भिक्षावृत्ति से दिव्यांग ने मंदिर में चढ़ाया घण्टा

देहरादून–   कहते है की  इरादे अगर हो बुलंद तो आसमान भी झुका करते हैं।इस कहावत को सच करता एक ऐसा परिवार जो स्वयं का भी गुजारा भत्ता बड़ी मुश्किल से कर पाता है।जिसने उत्तर प्रदेश से आकर उत्तराखंड की धरती जगतपुरा में अटरिया माता के मंदिर में आकर माता से मन्नत मांगी और मन्नत पूरी होने पर अपनी कमाई से 20 दिन तक मांग मांग कर ₹1 का इकट्ठा कर कर माता के मंदिर में 11 किलो का घंटा दान किया।आपको जानकर बड़ा ही आश्चर्य होगा कि यह दान करता कोई धनाढ्य परिवार से नहीं अपितु एक भिक्षक और उसकी पत्नी है दोनों ही पैरों से दिव्यांग है और मंदिर के बाहर बैठकर आते -जाते लोगों से कटोरा फैलाकर एक ₹1इकट्ठा करके यह घण्टा मंदिर में चढ़ाया है,उन्होंने को इस घण्टे को पीतलनगरी मुरादाबाद से लाकर आज यहां माता के श्री चरणों मे भेंट स्वरूप अर्पित किया,उत्तर प्रदेश के गढ़ ,गऊघाट निवासी उर्मिला और राजू जो कि 3 बच्चों के पिता हैं तीनों हुई लड़कियां होने पर इनके द्वारा तीनो ही लड़कियों की शादी भी कर दी जा चुकी हैं।
जो कि अपने अपने परिवारों में सुखी जीवन व्यतीत कर रही है दम्पति पति पत्नी दोनों दिव्यांग होने की वजह से सिर्फ भिक्षावृत्ति कर अपना जीवन यापन करते हैं, राजू की पत्नी उर्मिला ने बताया कि उसके पति को 3साल पहले से  शारीरिक कष्ट था जिसके लिए उन्होंने आकर अटरिया मंदिर माता के दरबार में मन्नत मांगी कि मेरे पति को यह शारीरिक कष्ट दूर होगा तो मैं माता के दरबार में 11किलो का घंटा भेंट करूंगी आज उर्मिला और राजू नेअपनी मन्नत पूरी होने पर माता पुष्पा देवी के सम्मुख जाकर घंटा चढ़ाने  की बात कही तो महंत माता पुष्पा देवी ने उन्हें सलाह दी कि तुम इस तरह से भिक्षावृत्ति करते हो मांग मांग कर अपना जीवन यापन कर रहे हो इतना पैसा क्यों खर्च कर रहे हो कोई बात नहीं मैं तुम्हारा मान सम्मान करती हूं और तुम्हें एक मंदिर कमेटी की तरफ से संकल्प कराकर तुम्हारी मनोकामना पूरी होने पर  संकल्प करा देती हूं जिस पर उर्मिला ने इंकार करते हुए कहा कि माता जी मैंने बड़ी मुश्किल से यह घंटा खरीद कर आपके पास लाकर रख दिया है आप इसका शंकर करा दें और अपनी दक्षिणा भी मुझ से प्राप्त करें यह मेरा प्रण था और मेरा उद्देश्य उर्मिला के हठ पर माता कुछ नहीं बोल सकी और उन्होंने उर्मिला और राजू को मन्दिर में बैठा कर घंटे की पूजा अर्चना कर संकल्पित कियाऔर उसे मंदिर के मुख्य द्वार पर जंजीर के जरिए से बनवा दिया, घंटे बनावट और ध्वनि इतनी अच्छी है कि जिसे एक बार सुनने के बाद बार बार बजाने का भी मन करता है।ऐसे दंपत्ति से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए कि सिर्फ ऊंचे कुल में पैदा होना ही जरूरी नहीं है दान के लिए धनाड्य होना भी जरूरी नहीं है। बस हौसले में उड़ान होनी चाहिए उक्त जानकारी देते हुए मेला प्रबंधक पंकज गौड़ ने बताया कि माता का डोला जो कि 3 मई को अटरिया मंदिर से रामपुरा के लिए प्रस्थान किया जाना था ,लेकिन पंचाग के अनुसार तिथि ना बनने के कारण माता डोली  6 मई  की सोमवर को अटरिया मदिंर जगतपुरा से महन्त निवास रम्पुरा के लिए प्रस्थान करेगा संकल्प में अभिषेक गौड़,सुनीता गौड़, दीपाशर्मा,पण्डित भुवन चंद्र जोशी वेदप्रकाश,अमित,एवम मीडिया प्रभारी दीपक कुकरेज़ा भी मौजूद रहे।

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