अद्वैत व स्मृति माउंट किलिमंजारो मापने वाले कम उम्र.......
देहरादून - सेलाकुई इंटननेशनल स्कूल के छात्र तेरह वर्षीय अद्वैत दतर और सोलह वर्षीय स्मृति गर्ग पिछले सप्ताह अफ्रीका के सबसे ऊंचे चोटी माउंट किलिमंजारो को मापने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बन गए हैं। माउंट किलिमंजारो एक विलुप्त ज्वालामुखी है जो 5895 मीटर पर तंजानिया में स्थित दुनिया का चौथ सबसे ऊंचा शिखर है। माउंट किलिमंजारो को उहुरू शिखर के रूप में भी जाना जाता है जिसका अर्थ स्वाहिली भाषा में आजादी है और यह एक पर्वतारोहण के लिए अद्वभुत है। देवरात बडोनी और दीया बजाज द्वारा अनुरक्षित सात छात्रों की एक टीम जिसमें स्मृति गर्ग, प्रणजाल वसन, राहुल,
आयुष पांडेद्व ओन्कर हंस और क्षितिज कौशिक सहित 28 सितंबर, 2018 को स्कूल परिसर से अपनी यात्रा शुरू की थी। पूरे टीम की औसत आयु 15 वर्ष है। काफी मुश्किल परिस्थितियों को पार करते हुए केवल दो छात्र अद्वैत और स्मृति ने चार अक्टूबर को उहुरू चोटी के शीर्ष पर पहुंचे। अद्वैत पर्वतारोहण को गंभीरता से लेना चाहता है और उत्तरकाशी में एनआईएम में दाखिला लेना चाहता है। उनका लक्ष्य अगले दो वर्ष में के-2 पर पहुंचना है।सेलाकुईं इंटरनेशनल स्कूल के हैडमास्टर शरफुददीन ने कहा कि हमारे विद्यालय में छात्रों को प्रकृति के साथ समय बिताने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और खुद को चुनौती देना सिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे विद्यालय की पर्वतारोहण परंपरा पुरानी है जिसमें छात्र उत्तराखण्ड के अलग-अलग स्थानों पर स्थित एवरेस्ट बेस शिविरों के अलावा लद्दाख भी जाते हैं।
आयुष पांडेद्व ओन्कर हंस और क्षितिज कौशिक सहित 28 सितंबर, 2018 को स्कूल परिसर से अपनी यात्रा शुरू की थी। पूरे टीम की औसत आयु 15 वर्ष है। काफी मुश्किल परिस्थितियों को पार करते हुए केवल दो छात्र अद्वैत और स्मृति ने चार अक्टूबर को उहुरू चोटी के शीर्ष पर पहुंचे। अद्वैत पर्वतारोहण को गंभीरता से लेना चाहता है और उत्तरकाशी में एनआईएम में दाखिला लेना चाहता है। उनका लक्ष्य अगले दो वर्ष में के-2 पर पहुंचना है।सेलाकुईं इंटरनेशनल स्कूल के हैडमास्टर शरफुददीन ने कहा कि हमारे विद्यालय में छात्रों को प्रकृति के साथ समय बिताने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और खुद को चुनौती देना सिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे विद्यालय की पर्वतारोहण परंपरा पुरानी है जिसमें छात्र उत्तराखण्ड के अलग-अलग स्थानों पर स्थित एवरेस्ट बेस शिविरों के अलावा लद्दाख भी जाते हैं।
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