श्री बदरी धाम के कपाट 20 नवंबर को होंगे बंद
चमोली–पंच पूजायें हुई शुरु श्री उद्धव जी ,श्री कुबेर जी एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी 21 नवंबर को प्रातः करेंगी प्रस्थान ।गोपेश्वर:विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 20 नवंबर शांयकाल 3 बजकर 21मिनट पर बंद होंगे। आज 16 नवंबर से कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत पंच पूजायें शुरु हो जायेगी ।पंच पूजाओं में सर्वप्रथम आज श्री गणेश जी के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई,और गणेश जी के कपाट बंद हो जायेंगे। तत्पश्चात कल 17 नवंबर आदि
केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद हो जायेंगे।18 नवंबर खड्ग पुस्तक पूजन एवं19 नवंबर दिन में लक्ष्मी जी का आवह्वान तथा 20 नवंबर शांयकाल 3 बजकर 21 मिनट श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिये जायेंगें। कपाट बंद होते समय रावल जी द्वारा भगवान बदरीविशाल को माणा गांव से अर्पित घृत कंबल ओढ़ाया जाता है, भगवान को शीत से बचाव हेतु सदियों से इस धार्मिक परंपरा का निर्वहन किया जाता रहा है।21 नवंबर प्रात: आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी जोशीमठ, श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी की डोली पांडुकेश्वर प्रस्थान करेगी।21 नवंबर योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर प्रवास के पश्चात 22 नवंबर दोपहर को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी जबकि श्री उद्वव जी एवं श्री कुबेर जी की शीतकाल में पांडुकेश्वर में प्रवास करते हैं। इसी के साथ योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर एवं नृसिंह मंदिर जोशीमठ में भगवान. बदरीविशाल की शीतकालीन पूजायें भी शुरू हो जाती हैं।श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्यकार्याधिकारी बी.डी.सिंह ने बताया कि रावल ईश्वरी प्रसाद नंबुदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, अपर धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, अ. धर्माधिकारी सत्यप्रकाश चमोला, नायब रावल शंकरन नंबुदरी,वेदपाठी रविन्द्र भट्ट पंच पूजायें संपादित करवायेंगे एवं 20 नवंबर को शांयकाल 3 बजकर 21 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये जायेंगे। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं के कपाट बंद होने के अवसर पर पहुंचने की उम्मीद है,वहीं संपूर्ण बदरीपुरी सेना के बैंड की धुनों से गुंजायमान रहेगी। पुजारी हनुमान प्रसाद डिमरी के अनुसार श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि पर श्री माता मूर्ति मंदिर के कपाट भी शीतकाल हेतु बंद हो जाते हैं।
केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद हो जायेंगे।18 नवंबर खड्ग पुस्तक पूजन एवं19 नवंबर दिन में लक्ष्मी जी का आवह्वान तथा 20 नवंबर शांयकाल 3 बजकर 21 मिनट श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिये जायेंगें। कपाट बंद होते समय रावल जी द्वारा भगवान बदरीविशाल को माणा गांव से अर्पित घृत कंबल ओढ़ाया जाता है, भगवान को शीत से बचाव हेतु सदियों से इस धार्मिक परंपरा का निर्वहन किया जाता रहा है।21 नवंबर प्रात: आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी जोशीमठ, श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी की डोली पांडुकेश्वर प्रस्थान करेगी।21 नवंबर योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर प्रवास के पश्चात 22 नवंबर दोपहर को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी जबकि श्री उद्वव जी एवं श्री कुबेर जी की शीतकाल में पांडुकेश्वर में प्रवास करते हैं। इसी के साथ योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर एवं नृसिंह मंदिर जोशीमठ में भगवान. बदरीविशाल की शीतकालीन पूजायें भी शुरू हो जाती हैं।श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्यकार्याधिकारी बी.डी.सिंह ने बताया कि रावल ईश्वरी प्रसाद नंबुदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, अपर धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, अ. धर्माधिकारी सत्यप्रकाश चमोला, नायब रावल शंकरन नंबुदरी,वेदपाठी रविन्द्र भट्ट पंच पूजायें संपादित करवायेंगे एवं 20 नवंबर को शांयकाल 3 बजकर 21 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये जायेंगे। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं के कपाट बंद होने के अवसर पर पहुंचने की उम्मीद है,वहीं संपूर्ण बदरीपुरी सेना के बैंड की धुनों से गुंजायमान रहेगी। पुजारी हनुमान प्रसाद डिमरी के अनुसार श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि पर श्री माता मूर्ति मंदिर के कपाट भी शीतकाल हेतु बंद हो जाते हैं।
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