एक घटना ऐसी भी जो अंधेरे में हाथ पांव मारते हुए अपने मुकाम पर पहुंची
उत्तरकाशी – "गर हौसले हो बुलंद अपनी तो आंधियों में भी चिराग जलते हैं" इस बात को सत्यार्थ करती है उत्तराखंड एसडीआरएफ की टीम 2013 में गठित एसडीआरएफ की टीम ने ना जाने कितने ही कठिन से कठिन रेस्क्यू कर अपने हौसलों को परस्त नहीं होने दिया और उसी में एक ऐसे युवक को उसके परिवार से मिलाया जहां उस युवक को अपने राज्य माता-पिता किसी भी चीज की याद नहीं थी थी तो केवल एक छोटी सी याद के उसके घर के पास से जहाज उड़ते थे उसी एक माध्यम से एसडीआरएफ ने युवक को उसके परिवार से मिलाया। पढ़ें एक घटना ऐसी भी जो अंधेरे में हाथ पांव मारते हुए अपने मुकाम पर पहुंची और 13 साल के काट रहे बनवास को पूर्ण कर शिवाजन को मिला उसका घर का पता सुने कहानी आपदा में काम करें रहें एस डी आर एफ के जवान कुलदीप सिंह से उन्ही की जुबानी हैं। आपदा के दौरान जब एस डी आर एफ टीम हिमाचल सीमांत गाँव किरानू आराकोट .में रेस्कयू कार्य कर रही थी तभी 21 अगस्त को एस डी आर एफ के जवान कुलदीप सिंह के सम्पर्क एक युवक आया, जो देख रहा था कि आपदा से पीड़ित प्रत्येक ग्रामीण इन्हें अपनी समस्या बता रहा है, ओर उनका निदान्त करने की हर सम्भव कोशिश की जा रही है युवक शिवाजन को उम्मीद नजर आयी । युवक के आंखों में आंसू थे, मन मे आशाएं और जुवां में था मुझे अपने घर जाना है लेकिन कहाँ ज्ञात नही ।
कुलदीप ने जब विस्तृत जानकारी प्राप्त की तो ज्ञात हुआ कि आज से 13 वर्ष पूर्व वह युवक अपने इलाके के कुछ मजदूरों के साथ यहां आया था , ओर सेब की पेकिंग का काम करता था, एक दिन मजदूरों का मालिक से झगड़ा हो गया और वह 9 वर्ष के बच्चे को छोड़ रात को गाँव से चले गए, युवक को अब अपने गांव, पिता का नाम इत्यादि कुछ भी स्पष्ट याद नही था यादों के सरोवर को कुरेदने से जानकारी मिली कि घर के पास ही बड़े बड़े हवाई जहाज उड़ा करते थे, सम्भावनाओं के पथ पर कुलदीप सिंह ने बिहार के बड़े- बड़े एयरपोर्ट के नजदीकी गावों को इंटरनेट मेप पर खोजना शुरू किया , ओर मेहनत रंग लाई ,सफलता का रास्ता मेहनत की पगडंडियों से गुजरा ओर युवक के बताए गाँव की तरह बतरजी की तरह ही बडेजी (bade ji ) गांव गया एयरपोर्ट के करीब दिखाई दिया, कुलदीप के द्वारा निकटवर्ती पुलिस थाने मगध मेडिकल में सम्पूर्ण वित्तान्त सुना,
सहायता चाही किन्तु टालमटोल के बाद यह क्षेत्र अन्य पुलिस थाने की होने की बात कह टाल दी गयी, कुलदीप के द्वारा मुफासिल(muffasil )थाने में भी सम्पर्क किया किन्तु कोई संतोषजनक उत्तर प्राप्त नही हुआ, जिस पर एसडीआरएफ जवान के द्वारा गया (gaya ) SP सिटी को कॉल कर घटना से अवगत कराया, मेहनत का सार अंकुर फूटा ओर युवक शिवाजन उम्र 22-23 वर्ष,पिता स्वर्गीय कृष्णा मांजी भडेजी जनपद गया बिहार में परिवार की जानकारी प्राप्त हो गयी।युवक की अपने परिवार से फोन पर बातें भी हुई, 13 साल के बनवास के बाद अपने परिवार से मिलने की खुशी में युवक एसडीआरएफ उत्तराखण्ड पुलिस को लाखों दुवाओं से नवाज रहा है वहीँ युवक की मां फूलादेवी अपने बेटे से मिलने को आतुर है और देहरादून बेटे रोहित मांजी के साथ आ रही हैं। सेनानायक के द्वारा एसडीआरएफ जवान को इस मेहनत और जागरूकता पर शाबासी दी ओर 2500 रुपये के नगद इनाम की घोषणा की हैं।
सहायता चाही किन्तु टालमटोल के बाद यह क्षेत्र अन्य पुलिस थाने की होने की बात कह टाल दी गयी, कुलदीप के द्वारा मुफासिल(muffasil )थाने में भी सम्पर्क किया किन्तु कोई संतोषजनक उत्तर प्राप्त नही हुआ, जिस पर एसडीआरएफ जवान के द्वारा गया (gaya ) SP सिटी को कॉल कर घटना से अवगत कराया, मेहनत का सार अंकुर फूटा ओर युवक शिवाजन उम्र 22-23 वर्ष,पिता स्वर्गीय कृष्णा मांजी भडेजी जनपद गया बिहार में परिवार की जानकारी प्राप्त हो गयी।युवक की अपने परिवार से फोन पर बातें भी हुई, 13 साल के बनवास के बाद अपने परिवार से मिलने की खुशी में युवक एसडीआरएफ उत्तराखण्ड पुलिस को लाखों दुवाओं से नवाज रहा है वहीँ युवक की मां फूलादेवी अपने बेटे से मिलने को आतुर है और देहरादून बेटे रोहित मांजी के साथ आ रही हैं। सेनानायक के द्वारा एसडीआरएफ जवान को इस मेहनत और जागरूकता पर शाबासी दी ओर 2500 रुपये के नगद इनाम की घोषणा की हैं।
बेमिसाल एसडीआरएफ
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