उत्तराखंड में अगर करना हो ट्रैक तो सर्दियों का मौसम है सही

देहरादून– उत्तराखंड के प्रसिद्ध चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री  यमुनोत्री विश्व भर में प्रसिद्ध तो हैं ही इसके साथ यहां के विंटर ट्रैक साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए पहली पसंद बन रहे हैं। जिस तरह उत्तराखंड की वादियों में सर्दियों में घूमने का अपना अलग ही मजा है, उसी तरह से यहां सर्दियों के मौसम में ट्रैकिंग करने का आनंद आपको किसी और रोमांचक गतिविधियों में नहीं मिल सकता। हिमालय की गोद में बसा हुआ उत्तराखंड सर्दियों में ट्रैकिंग के बहुत सारे विकल्प प्रदान करता है जो सफेद सफेद बर्फीले रास्ते और बर्फ की चादर ओढ़े हुए पहाड़ों के शानदार दृश्य से भरे होते हैं।


 सर्दी के दौरान ट्रैकिंग करते हुए बीच में कई खूबसूरत वादियांसौगान के पेड़ और खूबसूरत झरने और छोटे-छोटे गांव देखने को मिलते हैं। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में आप प्राकृतिक सुंदरता के साथ ट्रैकिंग का मजा भी ले सकते हैं। राज्य के भीतर साहसिक पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने को लेकर पर्यटन विभाग ने एक अलग से साहसिक विंग भी बनाया है। इस लेख के जरिए हम आपको उत्तराखंड के विभिन्न विंटर ट्रैक से रूबरू कराएंगे।


 केदारकांठा ट्रैक समुद्र तल से लगभग 12500 फिट की ऊंचाई पर स्थित केदारकांठागोविन्द पशु विहार नेशनल पार्क के अंतर्गत गढ़वाल हिमालय उत्तरकाशीउत्तराखंड क्षेत्र में स्थित है। जौनसार-बावर क्षेत्र के सांकरी गांव से केदारकांठा ट्रैक की शुरुआत होती है। केदारकांठा शिखर पर चारों तरफ बर्फ से लदी पहाड़ियों का नजारा और पहाड़ियों तक पहुंचने वाले खूबसूरत रास्ते पर्यटकों को दूर-दूर से केदारकांठा आने के लिए आकर्षित करते हैं। केदारकांठा शिखर से सूरज उदय और सूरज डूबने का नजारा बहुत अद्भुत है जिसे देखने के लिए पर्यटकसुबह और शाम को यहां पहुंचते हैं।

कैसे पहुंचेकेदारकांठा की यात्रा उत्तराखंड के सांकरी गांव से शुरू होती है।


 लेकिन आपको यहां पहुंचे के लिए सबसे पहले देहरादून पहुंचना पड़ेगा। देहरादून से सांकरी गांव की दूरी 196 किलोमीटर की है जिसे करने में आपको10से11 घंटे का समय लगेगा। यह यात्रा छह दिन में पूरी होती है।

चंद्रशिला ट्रैक पंच केदार का तुंगनाथ मंदिर स्थित है। ट्रैक की शुरूआत रुद्रप्रयाग जिले के चोपता से होती है। सर्दियों के मौसम के अलावा ट्रैकिंग के शौकीन किसी भी मौसम में यहां  सकते हैं। यह ट्रैक पर्यटकों के लिए  साल भर खुला रहता है। इस ट्रैक के जरिए आप दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर तक पहुंच सकते हैं जो तुंगनाथ में 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

 कैसे पहुंचे उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में चोपता गांव के पास है। चोपता गांव से 3 से 4 किलोमीटर का ट्रैक करके तुंगनाथ मंदिर पहुंचा जाता है जो कि पंच केदार में से एक केदार है। तुंगनाथ मंदिर से ऊपर 1 से 1.5 किलोमीटर का ट्रैक और करके चंद्रशिला शिखर तक पहुंचा जा सकता है।

 

क्वारी पास ट्रैक


 

क्वारी पास ट्रैक की यात्रा जोशीमठ से शुरू होती है जो ट्रेकर्स और तीर्थयात्रियों का मुख्य केंद्र हैयहां कुछ जगहों पर आप दुर्लभ हिमालयी भालू या तेंदुए के पैरों के निशान भी देख सकते हैं। कुआरी दर्रे की सबसे अच्छी बात यह है कि आप हरे भरे घास के मैदानों के बीच डेरा डाल सकते हैंजिसमें हिमालय के नज़ारों वाले विशाल हरे भरे चरागाह मौजूद हैं।

 

क्वारी पास ट्रैक कैसे पहुंचे

 

क्वारी पास ट्रैक की यात्रा तीर्थ नगरी हरिद्वार से जोशीमठ तक शुरू होती है जोशीमठ की दूरी हरिद्वार से लगभग 265 किमी है। जिसके बाद जोशीमठ से चित्रकांठा जाया जाता है जिसकी कुल ऊंचाई लगभग 3,310 मीटर अथवा 10,857 फ़ीट है। अगली यात्रा चित्रकांठा से शुरू होती है जो ताली टॉप तक होती है। इस दिन का ट्रैक आपके पूरे ट्रैक में सबसे खूबसूरत होता है। यह ट्रैक कुल 4 किमी का है तथा इस ट्रैक की कुल ऊंचाई 11,070 फ़ीट है। अगली ट्रैक ताली टॉप से शुरू होकर क्वारी पास तक जाता है।

 

                                ब्रह्मताल ट्रैक             


 

ब्रह्मताल माउंट त्रिशूल और नंदा घुंटीराजसी रूपकुंड ट्रेक के विहंगम दृश्य और राजसी बर्फ से ढकी चोटी को अपने कैमरे से कैद करने के  पर्याप्त अवसर प्रदान करता है, ब्रह्मताल ट्रैक में सुंदर घाटियोंशांत बस्तियोंनदियोंऔर शंकुधारीऔर ओक के जंगलों के मनभावन दृश्य देखने को मिलते हैं,सर्दियों के मौसम में यह पूरा क्षेत्र ही बर्फ से ढका हुआ होता है और हिमालय का एक अनोखा दृश्य भी पेश करता है।

कैसे पहुंचे ब्रह्मताल थराली व देवाल दो ब्लॉकों से पहुंचाजा सकता है,थराली ब्लॉक के कूनीपारथा गांव तक निजी वाहन या फिर ट्रेकर से पहुंच करवहांसे16-17 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर ब्रह्म ताल पहुंच सकते है। ब्रह्म ताल पहुंचने से पूर्व ट्रेक पहले भेंकल ताल पहुंचता है। यह भी ट्रैकिंग के लिए एक उपयुक्त स्थान है।

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