मिजोरम,उत्तराखण्ड राज्यों के लिए रेडड् प्लस कार्य योजना विकसित....
देहरादून–रेड्ड प्लस हिमालय परियोजना का विस्तार करने के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् और अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केन्द्र द्वारा समझौते पर हस्ताक्षर विकासशील देशों में निर्वनीकरण और वन क्षरण से उत्सर्जन को कम करना और वन कार्बन भंडारों के संरक्षण का महत्व, वनों का स्थायी प्रबंधन तथा वन कार्बन भंडारों का संवर्धन सामूहिक रूप से रेड्ड प्लस के नाम से जाना जाता हैं। जो वन क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन शमन विकल्प में से एक हैं।
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् तथा काठमांडू, नेपाल स्थित अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केन्द्र ने 2015 में भारत के हिन्दु कुश हिमालय भाग में ट्रांस-बाउंड्री परिदृश्य में रेड्ड प्लस हिमालय परियोजना के क्रियान्वयन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।
दक्षिण-दक्षिण सहयोग के माध्यम से परियोजना मुख्यतः क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी साझाकरण तथा रेड्ड प्लस पर ज्ञान के प्रसार पर केन्द्रित है।यह परियोजना जर्मनी संघीय गणराज्य के पर्यावरण,प्रकृति संरक्षण मंत्रालय के जलवायु पहल कार्यक्रम के अन्तर्गत जर्मन अंतर्राष्ट्रीय सहयोग द्वारा समर्थित हैं, जिसे चार हिंदू कुश हिमालयी देशों अर्थात भूटान, भारत, म्यांमार एवं नेपाल में लागू किया गया था भा.वा.अ.शि. प. ने सभी परियोजना गतिविधियों को सफलतापूर्वक लागू किया हैं। और रेडड् प्लस पर विभिन्न ज्ञान उत्पादों को प्रकाशित किया है। मिजोरम और उत्तराखण्ड राज्यों के लिए राज्य रेडड् प्लस कार्य योजना भी विकसित किए गए हैैं। रेडड् प्लस गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए राज्य वन विभागों, अनुसंधान संगठन, विश्वविद्यालयों, स्थानीय समुदायों और अन्य हितधारकों की क्षमता बढ़ाने के लिए कई क्षमता निर्माण कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। इस परियोजना ने भारत में रेडड् प्लस की तत्परता गतिविधियों को लागू करने के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार किया है और राष्ट्रीय रेडड् प्लस रणनीति 2018 के मसौदे के लिए भा.वा.अ.शि.प. को भी सहायता दी है।अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केन्द्र ने परियोजना गतिविधियों के सफल समापन और रेडड् प्लस पर कई उत्कृष्ट प्रकाशनों के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् साझेदारी की सराहना की हैं। भा.वा.अ.शि.प. द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को ध्यान में रखते हुए, रेडड् प्लस हिमालय परियोजना का विस्तार जुलाई 2020 तक कर दिया गया हैं।इस संबंध में, समझौते पत्र के एक परिशिष्ट पर परियोजना के विस्तार हेतु डॉ. सुरेश गैरोला, महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प. तथा डॉ. डेविड मोल्डन, महानिदेशक, आई.सी.आई.एम.ओ.डी. के बीच 26 अगस्त 2019 को आई.सी.आई.एम.ओ.डी., काठमांडू, नेपाल में सि़द्धान्ता दास, महानिदेशक और विशेष सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. एकलव्य शर्मा, डिप्टी डायरेक्टर जनरल,आई.सी.आई.एम.ओ.डी, बी.एम.एस. राठौर, मुख्य नीति सलाहकार, आई.सी.आई.एम.ओ.डी. और डॉ. भास्कर कार्की, समन्वयक, रेडड् प्लस पहल, आई. सी. आई. एम.ओ.डी. की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् के महानिदेशक डॉ. सुरेश गैरोला ने बताया कि इस अवधि के दौरान भा.वा.अ.शि.प. भारतीय हिमालयी राज्यों के राज्य वन विभागों के राज्य रेड्ड प्लस प्रकोष्ठों को सुदृढ़ करेगा, हिमाचल प्रदेश तथा सिक्किम राज्यों के लिए राज्य रेड्ड प्लस कार्य योजनाओं का विकास करेगा तथा परियोजना के विस्तार चरण के दौरान रेड्ड प्लस के लिए बाँस की सम्भाव्यता का भी अध्ययन किया जाएगा।
