नगर निगम करेंगा दाखिल खारिज की दरों में बढ़ोतरी -कांग्रेस

 देहरादून –उत्तराखंड कांग्रेस के मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह एवं कांग्रेस प्रदेश मीडिया पैनलिस्ट, अधिवक्ता शिवा वर्मा ने संयुक्त रुप से बयान जारी कर नगर निगम द्वारा दाखिल खारिज के प्रस्तावित दरों में बढ़ोतरी की कड़ी भर्त्सना की है।शुक्रवार को नगर निगम देहरादून की प्रस्तावित बोर्ड बैठक के एजेंडे में शामिल नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत अब दाखिल खारिज करवाने के लिए अब अमजानता को 150 रुपये की जगह अब 5000 रुपये देना प्रस्तावित किया गया है जो कि देहरादून नगर निगम क्षेत्र की जनता के साथ घोर अन्याय होगा वैसे ही कोरोना की भीषण मार से आज तक भी व्यक्ति संभाल नही पाया और उसका पैर आज भी लड़खडाया हुए है यह बेतहाशा वृद्धि बतौर लूट देखी जाएगी जो अपने आप में बहुत दुखद होगी।


अमरजीत सिंह ने कहा कि अत्यधिक मूल्य वृद्धि के विरोध में कांग्रेस पार्टी आम जनता के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी है इस प्रकार की बेहताशा वृद्धि किया जाना आपने आप में दुखद पहलू होने के साथ ही शर्मनाक होगा, कांग्रेस इस बाबत किए जाने वाली बढ़ोतरी का पुरजोर विरोध करती है । अधिवक्ता शिवा वर्मा ने कहा कि दाखिल खारिज के लिए तय शुल्क 150 रुपये से बढ़ा कर 5000 रुपये का जो प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रखा है और उस पर तर्क दिया कि इससे नगर निगम की आय बढ़ेगी सरासर लूट है सरकार ने जितनी तेजी के आय बढ़ाने की सोची है उतनी तेजी से जनता के सुख सुविधा के बारे में सोचा होता तो राजधानी देहरादून चहुमुखी विकास की ओर होता।वर्मा ने कहा कि दाखिल खारिज केवल टैक्स को निर्धारित करता है ना कि आपकी स्वामित्व को तय करता है इस बात को समय समय पर सर्वोच्च न्यायलय द्वारा दिए गए विभिन्न ऐतिहासिक निर्णयों में कहा गया है।

उद्धरण स्वरूप:-


Jitendra singh Vs state of mp and Others


Double bench judgment of Supreme Court SLP 13146/2021" the effect of mutation and it is observed and held that mutation of property in revenue records neither creates nor extinguishes title to the property nor has it any presumptive value on title. Such entries are relevant only for the purpose of collecting land revenue."

Air 1926 Privy Council pg 100

"Mutation is not a judicial proceeding and does not decide title it is only for levy of taxes." 

यह सरासर जनता पर दोहरी मार होगी क्योंकि जब व्यक्ति सेल अथवा गिफ्ट डीड करता है उस समय वो सरकार को स्टाम्प शुल्क के अतिरिक्त पंजीकरण शुल्क अदा करता है जो कि सम्पत्ति के मूल्य का 2% होता है और 25000 रुपये अधिकतम होता है ।





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