जी डी अग्रवाल ने गंगा की अविरलता के लिए प्राण त्यागे
ऋषिकेश- दृढ़व्रती तपस्वी सन्त महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञान स्वरूप आनन्द ने आज गंगा की निर्मलता के लिए अनशन करते हुए गंगानगरी ऋषिकेश में प्राण त्यागे दिए। उन्होंने दो दिन पहले जल लेना भी बन्द कर दिया था।वह आईआईटी कानपुर के पूर्व प्रोफ़ेसर थे। उनका मूल नाम डॉक्टर जी.डी.अग्रवाल था। मूल गंगा से निकली मुख्य नहर से एक सौ गज की दूरी पर स्थित एम्स में ले जाए गए
स्वामी ज्ञानस्वरूपानंद गंगाजल तो क्या एक बूँद पानी लिए बिना हमारे बीच से चले गए।और गंगा की अविरलता के लिए संघर्ष करते हुए मातृ सदन में इनसे पहले निगमानंद ने भी अनशन किया था जिनकी मृत्यु हो गई थी। उसके बाद जी डी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप आनन्द ने गंगा की अविरलता के लिए 111 दिन तक उपवास करने के बाद मृत्यु हो गई। जीडी अग्रवाल को पुलिस ने जबरदस्ती धरने से उठाकर एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया था जहां बृहस्पतिवार को उनकी मृत्यु हो गई । उनकी मृत्यु से देश-विदेश के गंगाप्रेमी व उत्तराखंड की जनमानस स्तब्ध हैं। स्वामी ज्ञान स्वरूप आनन्द के प्राण त्यागने से पहले एक बूँद गंगाजल कण्ठ में पाकर धन्य हो जाते हैं।
स्वामी ज्ञानस्वरूपानंद गंगाजल तो क्या एक बूँद पानी लिए बिना हमारे बीच से चले गए।और गंगा की अविरलता के लिए संघर्ष करते हुए मातृ सदन में इनसे पहले निगमानंद ने भी अनशन किया था जिनकी मृत्यु हो गई थी। उसके बाद जी डी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप आनन्द ने गंगा की अविरलता के लिए 111 दिन तक उपवास करने के बाद मृत्यु हो गई। जीडी अग्रवाल को पुलिस ने जबरदस्ती धरने से उठाकर एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया था जहां बृहस्पतिवार को उनकी मृत्यु हो गई । उनकी मृत्यु से देश-विदेश के गंगाप्रेमी व उत्तराखंड की जनमानस स्तब्ध हैं। स्वामी ज्ञान स्वरूप आनन्द के प्राण त्यागने से पहले एक बूँद गंगाजल कण्ठ में पाकर धन्य हो जाते हैं।
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