समन्वय समिति पुन: आंदोलन की राह पर जा सकती है

देहरादून – उत्तराखण्ड अधिकारी कर्मचारी, शिक्षक  समन्वय समिति की एक बैठक आयोजित कर  मुख्यमंत्री के निर्देश पर  उत्तराखण्ड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के साथ  आनन्द वर्धन, अपर मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में  समन्वय समिति के मांगपत्र किए गए विचार विमर्श पर शासन व सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई पर चर्चा की एंव एसीपी के साथ ही अन्य विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अभी तक कोई कार्रवाई न किए जाने पर असंतोष व्यक्त किया गया। प्रवक्ता अरूण पाण्डे ने बताया कि पूर्व में शासन और सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों एवं गोल्डन कार्ड व शिथिलीकरण को लेकर किए गए शासनादेशों के क्रम में समन्वय समिति द्वारा अपने द्वारा घोषित का कार्यक्रम को स्थगित किया गया है किंतु शासन सरकार द्वारा समन्वय समिति 18 सूत्री मांग पत्र की अन्य मांगों के निराकरण को लेकर वर्तमान तक कोई भी प्रभावी कार्रवाई न किए जाने से प्रदेश के कार्य में को में रोष व्याप्त है।


  प्रवक्ता अरूण पाण्डे ने बताया कि पूर्व में सर्वसम्मति से लिये गये निर्णय अनुसार अपर मुख्य सचिव से उनके सचिवालय स्थित कक्ष में मिलकर निम्नानुसार सुझाव/प्रस्ताव दिये गये थे जिन पर कार्यवाई लम्बित है:-जिसमें राज्य कार्मिकों को 10, 16, 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य करते हुए इस व्यवस्था में मिनिस्ट्रीयल संवर्ग एंव वैयाक्तिक सहायक संवर्ग को भी अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया जाय। क्योंकि 10, 16, 26 वर्ष पर भी यदि इन कार्मिकों की पदोन्नति नहीं होती है और इनको अन्य कार्मिकों की भांति एम0ए0सी0पी0 का लाभ भी नहीं दिया जाता है तो यह इन कार्मिकों के साथ अन्यायपूर्ण होगा। क्याेंकि यदि इन कार्मिकों की पदोन्नति 10, 16, व 26 वर्ष से पूर्व हो जाती है तो स्वत ही इनको एम0ए0सी0पी0 का लाभ अनुमन्य नहीं होगा। 

