शहीद के नाम स्मारक बने परिवार की हैं इच्छा
देहरादून -- पुलवामा आंतकी हमले को एक साल होने को आया है। और इन एक सालों में इस आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के परिवरों के ज़ख्म कितने भर पाये हैं। यह जनाना जरुरी है। उत्तराखंड के पुलावामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान शहीद मोहन लाल रतूड़ी के परिवर कि पुलवामा आंतकी हमले में घर के मुखिया के प्रोणों के सर्वोच्च बलिदान देने के बाद परिवार की क्या स्थिति है।आज भी आंखे नम है शहीद मोहन रतूड़ी के परिवार की।
बीते वर्ष 2019 की 14 फरवरी का वो काला दिन जब जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पड़ोसी मुल्क से आये आंतकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर एक झटके में 40 जवानों की जान ले ली थी। शहीद हुए इन 40 जवानों में उत्तराखंड के सीआरपीएफ जवान शहीद मोहललाल रुतूड़ी भी शामिल थे। मोहन लाल रुतूड़ी के शहीद होने के बाद उनके हसता खेलता परिवार बेसहारा हो गया था। मोहन लाल की एक विवाहिता पुत्री सहित कुल तीन पुत्री और 2 बेटों के सर से बाप का साया उठ चुका था। शहीद हुए मोहन लाल रतूड़ी की पत्नी सरिता आज भी उस मंजर को याद कर के रोती है।
शहीद परिवार को सरकारी नौकरी और 26 लाख की आर्थिक सहायता शहीद मोहनलाल रतूड़ी के परिवार को दुख के समय में सभांलने वाले उनकी बड़ी बेटी अनुसुया के पति सर्वेश नौटियाल बताते हैं कि पुलवामा घटना के बाद पूरा परिवार टूट चुका था लेकिन सीआरपीएफ के साथ साथ राज्य और केंद्र सरकार द्वारा परिवार को इस दुख की घड़ी में सहारा दिया गया। सर्वेश ने बताया कि आज सरकार द्वारा की गई घोषणा के बाद शहीद मोहन लाल रुतूड़ी के बड़े बेटे शंकर रतूड़ी को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में जिलाधिकारी कार्यालय में नौकरी दी जा चुकी हैं। तो वहीं बेटी वैष्णवी देहरादून डीएवी स्कूल से बीएड कर रही हैैं।
और दूसरी बेटी गंगा मेडिकल की पड़ाई के लिए एनईईट परिक्षा की तैयारी कोटा राजस्थान से कर रही हैं। जो कि सीआरपीएफ के माध्यम से निशुल्क मदद की जा रही हैं। वहीं सरकार द्वारा की गई घोषणा के अनुसार 26 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी का जा चुकी हैं। जिसके लिए परिवार सरकार का आभार व्यक्त कर रहा है। इसके अलावा शहीद मोहन लाल रुतूड़ी के सबसे छोटे बेटे श्रीराम केंद्रीय विद्यालय आईटीबीपी में 10वीं कक्षा में पढ़ रहें जहां उनका सरकारी मदद दी जा रही है।पुलवामा हमले के एक साल बाद परिवार का कहना है कि जो बलिदान मोहन लाल रतूड़ी ने देश के लिए दिया है उनके लिए उन्हे गर्व है साथ ही परिवार का यह भी कहना है कि सरकार और अन्य लोगों द्वारा की गई मदद से उनके परिवार का सदस्य तो वापस नही आ सकता है
लेकिन इस दुख को सहने में इस सहयोग से काफी मदद मिली है रतूड़ी अलावा शहीद मोहनलाल रतूड़ी के परिवार को यह भी कहना हैं। कि सरकार द्वारा उनके लिए काफी कुछ मदद स्वरुप किया गया हैं। लेकिन यदि सरकार द्वारा उनकी स्मृती में कोई स्मारक, पार्क या कोई सड़क हो जाती तो शहीद मोहन लाल रुतूड़ी के सम्मान में यह एक बड़ी पहल होती है। शहीद मोहनलाल रतूड़ी की पत्नी सरीता का कहना हैं। कि शहीद मोहन लाल रतूड़ी के नाम पर अगर कोई पार्क बनाया जाय तो उन्हे बेहद ही खुशी होगी तो वहीं उनके दामाद और परिवार का सहयोग कर रहे सर्वेश नौटियाल का कहना है कि उनकी सरकार से कोई मांग नही हैं। क्योंकि जो सरकार ने दिया है वो काफी है लेकिन यदि सरकार स्मारक या शहीद के सम्मान में कुछ विचार करती है तो यह शहीद परिवार के लिए गर्व का विषय होगा।
