देश के लिए शहीद हुए दो दोस्त

देहरादून — जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आर डी एक्स ब्लास्ट में 40 जवान शहीद हो गए थे जिनमें 2 जवान उत्तराखंड के रहने वाले थे उनके अंतिम क्रिया कर्म के होने हुए उसके अगले दिन एलओसी पर बम डिफ्यूज करते हुए उत्तराखंड देहरादून के मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए यह खबर जब परिजनों को मिली तो माता-पिता का रो-रो कर बुरा हाल था मेजर चित्रेश बिष्ट की शादी 7 मार्च को होनी थी जिसकी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई थी और मेजा चित्रेश बिष्ट को 28 तारीख को देहरादून आना था जो कि उनकी छुट्टी भी मंजूर हो गई थी लेकिन किस्मत
को तो कुछ और ही मंजूर था मेजर चित्रेश बेस्ट 28 तारीख से पहले ही तिरंगे में लपेटकर उनके घर पहुंचे उनकी अंतिम संस्कार होने भी नहीं पाए थे कि बॉर्डर पर आतंकवादियों से मुठभेड़ में देहरादून का एक लाल और शहीद हो गया मेजर विभूति ढूंढ वालों के साथ उनके 4 जवान भी शहीद हो गए यह भी एक दुखद घटना है की दोनों में चित्रेश और विभूति बचपन के मित्र थे और एक ही स्कूल से शिक्षा प्राप्त की थी और एक ही बटालियन में तैनात थे उनके शहीद होने में भी 1 दिन का अंतर रहा यह दुखद घटना जानकार दूनवासी गमगीन हैं,सोमवार को
सेना द्वारा शहीद मेजर विभूति ढोंडियाल के पार्थिव शरीर को विशेष विमान से लाया गया जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से सेना वाहन द्वारा जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से मेजर विभूति ढोंडियाल के पार्थिव शरीर को लेकर सड़क मार्ग से देहरादून के लिए रवाना
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सोमवार को आतंकवादियों के साथ हुए एनकाउंटर में सेना के एक मेजर सहित सेना के चार जवान शहीद हो गए।इस एनकाउंटर में उत्तराखंड के देहरादून में रहने वाले मेजर विभूति ढौंडियाल भी शहीद हुये है।
32 वर्षीय मेजर विभूति ढौंडियाल सेना के 55 आरआर (राष्‍ट्रीय राइफल) में तैनात थे। उनका आवास देहरादून के नेशविला रोड पर है।शहीद मेजर विभूति ढोंडियाल  तीन बहनों के इकलौते भाई थे। तीनों बहन उनसे बड़ी हैं,  घर में उनकी मां ऑल 95 वर्ष की दादी हैं ओर बीते साल अप्रैल में ही उनकी शादी हुई थी मेजर ढौंडियाल पौड़ी जिले के बैजरो ढौंड गांव के मूल निवासी हैं।

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