राज्य कर्मिकों को एस0जी0एच0एस0 स्कीम के अन्तर्गत लागू गोल्डन कार्ड  जारी शासनादेश के अनुरूप प्रदेश  एंव प्रदेश से बाहर के समस्त उच्चकोटि के  निजि अस्पतालों के साथ राज्य कार्मिकों की चिकित्सा निशुल्क कराने को अनुबन्ध करते हुए उन अस्पतालों की सूची जारी की जाये। वर्तमान में जारी शिथिलीकरण (संशोधन) नियमावली 2021, में निम्न विसंगतियाें का निराकरण किया जायशिथिलीकरण नियमावली 2015 में दी गयी व्यवस्थानुसार समूह-ग  शिथिलीकरण किये जाने के लिए विभागाध्यक्ष को अधिकृत किया गया था। जो आज भी नियमानुसार लागू होती है परन्तु कतिपय विभागाध्क्षो द्वारा उक्त नियमावली 2021 जारी होने पर नियमावली 2015 को नजरअंदाज करते हुए समूह-ग के प्रकरणों को भी शिथिलीकरण हेतु शासन को भेजने का प्रयास किया जा रहा है जिस पर नियमावली 2015 के अनुरूप विभागाध्यक्षों को समूह-ग में अपने स्तर से ही शिथिलीकरण व्यवस्था स्वीकृत करने के निर्देश जारी किये जाय।शथिलीकरण नियमावली 2021 को 30.6.2022 तक ही लागू किया गया जिसे आगे निरन्तर लागू किया जाय।जारी शिथिलीकरण नियमावली 2021 में शिथिलीकरण दिये जाने पर पारस्परिक ज्येष्ठता एंव वेतन सम्बन्धी विंसगति उत्पन्न न होने की शर्त जोड रखी है जिसके कारण यदि वरिष्ठता क्रम में वरिष्ठ कार्मिक शिथिलीकरण व्यवस्था नहीं लेता है तो उससे कनिष्ठ कार्मिकों जो शिथिलीकरण लेना चाह रहे हैं में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। अतः इसको पूर्व की भांति स्वेछिक करते हुए यदि वरिष्ठ कार्मिक शिथिलीकरण नहीं लेता है और पदोन्नति के पद रिक्त हैं तो कनिष्ठ कार्मिकों को जो शिथिलीकरण लेना चाह रहे हैं उनको वरिष्ठ कार्मिक को छोडते हुए शिथिलीकरण दिये जाने की व्यवस्था लागू की जाय। उदाहरण स्वरूप जिस प्रकार शासन द्वारा पदोन्नति पर फार्गो (राज्यसात) नियमावली में व्यवस्था दी गयी है कि वरिष्ठ कार्मिक द्वारा फार्गो करने पर उससे कनिष्ठ कार्मिक की पदोन्नति की जायेगी। शिथिलीकरण नियमावली 2021 जो 30.6.2022 तक लागू है इसलिए 30.6.2022 तक जो भी कार्मिक पदोन्नति हेतु पात्रता अवधि की शर्त पूरी करते हो तो उनको भी शिथिलीकरण प्रदान करने की व्यवस्था के आदेश निर्गत किये जाय। 

मिनिस्ट्रीयल संवर्ग में  27.7.2020 को राधा रतूडी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिये गये निर्णयानुसार मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पात्रता हेतु निर्धारित अवधि कुल 25 वर्ष के स्थान पर कुल 22 वर्ष करने के आदेश शीघ्र जारी किये जाय। वर्तमान में सीधी भर्ती हेतु निर्धारित आयु सीमा 42वर्ष निर्धारित है यदि कोई कार्मिक 40वर्ष में नियुक्त होता है तो वह 20वर्ष बाद ही सेवा निवृत हो जायेगा इसी प्रकार यदि वह 35वर्ष में नियुक्त होता है तो 25वर्ष की सेवा पर सेवा निवृत हो जायेगा जबकि पदोन्नति के पद रिक्त पडे हुए हैं ऐसी स्थिति में पद रिक्त होने पर भी उसकी पदोन्नति न होना किसी  भी दशा में न्यायोचित नहीं हो सकता है। अतः चूकि मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पदोन्नति का अन्तिम पद है इसलिए सेवा निवृत से पूर्व मिनिस्ट्रीयल कार्मिक की पदोन्नति हेतु पात्रता अवधि 25वर्ष के स्थान पर 22वर्ष किया जाना न्यायोचित होगा। अतः निर्णयानुसार शीघ्र आदेश जारी किये जाय। 

जिन विभागों में अभी तक पुर्नगठन एंव पदोन्नतियां नहीं हो पायी है उनको 15दिवस के अन्दर पदोन्नति आदेश निर्गत करने के सख्त निर्देश देते हुए पदोन्नति न करने वाले विभागाध्यक्षों/अधिकारियों का स्पष्टीकरण मांग कर दोषी अधिकारियों को मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा दिये गये निर्देशों की अनुपालना न किये जाने पर दण्डित किया जाय। स्थानांन्तरण अधिनियम 2017 में निम्न विसंगतियों का निराकरण किया जाय।अधिनियम में पारस्परिक स्थानांन्तरण हेतु विभागाध्यक्ष स्तर पर ही किये जाने की स्पष्ट व्यवस्था है इसके बाबजूद भी कही विभागों द्वारा पारस्परिक स्थानांन्तरण हेतु प्रकरण शासन को संदर्भित किये जा रहे हैं जो अधिनियम का उल्लंघन है अतः दो कर्मिकों के स्वेछा से पारस्परिक स्थानांन्तरण हेतु विभाध्यक्ष स्तर पर ही अधिनियम के अनुरूप स्थानांन्तरण किये जाने के पुनः स्पष्ट दिशा निर्देश कार्मिक अनुभाग द्वारा जारी किये जाय। 

