गरीबी दूर हो और लोगों के जीवन स्तर में सुधार होे

देहरादून–स्कूल आफ मैनेजमेंट, दून विश्वविद्यालय द्वारा रिसर्च मैथोडोलोजी पर आयोजित दस दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के चौथे दिन सामाजिक विज्ञान में सिद्वान्त या अवधारणा विकसित करने के लिये आंकड़ो के विश्लेषण पर आधारित माॅडल का प्रमापीकरण एवं परीक्षण आवश्यक है। ये बातें रिचर्स मैथोडोलोजी पर दस दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के चौथे दिन लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रबन्धशास्त्र के प्राध्यापक डाॅ0 शैलेश कौशल ने कही। उन्होंने कहा कि सांख्यकीय विश्लेषण विधियोें से हम  सैद्वान्तिक नियमों का प्रयोग सिद्व परीक्षण कर सकते हैं। उन्होंने कई विश्लेषण विधियों का प्रस्तुतिकरण कर छात्रों की जिज्ञासा शान्त की। द्वितीय सत्र में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व प्रमुख सचिव एवं सेन्टर फार पब्लिक पाॅलिसी के प्रो0 एच0एस0 दास ने कहा कि शोध का विषय और उसके निष्कर्ष समाज में उपयोग में लिये जा सके जिससे बेरोजगारी, गरीबी दूर हो सके और लोगों के जीवन स्तर में सुधार होे।
डाॅ0 दास ने कहा कि उद्योग, व्यापार, कृषि, पशुपालन, पर्यटन सहित अन्य सभी सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रोंं में शोध की नित्यांत आवश्यकता है। शोध छात्रों को सामाजिक उपयोग में प्रयोग की जाने वाली शोध की विषय वस्तु को बढ़ावा देना चाहिए। जिसे सार्वभौमिक तौर पर सिर्फ भारत में ही नहीं वरन समस्त मानव जाति के विकास में उपयोगी हो।अंतिम सत्र में डाॅ0 आशीष सिन्हा ने कहा कि सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में प्राथमिक डाटा एकत्र करने हेतु प्रश्नावली निर्माण की विभिन्न विधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होनेंं कहा कि प्रश्नावली ही सामाजिक विज्ञान मेें एकत्रित किये गये सूचनाओं की विश्वसनीयता एवं प्रमाणिकता सिद्व करती है और उसी निष्कर्ष पर योजनाओं का निर्माण किया जाता है। इसलिये प्रश्नावली का निर्माण सावधानी पूर्वक एवं वैज्ञानिक रीति से किया जाना चाहिएं। अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रबन्धशास्त्र स्कूल के विभागाध्यक्ष प्रो0 एच0सी0 पुरोहित ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से हमारी यह कोशिश है कि विद्यार्थियों को सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक परीक्षण प्रविधियों की जानकारी हासिल हो सके और उनका शोध गुणात्मक दृष्टि से उत्कृष्ट हो सके। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 प्राची पाठक एवं डाॅ0 रीना सिंह ने किया। इस अवसर पर डा0 गजेन्द्र सिंह, डाॅ0 आशीष सिन्हा, डाॅ0 सुधांशु जोशी, डाॅ0 वैशाली, डाॅ0 स्मिता त्रिपाठी, श्री नरेन्द्र लाल, अनुराग कुशवाहा, एश्वर्य प्रताप, श्रद्वा जैन, मुकुल देव, अंकिता मन्दोलिया, कुलजीत, सुरभि, साक्षी, शालिनी, पारस बम्पाल, अमरप्रीत सिंह, सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थी उपस्थित रहे।

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