राहुल और मोदी की रैली में स्थाई राजधानी गैरसैंण की उपेक्षा
देहरादून – आखिर गैरसैण गैर क्यों इसका जवाब किसी भी राजनीतिक दल में इन 20 सालों में से नहीं मिल पाया इसी लिए गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान का संघर्ष धरना स्थल पर 193वे दिन पर पहुंच गए हैं। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने इस बात पर क्षुब्धता प्रकट करते हुए कहा है कि इस समय लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जून में तथा देश के प्रधानमंत्री ने रुद्रपुर रैली की मगर इस में गैरसैंण स्थाई राजधानी के सवाल को जिस प्रकार से छुआ तक नहीं है, इससे सिद्ध हो रहा है कि कांग्रेस और भाजपा एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। और इन दोनों ही दलों को प्रदेश की जनता की विकराल रूप ले रही समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है और पहाड़ के लोगों के हितों से इन्हें कोई वास्ता नहीं हैं। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने कहा है कि कुछ दिन पूर्व देहरादून के परेड ग्राउंड की रैली में कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने गैरसैंण के प्रश्न को नहीं छुआ था और यही कुछ रुद्रपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में भी दोहराया गया हैं। यह इस बात का प्रमाण देती है कि राज्य के दो प्रमुख राजनीतिक दलों जो कि उत्तराखंड में शासन सत्ता में बनी रहती हैं, आपसी मिलीभगत के माध्यम से जन आकांक्षाओं के मुद्दे पर खामोश बैठी हुई हैं।
जिसमें गैरसैण जैसे अति महत्वपूर्ण विषय के साथ साथ बेरोजगारी और सभी नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं देने के प्रश्न सम्मिलित हैं। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने मांग की हैं कि अविलंब स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने पर घोषणा की जाए एवम् वहां पर ढांचागत विकास के ठोस कार्य प्रारंभ किए जाए। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने यह भी मांग की है कि चूंकि राजनीतिक दल यह छाती पीटते थकते नहीं हैं, कि उनके प्रयास से उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश के रूप में शुमार हैं। अत: प्रत्येक उत्तराखंडी नागरिक को नि:शुल्क बिजली-पानी व सभी ग्रामों तक सड़क आदि की सुविधाएं मुहैया कराई जाए। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने कहा है कि सरकार का मूलभूत बुनियादी सुविधाओं और चिंताओं पर मौन धारित रहना बेहद चिंता का विषय हैं।जिसे उत्तराखंड के नागरिक मंजूर नहीं करेंगे और अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर इस बार नोटा पर बटन दबाकर अपनी नाराजगी की अभिव्यक्ति करेंगे। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने कहा है कि सरकार को इस बात पर आंख नहीं मूंदनी चाहिए कि जिस प्रकार से प्रदेश के बेरोजगार संगठन, असम राइफल्स के अर्ध सैनिक और अन्य कई ग्रामीण क्षेत्रों से चुनाव में नोटा की बात जबरदस्त रूप में उठ रही हैं।वह प्रदर्शित करती है कि सरकार के स्तर पर जो भी कार्य हैं। या तो वह दलाली और कमीशनखोरी की भेंट चढती हैं। अथवा उससे आवाम पूरी तरह से असंतुष्ट हैं।गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान उन सभी हिमालय सरकारों के जन संगठनों से नोटा पर केंद्रित होकर उत्तराखंड के क्षेत्रीय मुद्दों पर एक मुट्ठ होने का आह्वान करती हैं।गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने कहा है कि 2018 से प्रारंभ गैरसैंण आंदोलन के द्वारा कांग्रेस-भाजपा को प्रदेश से उखाड़ फेंकने के लिए दीर्घकालिक क्षेत्रीय राजनीति पर काम करना प्रारंभ करें, जिसके लिए नोटा ही आज सर्वोत्तम विकल्प 2019 में हैं। