रक्षा मंत्री ने सिद्धार्थ की पत्नी धुविका से की मुलाकात

देहरादून–मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने बंगलुरू में फाइटर प्लेन दुर्घटना में शहीद हुए देहरादून के स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी के पंडितवाड़ी स्थित आवास पर जाकर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री एवं देश की रक्षा मंत्री ने शोक संतप्त परिजनों को सांत्वना दी। उन्होंने स्व. सिद्धार्थ नेगी के माता -पिता व पत्नी धुविका को ढ़ांढ़स बंधाया। उन्होंने दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है।कुछ दिन पहले बेंगलुरु में  मिराज 2000 की दुर्घटना में हुए उत्तराखंड देहरादून के स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी की मौत हो गयी थी कल हरिद्वार में उनका अंतिम संस्कार किया गया आज रक्षा मंत्री सीतारमन  देहरादून उनके आवास पर उनके परिवार को सांत्वना देेने पहुचे साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत भी मौजूद रहे।आपको बता दे कि बैंगलोरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड हवाई अड्डे पर भारतीय वायुसेना का मिराज 2000 प्रशिक्षक विमान दुर्घटनाग्रस्त हुवा था जिसमें दो पायलट की मौत हो गई थी जिसमें से एक पायलट शिदार्थ देहरादून का रहने वाला था। स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी का परिवार देहरादून में के पंडितवाड़ी में रहता है। उनके पिता बलबीर सिंह नेगी ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हैं। उनका एक बेटा सिद्धार्थ नेगी और एक बेटी है। सिद्धार्थ की शादी डेढ़ साल पहले ही हुई थी। बेटे के शहीद होने के बाद से ही परिवार में मातम छाया हुआ है आज रक्षा मंत्री सीतारमण अचानक उनके आवास उनके परिवार को सांत्वना देने पहुची।

उनके पिता बलबीर सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री ने उनको सांत्वना देने यहां पहुची थी और रक्षा मंत्री होने के नाते ये उनका नैतिक कर्तव्य भी था और उन्होंने अपना नंबर भी हमे दिया है आपको बता दे कि सिद्धार्थ अपने घर मे एक बहन के साथ अकेले भाई थे जिनकी मौत के बाद रक्षा मंत्री ने उनको आस्वाशन दिया कि भारत सरकार की तरफ से हर सम्भव मदद दी जाएगी।अपने पुत्र की शहादत पर उनके पिता ने कहा कि उनको अपने पुत्र पर गर्व है वो कुछ कर के गया है और जब एक पुत्र आर्मी ज्वाइन करता है तभी उसके परिवार के लिए गर्व करने वाली बात होती है, उन्होंने कहा कि 1फरबरी को जब उनका जन्म दिन था तब उनकी उनसे आखरी बार फोन पर बात हुई थी।फ़ौज में भर्ती होने पर भी उन्होंने कहा कि फ़ौज की शहादत को हमेशा याद रखा जाता है और उन्होंने अन्य युवाओं को भी फ़ौज को ज्वाइन करने की सलाह दी।




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