द सवेरा फाउंडेशन ऑफ आर्ट्स’ संग्रहालय सिंहथली में

ऋषिकेश –मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड त्रिवेन्द्र सिंह रावत, जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द , डाॅ. के. एस. पंवार  औद्योगिक सलाहकार उत्तराखण्ड सरकार, राजीव सवारा, छोटे भाई राहुल सवारा, संग्रहालय की निदेशक श्रुति इंजाक, सुमित अदलखा प्रमुख सलाहकार(प्रिंसिपल एडवाइजर म्यूजियम डेवलपमेंट इनीएशेटिव), प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा अनिल गोयल, उधोगपति नितिन पुंडीर एवं कई अधिकारियों ने किया संग्रहालय का उद्घाटन सिंहथली शिवपुरी व्यासी, ऐतिहासिक धरोहरों और पर्यटन को बढ़ावा देने में जुटी द सवेरा फाउंडेशन ऑफ आर्ट्स’ (एसएफए) ने सिंहथली उत्तराखण्ड को एक और सौगात दी है।
संग्रहालय की धरोहर अब नए कलेवर में नजर आएगी। द सवेरा फाउंडेशन ऑफ आर्ट्स’ (एसएफए)  आधुनिक संग्रहालय का उद्घाटन मातृ अश्रय एक संकलन संग्रहालय संग्रहकर्ता राजीव सवारा और छोटे भाई राहुल सवारा की माता स्वगीय  मीना सवारा को एक श्रद्धांजलि और सभी नदीयों में पवित्र मोक्षदायनी माँ गंगा को एक सर्मपित किया। द सवेरा फाउंडेशन ऑफ आर्ट्स’ (एसएफए) भारतीय कलाकृतियाँ को सुरक्षित करने का कार्य करता है। 18 बीं/19 बीं शताब्दी के संकलन भारतीय व पुर्तगाली फर्नीचर और जापानी मेजवानी कला (1868-1912) की चुनिन्दा कला कलाकृतियाँ है। एसएफए ने भारत व दक्षिण एशिया के प्रथम संकलन का भारत व दक्षिण एशिया के प्रथम संकलन संग्रहालय को पतित् पावन माँ गंगा के तट पर सिंहथली में स्थापित करने का संकल्प लिया। 
राजीव सवारा ने कहा कि संग्रहालयों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखना आवश्यक है। इसी से हम आगे की पीढ़ियों को हम अपनी गौरवशाली विरासत से परिचित करा सकते हैं। संग्रहालय में मानव जीवन के विविध पक्षों, कलाओं से सम्बन्धित संग्रहित कलाकृतियां मानव जाति के इतिहास की समृद्धि की सूचक है। यह प्रेरणा देती हैं कि मनुष्य अपने छोटे से जीवन काल में कितना कुछ कर सकता है।कार्यक्रम को संग्रहालय के निदेशक श्रुति इंजाक ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इतिहास केवल घटनाओं का संकलन मात्र नहीं है। इतिहास हमें शिक्षा भी देता है और प्रेरणा भी। इतिहास अमूर्त होता है और संग्रहालय उसी इतिहास को मूर्त बनाते हैं। सुमित अदलखा प्रमुख सलाहकार (प्रिंसिपल एडवाइजर म्यूजियम डेवलपमेंट इनीएशेटिव) ने कहा कि मानव सभ्यता का इतिहास इस सत्य को उजागर करता है कि मनुष्य ने अपने अतीत को सुरक्षित रखने का प्रयास किया।
उन्होंने अपील की कि सभी को अपनी अमूल्य धरोहर को संरक्षित करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि संग्रहालय में संग्रहीत कलावस्तुएं जन संवाद का सशक्त माध्यम हैं।त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा, संस्कृति एक युग के बाद दूसरे युग में उसी दशा में जीवित रहती हैैं।जिस दिशा में उसकी धरोहर हस्तांतरित होती है। इन्हीं को संग्रहीत करने के लिए संग्रहालय की आवश्यकता होती है और कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को लेकर चलती है। ऐतिहासिक महत्व की चीजों के साथ ही भारत की संस्कृति को भी करीब से देखने का मौका दूसरे प्रदेश के लोगों को मिलेगा। संग्रहालय संस्कृति संरक्षित करने का सशक्त माध्यम है। संस्कृति को जीवन देने वाली शक्ति की प्रतिष्ठा मनुष्य के ज्ञान में है, जिसके अभाव में संस्कृति अधूरी रह जाती है उन्होंने कहा, किसी न किसी रूप में हमारा इतिहास ही संग्रहालय का विषय है, चाहे अपने पिताजी की फोटो ही क्यों न हो।

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