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् तथा काठमांडू, नेपाल स्थित अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केन्द्र ने 2015 में भारत के हिन्दु कुश हिमालय भाग में ट्रांस-बाउंड्री परिदृश्य में रेड्ड प्लस हिमालय परियोजना के क्रियान्वयन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।
दक्षिण-दक्षिण सहयोग के माध्यम से परियोजना मुख्यतः क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी साझाकरण तथा रेड्ड प्लस पर ज्ञान के प्रसार पर केन्द्रित है।यह परियोजना जर्मनी संघीय गणराज्य के पर्यावरण,प्रकृति संरक्षण मंत्रालय के जलवायु पहल कार्यक्रम के अन्तर्गत जर्मन अंतर्राष्ट्रीय सहयोग द्वारा समर्थित हैं, जिसे चार हिंदू कुश हिमालयी देशों अर्थात भूटान, भारत, म्यांमार एवं नेपाल में लागू किया गया था भा.वा.अ.शि. प. ने सभी परियोजना गतिविधियों को सफलतापूर्वक लागू किया हैं। और रेडड् प्लस पर विभिन्न ज्ञान उत्पादों को प्रकाशित किया है। मिजोरम और उत्तराखण्ड राज्यों के लिए राज्य रेडड् प्लस कार्य योजना भी विकसित किए गए हैैं। रेडड् प्लस गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए राज्य वन विभागों, अनुसंधान संगठन, विश्वविद्यालयों, स्थानीय समुदायों और अन्य हितधारकों की क्षमता बढ़ाने के लिए कई क्षमता निर्माण कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। इस परियोजना ने भारत में रेडड् प्लस की तत्परता गतिविधियों को लागू करने के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार किया है और राष्ट्रीय रेडड् प्लस रणनीति 2018 के मसौदे के लिए भा.वा.अ.शि.प. को भी सहायता दी है।अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केन्द्र ने परियोजना गतिविधियों के सफल समापन और रेडड् प्लस पर कई उत्कृष्ट प्रकाशनों के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् साझेदारी की सराहना की हैं। भा.वा.अ.शि.प. द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को ध्यान में रखते हुए, रेडड् प्लस हिमालय परियोजना का विस्तार जुलाई 2020 तक कर दिया गया हैं।इस संबंध में, समझौते पत्र के एक परिशिष्ट पर परियोजना के विस्तार हेतु डॉ. सुरेश गैरोला, महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प. तथा डॉ. डेविड मोल्डन, महानिदेशक, आई.सी.आई.एम.ओ.डी. के बीच 26 अगस्त 2019 को आई.सी.आई.एम.ओ.डी., काठमांडू, नेपाल में सि़द्धान्ता दास, महानिदेशक और विशेष सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. एकलव्य शर्मा, डिप्टी डायरेक्टर जनरल,आई.सी.आई.एम.ओ.डी, बी.एम.एस. राठौर, मुख्य नीति सलाहकार, आई.सी.आई.एम.ओ.डी. और डॉ. भास्कर कार्की, समन्वयक, रेडड् प्लस पहल, आई. सी. आई. एम.ओ.डी. की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् के महानिदेशक डॉ. सुरेश गैरोला ने बताया कि इस अवधि के दौरान भा.वा.अ.शि.प. भारतीय हिमालयी राज्यों के राज्य वन विभागों के राज्य रेड्ड प्लस प्रकोष्ठों को सुदृढ़ करेगा, हिमाचल प्रदेश तथा सिक्किम राज्यों के लिए राज्य रेड्ड प्लस कार्य योजनाओं का विकास करेगा तथा परियोजना के विस्तार चरण के दौरान रेड्ड प्लस के लिए बाँस की सम्भाव्यता का भी अध्ययन किया जाएगा।
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