बीते वर्ष 2019 की 14 फरवरी का वो काला दिन जब जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पड़ोसी मुल्क से आये आंतकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर एक झटके में 40 जवानों की जान ले ली थी। शहीद हुए इन 40 जवानों में उत्तराखंड के सीआरपीएफ जवान शहीद मोहललाल रुतूड़ी भी शामिल थे। मोहन लाल रुतूड़ी के शहीद होने के बाद उनके हसता खेलता परिवार बेसहारा हो गया था। मोहन लाल की एक विवाहिता पुत्री सहित कुल तीन पुत्री और 2 बेटों के सर से बाप का साया उठ चुका था। शहीद हुए मोहन लाल रतूड़ी की पत्नी सरिता आज भी उस मंजर को याद कर के रोती है।
शहीद परिवार को सरकारी नौकरी और 26 लाख की आर्थिक सहायता शहीद मोहनलाल रतूड़ी के परिवार को दुख के समय में सभांलने वाले उनकी बड़ी बेटी अनुसुया के पति सर्वेश नौटियाल बताते हैं कि पुलवामा घटना के बाद पूरा परिवार टूट चुका था लेकिन सीआरपीएफ के साथ साथ राज्य और केंद्र सरकार द्वारा परिवार को इस दुख की घड़ी में सहारा दिया गया। सर्वेश ने बताया कि आज सरकार द्वारा की गई घोषणा के बाद शहीद मोहन लाल रुतूड़ी के बड़े बेटे शंकर रतूड़ी को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में जिलाधिकारी कार्यालय में नौकरी दी जा चुकी हैं। तो वहीं बेटी वैष्णवी देहरादून डीएवी स्कूल से बीएड कर रही हैैं।
और दूसरी बेटी गंगा मेडिकल की पड़ाई के लिए एनईईट परिक्षा की तैयारी कोटा राजस्थान से कर रही हैं। जो कि सीआरपीएफ के माध्यम से निशुल्क मदद की जा रही हैं। वहीं सरकार द्वारा की गई घोषणा के अनुसार 26 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी का जा चुकी हैं। जिसके लिए परिवार सरकार का आभार व्यक्त कर रहा है। इसके अलावा शहीद मोहन लाल रुतूड़ी के सबसे छोटे बेटे श्रीराम केंद्रीय विद्यालय आईटीबीपी में 10वीं कक्षा में पढ़ रहें जहां उनका सरकारी मदद दी जा रही है।पुलवामा हमले के एक साल बाद परिवार का कहना है कि जो बलिदान मोहन लाल रतूड़ी ने देश के लिए दिया है उनके लिए उन्हे गर्व है साथ ही परिवार का यह भी कहना है कि सरकार और अन्य लोगों द्वारा की गई मदद से उनके परिवार का सदस्य तो वापस नही आ सकता है
लेकिन इस दुख को सहने में इस सहयोग से काफी मदद मिली है रतूड़ी अलावा शहीद मोहनलाल रतूड़ी के परिवार को यह भी कहना हैं। कि सरकार द्वारा उनके लिए काफी कुछ मदद स्वरुप किया गया हैं। लेकिन यदि सरकार द्वारा उनकी स्मृती में कोई स्मारक, पार्क या कोई सड़क हो जाती तो शहीद मोहन लाल रुतूड़ी के सम्मान में यह एक बड़ी पहल होती है। शहीद मोहनलाल रतूड़ी की पत्नी सरीता का कहना हैं। कि शहीद मोहन लाल रतूड़ी के नाम पर अगर कोई पार्क बनाया जाय तो उन्हे बेहद ही खुशी होगी तो वहीं उनके दामाद और परिवार का सहयोग कर रहे सर्वेश नौटियाल का कहना है कि उनकी सरकार से कोई मांग नही हैं। क्योंकि जो सरकार ने दिया है वो काफी है लेकिन यदि सरकार स्मारक या शहीद के सम्मान में कुछ विचार करती है तो यह शहीद परिवार के लिए गर्व का विषय होगा।
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