अधिनियम में समूह ख को उसके गृह जनपद एंव समूह ग को उसके गृह तहसील में स्थानांन्तरण न किये जाने की व्यवस्था दी गयी है जो व्यवहारिक नहीं है। अतः इस व्यवस्था को समाप्त किया जाय। मृतक आश्रित में नियुक्त कार्मिक की नियुक्ति भी स्थानांन्तरण अधिनियम के अन्तर्गत दुर्गम क्षेत्र में अनिवार्य रूप से की जा रही है जो मृतक आश्रित नियमावली के विपरीत तथा मृतक परिवार के साथ मानवीय दृष्टिकोण से उचित नहीं है। अतः मृतक आश्रित में नियुक्ति स्थानांन्तरण अधिनियम की परिधि से बाहर रखते हुए मृतक आश्रित नियमावली के अन्तर्गत ही नियुक्ति प्रदान करने के निर्देश शासन के कार्मिक अनुभाग द्वारा समस्त विभागाध्यक्षों को दिये जाय। सेवा निवृत के दो वर्ष शेष रहने पर कार्मिक को उसके स्वेछिक स्थान पर स्थानांन्तरण/पदोन्नति पर पद स्थापना किये जाने हेतु छूट प्रदान की जाय। स्थानांन्तरण अधिनियम प्रदेश के समस्त विभागों हेतु लागू किया गया है जो व्यवहारिक  एवं कार्यहित में प्रतीत नहीं होता है। अतः अधिनियम उन्हीं विभागों /संवर्गो हेतु लागू किया जाय जिनकी प्रदेश हित/जनहित में दुर्गम क्षेत्रों में तैनाती की जानी नितान्त आवश्यक हो, तथा उन विभागों में भी अधिनियम शतप्रतिशत लागू किये जाने की व्यवस्था हो ताकि अधिनियम के अनुरूप प्रत्येक कार्मिक को दुर्गम/सुगम का लाभ प्रदान हो सके। प्रदेश में पूर्व में तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमीतिकरण से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोडते हुए वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/ए0सी0पी0/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किये जाने के आदेश वित विभाग द्वारा जारी किये जाय।ये कैथोलिक समन्वय समिति द्वारा मांगी गई थी कि वाहन चालक संघ एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के साथ पूर्व में हुई वार्ता में बनी सहमति के आधार पर कार्यवाही करते हुए उनकी मांग का निराकरण किया जाए एवं तत्काल वेतन विसंगति समिति की रिपोर्ट भी राज्य सरकार को प्रस्तुत की जाए जिससे कि चुनाव आचार संहिता लागू होने से पूर्व उस पर कार्रवाई की जा सके पांडे ने बताया कि आज की समन्वय समिति की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पुन सरकार व शासन को एक विरोध पत्र प्रेषित किया जाए एवं तत्काल निर्णय करने की मांग की जाए अन्यथा की स्थिति में समन्वय समिति अपने आंदोलन के हस्बैंड के निर्णय को वापस लेते हुए पुन: आंदोलन की राह पर जा सकती है। आज समन्वय समिति की बैठक में अरूण पाण्डेय, शक्ति प्रसाद भट्ट, पूर्णानन्द नौटियाल, एच0सी0 नौटियाल,  बी0एस0रावत, दिनेश गुसांई, दिनेश पंत, पीएस बिष्ट ,संदीप मौर्या, निष्कर्ष सिरोही, नाजिम सिद्विकी, हरकेश भारती बनवारी सिंह रावत ,चौधरी ओमबीर सिहं एवं दीपचंद बुडलाकोटी आदि कर्मचारी नेता शामिल थे। 



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