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने दोहराया है कि अब नोटा पर किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा और भाजपा-कांग्रेस समेत वह सभी दल जो गैरसैंण पर मौन रह रही हैं। सभी को नोटा के द्वारा सबक सिखाया जाएगा।|धरना कार्यक्रम में उपस्थिति देने वालों में मनोज ध्यानी , सीके भट्ट, संजय किमोठी, हर्ष प्रसाद मैंदोली, विजय सिंह रावत, सचिन थपलियाल, कमल कांत, कृष्णकांत कुनियाल, राकेश चंद्र सती, मनोज कुमार बड़ोला, जेपी बहुगुणा, रविंद्र प्रधान, रमेश जुयाल, जगजीत सिंह नेगी, भुवन जोशी, प्रसाद थपलियाल, राजेश कुमार, सुरेश नौटियाल, प्रशांत रावत आदि उपस्थित थे।
जिसमें गैरसैण जैसे अति महत्वपूर्ण विषय के साथ साथ बेरोजगारी और सभी नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं देने के प्रश्न सम्मिलित हैं। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने मांग की हैं कि अविलंब स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने पर घोषणा की जाए एवम् वहां पर ढांचागत विकास के ठोस कार्य प्रारंभ किए जाए। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने यह भी मांग की है कि चूंकि राजनीतिक दल यह छाती पीटते थकते नहीं हैं, कि उनके प्रयास से उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश के रूप में शुमार हैं। अत: प्रत्येक उत्तराखंडी नागरिक को नि:शुल्क बिजली-पानी व सभी ग्रामों तक सड़क आदि की सुविधाएं मुहैया कराई जाए। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने कहा है कि सरकार का मूलभूत बुनियादी सुविधाओं और चिंताओं पर मौन धारित रहना बेहद चिंता का विषय हैं।जिसे उत्तराखंड के नागरिक मंजूर नहीं करेंगे और अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर इस बार नोटा पर बटन दबाकर अपनी नाराजगी की अभिव्यक्ति करेंगे। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने कहा है कि सरकार को इस बात पर आंख नहीं मूंदनी चाहिए कि जिस प्रकार से प्रदेश के बेरोजगार संगठन, असम राइफल्स के अर्ध सैनिक और अन्य कई ग्रामीण क्षेत्रों से चुनाव में नोटा की बात जबरदस्त रूप में उठ रही हैं।वह प्रदर्शित करती है कि सरकार के स्तर पर जो भी कार्य हैं। या तो वह दलाली और कमीशनखोरी की भेंट चढती हैं। अथवा उससे आवाम पूरी तरह से असंतुष्ट हैं।गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान उन सभी हिमालय सरकारों के जन संगठनों से नोटा पर केंद्रित होकर उत्तराखंड के क्षेत्रीय मुद्दों पर एक मुट्ठ होने का आह्वान करती हैं।गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने कहा है कि 2018 से प्रारंभ गैरसैंण आंदोलन के द्वारा कांग्रेस-भाजपा को प्रदेश से उखाड़ फेंकने के लिए दीर्घकालिक क्षेत्रीय राजनीति पर काम करना प्रारंभ करें, जिसके लिए नोटा ही आज सर्वोत्तम विकल्प 2019 में हैं। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने दोहराया है कि अब नोटा पर किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा और भाजपा-कांग्रेस समेत वह सभी दल जो गैरसैंण पर मौन रह रही हैं। सभी को नोटा के द्वारा सबक सिखाया जाएगा।|धरना कार्यक्रम में उपस्थिति देने वालों में मनोज ध्यानी , सीके भट्ट, संजय किमोठी, हर्ष प्रसाद मैंदोली, विजय सिंह रावत, सचिन थपलियाल, कमल कांत, कृष्णकांत कुनियाल, राकेश चंद्र सती, मनोज कुमार बड़ोला, जेपी बहुगुणा, रविंद्र प्रधान, रमेश जुयाल, जगजीत सिंह नेगी, भुवन जोशी, प्रसाद थपलियाल, राजेश कुमार, सुरेश नौटियाल, प्रशांत रावत आदि उपस्थित थे।
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