की जांच कर वास्तविकता को सामने लाने का प्रयास किया. जांच दल में उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक से विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही  30 सदस्यीय जांच दल ने अलग - अलग समूहों में बंट कर 27 से 29 अक्टूबर को मृतका के गाँव डोब श्रीकोट (पौड़ी गढ़वाल) ऋषिकेश में घटना स्थलों, अंकिता के माता-पिता व उसके गांव के लोगों से, श्रीनगर में आंदोलन कर रहे जनसंगठनों, ऋषिकेश की कोयल घाटी में चल रहे धरना स्थल में आंदोलनकारियों से मुलाकात, घटना स्थल - वनन्तरा रिसोर्ट, व आस-पास के होटलों, गंगा - भोगपुर के ग्रामीणों के साथ बातचीत की. ऋषिकेश का वह स्थान जहां अंकिता को नहर में धक्का दिया गया तथा वो स्थान भी जहाँ अंकिता का शव मिला, सभी स्थानों का भ्रमण और वहाँ उपस्थित लोगों से बातचीत की. इस संपूर्ण अभियान में जो तथ्य पाये उन्हें लेकर जांच दल ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है . 

आज इस कार्यक्रम में जांच रिपोर्ट को आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि जांच रिपोर्ट में आए तथ्यों पर विचार करेंगे.जांच दल ने पाया कि :1. इस  निर्मम हत्याकांड की जांच के लिए बनी एसआईटी ने इस मामले में जांच में जानबूझकर लापरवाही बरती है.वह दबाव में काम कर रही है इसलिए इस घटना की निष्पक्ष जांच सीबीआई से करवाई जानी चाहिए.उत्तराखंड उच्च न्यायालय न्यायालय द्वारा इस संबंध में सीबीआई जांच की अपील ठुकराए जाने के बाद मामले की सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की तैयारी की जा रही है.

2. अंकिता की हत्या के बाद उसकी लाश 5 दिन बाद ऋषिकेश स्थित चीला नहर पर स्थित चीला बैराज में बरामद हुई. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उसके शरीर में चोट के निशान थे.पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका की डूबने से मौत होना बताया गया. लेकिन उसके साथ बलात्कार हुआ या नहीं, किसी तरह की ज्यादती हुई या नहीं इस बात की जांच नहीं की गई. 

3. वनंतरा रिजॉर्ट, आयुर्वेदिक फैक्ट्री के साथ यहां अवैध रूप से चलाया जा रहा था.इस हत्याकांड में एक वीआईपी की संलग्नता की बात भी बार-बार सामने आ रही थी लेकिन पुलिस ने इस संदर्भ में किसी तरह की जांच करने की जरूरत नहीं समझी. यही नहीं स्थानीय विधायक रेनू बिष्ट के इशारे पर जिस तरह मृतका अंकिता भंडारी के कमरे वाले हिस्से में बुलडोजर चलाया गया वह स्पष्ट तौर पर साक्ष्य मिटाने की कोशिश थी लेकिन इस विषय में भी पुलिस - प्रशासन के स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.

4. एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि  सभी कार्यस्थलों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशाखा गाइडलाइन लागू किए जाने के निर्देशों के बावजूद उत्तराखंड में पर्यटन क्षेत्र में इसे लागू नहीं किया गया है. यही नहीं एक दु:खद तथ्य यह भी है कि कई होटल / रिजार्ट मालिकों, कर्मचारियों को विशाखा गाइडलाइन के विषय में कोई जानकारी नहीं है.

  अपनी रिपोर्ट में आए तथ्यों के दृष्टिगत जांच दल के सदस्यों ने विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों - डीजीपी उत्तराखंड, एस.आई.टी प्रमुख पी. रणुका देवी, अपर सचिव पर्यटक, उप निदेशक पर्यटक, मुख्य सचिव उत्तराखंड, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष से मुलाकात की और अपने ज्ञापन उन्हें सौंपे. मांग की गई कि अंकिता की निर्मम हत्या के मामले में बिना किसी प्रभाव के निष्पक्ष और त्वरित कार्यवाही की जाय तथा इस तरह के मामले आगे न हों इसके लिये ठोस सुरक्षात्मक उपायों के लिए संबंधित विभागों को निर्देशित किया जाय.

    मुख्य सचिव से कार्यस्थल में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने की मांग की गई साथ ही पर्यटन उद्योग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के विशेष प्रयासों के साथ उन्हें सुरक्षित व सम्मानजनक माहौल देने  व सभी सरकारी/गैरसरकारी कार्यस्थलों पर महिला सुरक्षा के लिये विशाखा गाइडलाइन का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाये।  देहरादून में जांच दल ने अपनी रिपोर्ट जारी की।आज उत्तराखंड ही नहीं संपूर्ण देश में बड़ी तादाद में महिलाएं काम के लिए बाहर निकल रही लेकिन यौनिक हिंसा के साथ-साथ उनको विभिन्न तरह से प्रताड़ित का शिकार होना पड़ता है. अंकिता की तरह ही देशभर में हजारों - लाखों महिलाओं को रोज इस तरह के हादसों से गुजरना पड़ता है. यह सभी महिला संगठनों और महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले नेतृत्वकारी साथियों के लिए गंभीर प्रश्न है.इसीलिए हमें लगता है कि अंकिता भंडारी के लिए न्याय का संघर्ष महिला अधिकारों के सशक्तिकरण के लिए एक जरूरी कदम है और हमें इसे मंजिल तक पहुंचाना होगा.

वार्ता में इस आंदोलन में लगातार शमिल रही प्रमिला रावत ने अपनी बात रखी और सीबीआई जांच पर जोर दिया। एडवा की  इंदू नोडियाल ने ऋषिकेश में जांच के विषय में बताया गया। भारत ज्ञान विज्ञान समिति की उमा भट्ट ने कहा कि हम इस लड़ाई को जारी रखेंगे। महिला मंच की मल्लिका विर्दी ने कानून व्यवस्था पर प्रश्न उठाए और वर्तमान में उत्तराखंड में बेरोजगारों पर हो रहे दमन पर बात रखी। संस्थानों में विशाखा गाइड लाइन पर भी बात रखी गई। उमा भट्ट ने महिला मंच के माध्यम से प्रशासन के समक्ष प्रश्न रखे। वार्ता का संचालन महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने किया। अंत में फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट रीलीज को गई।


        

   

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