जनता ने त्रिवेंद्र सरकार को दिया संदेश
देहरादून– उत्तराखंड में संपन्न हुए नगर निकाय चुनाव से मोदी सरकार की 2019 की तैयारी को लेकर उत्तराखंड में लगी उम्मीदों को निकाय चुनावों के नतीजों से गहरा झटका लगा है।देवभूमि उत्तराखंड के मतदाता पर अमूमन चुनावी लहरों का असर कम ही रहता है लेकिन यहाँ का मतदाता हर मतदान में अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय जरूर देता है।राज्य के निकाय चुनावों के नतीजों में मतदाताओं के बड़े रोचक फैसले सामने आये हैं। वैसे तो पूरे राज्य भर में ऐसी तस्वीर देखने को मिलेगी लेकिन हम अगर इन चुनिंदा क्षेत्रों में नज़र डालें तो ये बात स्वतः स्पष्ट हो जाएगी कि जनता ने त्रिवेंद्र सरकार को क्या संदेश दिया है और क्या समझने का प्रयास किया है।
प्रदेश भर के कुल नतीजों में मतदाताओं का एक संदेश तो स्पष्ट है कि वो भाजपा से खुश नही है और दूसरी ओर कांग्रेस ये गलतफहमी न पाल ले कि मतदाताओं का उनकी ओर रुझान है। बड़ी संख्या में निर्दलीयों पर भरोसा जता कर मतदाताओं ने देवभूमि को माफियाओं, ठेकेदारों और दलालों से बचाने की गुहार की है।रानीखेत में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की सीट पर हुई हार को किसी चुनावी विशेषज्ञ से पूछने की आवश्यकता नही है। अल्मोड़ा जैसे प्रबुद्धजनों के शहर की जनता के फैसले को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।मुख्यमंत्री की विधानसभा डोईवाला में अध्यक्ष पद के प्रत्याशी की हार का सीधा सीधा अर्थ है, अब जीरो टॉलरेंस रह गयी है वहां की जनता में भी।सतपुली में सीएम त्रिवेंद्र रावत की भाभी को कुल मिले 32 वोट से बड़ा कोई राजनैतिक मुहावरा होगा जिसका अनुवाद कोई भाजापाई समझा सके टीएसआर सरकार के प्रवक्ता और कद्दावर मंत्री मदन कौशिक की विधान सभा में भाजपा की पराजय और काँग्रेस की जीत पर किसी मूक बधिर से भी पूछा जाय तो वो बता देगा कि इसके मायने क्या हैं।
प्रदेश भर के कुल नतीजों में मतदाताओं का एक संदेश तो स्पष्ट है कि वो भाजपा से खुश नही है और दूसरी ओर कांग्रेस ये गलतफहमी न पाल ले कि मतदाताओं का उनकी ओर रुझान है। बड़ी संख्या में निर्दलीयों पर भरोसा जता कर मतदाताओं ने देवभूमि को माफियाओं, ठेकेदारों और दलालों से बचाने की गुहार की है।रानीखेत में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की सीट पर हुई हार को किसी चुनावी विशेषज्ञ से पूछने की आवश्यकता नही है। अल्मोड़ा जैसे प्रबुद्धजनों के शहर की जनता के फैसले को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।मुख्यमंत्री की विधानसभा डोईवाला में अध्यक्ष पद के प्रत्याशी की हार का सीधा सीधा अर्थ है, अब जीरो टॉलरेंस रह गयी है वहां की जनता में भी।सतपुली में सीएम त्रिवेंद्र रावत की भाभी को कुल मिले 32 वोट से बड़ा कोई राजनैतिक मुहावरा होगा जिसका अनुवाद कोई भाजापाई समझा सके टीएसआर सरकार के प्रवक्ता और कद्दावर मंत्री मदन कौशिक की विधान सभा में भाजपा की पराजय और काँग्रेस की जीत पर किसी मूक बधिर से भी पूछा जाय तो वो बता देगा कि इसके मायने क्या हैं।
Comments
Post a Comment